पहले South Asia International Book Fair में भारत के राष्ट्रीय पुस्तक ट्रस्ट ने लिया भाग
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भारत और नेपाल पशुपतिनाथ से पुरी, काशी से काठमांडू और बोधगया से बौद्धनाथ तक अनेक साझी धरोहर रखते हैं जो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पारंपरिक और साहित्यिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाती है।
देश के नॉलेज पार्टनर के रूप में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने नेपाल में 21 से 25 नवंबर के दौरान आयोजित प्रथम दक्षिण एशिया अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में भाग लिया है। भारत और नेपाल सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक संबंधों का एक समृद्ध इतिहास साझा करते हैं। दोनों देशों के मध्य ऐसी अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कड़ियाँ हैं जो दोनों की साझी विरासत को दर्शाती हैं।
भारत और नेपाल पशुपतिनाथ से पुरी, काशी से काठमांडू और बोधगया से बौद्धनाथ तक अनेक साझी धरोहर रखते हैं जो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पारंपरिक और साहित्यिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाती है। इस पुस्तक मेले के स्टॉल - सी51 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत हिंदी और अंग्रेजी सहित नेपाली भाषा में प्रकाशित 50 से अधिक पुस्तकों के माध्यम से देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को प्रदर्शित कर रहा है।
इस अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन काठमांडू के भृकुटीमंडप में नेपाल पुस्तक तथा स्टेशनरी व्यवसायी महासंघ और करंट मीडिया एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इसका उददेश्य दक्षिण एशियाई देशों की समृद्ध साहित्यिक विरासत को प्रदर्शित करना है। 22 नवंबर को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री श्री झाला नाथ खनाल ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के स्टॉल पर पुस्तकों का अवलोकन किया। उन्होंने एनबीटी, इंडिया की नेपाली सहित विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों की सराहना की। एनबीटी, इंडिया ने 'बुक्स नॉट बुके' अभियान के तहत श्री झाला नाथ खनाल को 'इंडिया : द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' पुस्तक भेंट की।
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