नताशा-देवांगना की तिहाड़ जेल से हुई रिहाई, UAPA के तहत किया गया था गिरफ्तार
जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) छात्र और पिंजरा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाल और देवांगना कालिता एक साल से अधिक समय बाद जेल से बाहर आ गए। उन्हें दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल गिरफ्तार किया गया था।
पिंजारा तोड़ कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कलिता दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 जून के जमानत आदेश के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हो गई हैं। जेल से बाहर निकलने के बाद कार्यकर्ता नताशा नरवाल ने कहा कि कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। हम अपने मूल्यों के लिए अपनी लड़ाई भी जारी रखेंगे। इससे कुछ घंटे पहले एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा ‘‘साजिश’’ मामले में तुरंत उनकी रिहाई का आदेश दिया था। दो दिन पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल मई में गिरफ्तार नरवाल, कालिता और तनहा को जमानत दे दी थी।
UAPA में किया गया था गिरफ्तार, कोर्ट से मिली जमानत
जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) छात्र और पिंजरा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाल और देवांगना कालिता एक साल से अधिक समय बाद जेल से बाहर आ गए। उन्हें दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत प्रदान कर दी। तीनों को पिछले साल मई में दंगों में बड़ी साजिश से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। इन तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम संबंधी कानून, 1984, हथियार कानून 1967 और यूएपीए की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए थे।
इस वजह से हुई रिहाई में देरी
तीनों छात्र कार्यकर्ताओं के पते और मुचलके के सत्यापन में देरी के कारण जेल से उनकी रिहाई में देरी हो रही थी। दिल्ली की एक अदालत ने तीनों की तुरंत रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा सत्यापन प्रक्रिया में देरी आरोपियों को जेल में रखने की स्वीकार्य वजह नहीं हो सकती। उच्च न्यायालय से जमानत लेने के बाद कार्यकर्ताओं ने जेल से तुरंत रिहाई के लिए निचली अदालत का रुख किया था।
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