नरोदा पाटिया मामला: माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी की सजा बरकरार

Naroda Patia case: MayaKodnani gets bail, convicted by Babu Bajrangi
[email protected] । Apr 20 2018 8:37PM

गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को आज बरी कर दिया लेकिन बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को आज बरी कर दिया लेकिन बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। इस दंगा मामले में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी। उच्च न्यायालय ने बजरंगी सहित 13 व्यक्तियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी और पहली बार तीन और व्यक्तियों को दोषी ठहराया। वहीं अदालत ने 2012 में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराये गए 32 लोगों में से 18 को बरी कर दिया। माया कोडनानी 2002 में भाजपा की विधायक थीं और निचली अदालत ने उन्हें नरोदा पाटिया हत्या मामले की ‘‘सरगना’’ बताते हुए 28 वर्ष की सजा सुनायी थी। गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया सबसे भीषण घटना थी। 

कोडनानी 2007 में गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनीं। हालांकि मार्च 2009 में उन्होंने मामले में गिरफ्तार होने पर इस्तीफा दे दिया। उच्च न्यायालय ने कोडनानी को बरी करते हुए कहा कि उनकी भूमिका को लेकर गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह ने यह उल्लेख नहीं किया कि उन्होंने उनसे प्रासंगिक समय पर बात की। अदालत ने कहा कि वह गवाहों के विरोधाभासी बयानों पर विश्वास करने को ‘‘जोखिम भरा’’ पाती है और इसलिए कोडनानी को लेकर गवाहों के किसी भी गवाही को स्वीकार नहीं किया जाता। अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने कोडनानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) के तहत एक आपराधिक षड्यंत्र के लिए दोषी ठहराया था लेकिन सबूतों से आरोप स्थापित नहीं हुए। उच्च न्यायालय ने कहा कि कोडनानी को संदेह का लाभ दिया जाता है क्योंकि उन्हें पहली बार 2008 में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आरोपी बनाया जबकि मूल प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था। 

न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की खंड़पीठ ने 2012 के विशेष एसआईट अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर अपना फैसला सुनाते हुए बजरंगी सहित 16 व्यक्तियों को दोषी ठहराया जबकि कोडनानी सहित 18 अन्य को बरी कर दिया। 16 दोषियों में से एक को छोड़कर सभी को 21 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी गई है। एक व्यक्ति को 10 वर्ष की सजा सुनायी गई है।।इनमें से तीन को निचली अदालत ने बरी कर दिया था। विशेष एसआईटी अदालत ने अगस्त 2012 में मामले के 61 आरोपियों में से 32 दोषियों को दोषी ठहराया था और 29 को बरी कर दिया था। ।उच्च न्यायालय ने आज 32 में से 18 को बरी कर दिया और 13 की दोषीसिद्धि बरकरार रखी। निजली अदालत द्वारा दोषी ठहराये गए व्यक्तियों में से एक दोषी की सुनवायी के दौरान मृत्यु हो गई थी। ।।खंडपीठ ने कहा कि आज पहली बार दोषी ठहराये गए तीन व्यक्तियों को सजा नौ मई को सुनायी जाएगी। 

उच्च न्यायालय ने बजरंगी को दो अन्य दोषियों प्रकाश राठौड़ और सुरेश झाला के साथ आपराधिक षड्यंत्र का दोषी पाया। उनकी दोषसिद्धि पांच गवाहों के बयानों पर आधारित था जिन्होंने कहा कि तीनों अपराध स्थल पर मौजूद थे। उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्रकार आशीष खेतान का मौखिक सबूत स्वीकार किया जाता है जिन्होंने तीनों दोषियों का स्टिंग आपरेशन किया था। अदालत ने यद्यपि बजरंगी की ‘‘स्वभाविक मृत्यु तक जेल’’ की सजा को घटाकर 21 वर्ष सश्रम कारावास कर दिया। यह घटना गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में हुये अग्निकांड के एक दिन बाद की है। इस घटना में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में 28 फरवरी 2002 को एक भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी।

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