Nitish Kumar समाधान यात्रा निकाल रहे हैं पर अपनी पार्टी में मचे घमासान को नहीं थाम पा रहे हैं

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ANI

वार-पलटवार का सिलसिला जारी है और दोनों नेता एक दूसरे को खरी—खरी सुनाने से परहेज नहीं कर रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री समाधान यात्रा निकाल रहे हैं लेकिन अपनी पार्टी और सत्तारुढ़ गठबंधन में मचे घमासान को नहीं थाम पा रहे हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जद (यू) संसदीय बोर्ड के असंतुष्ट अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को सलाह दी है कि वे अपनी शिकायतों को मीडिया के माध्यम से उल्लेखित करना बंद करके उसे पार्टी मंच पर उठाएं। वहीं कुशवाहा का कहना है कि पार्टी मंच पर हमारी बात सुनी नहीं जा रही है। देखा जाये तो जनता दल युनाइटेड के दो बड़े नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच जुबानी जंग दिन ब दिन तीखी से तीखी होती जा रही है। वार-पलटवार का सिलसिला जारी है और दोनों नेता एक दूसरे को खरी—खरी सुनाने से परहेज नहीं कर रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री समाधान यात्रा निकाल रहे हैं लेकिन अपनी पार्टी और सत्तारुढ़ गठबंधन में मचे घमासान को नहीं थाम पा रहे हैं।

जहां तक नीतीश कुमार पर उपेन्द्र कुशवाहा की ओर से किये गये पलटवार की बात है तो आपको बता दें कि कुशवाहा ने मंगलवार को ट्वीट किया था, ‘‘बड़ा अच्छा कहा भाई साहब आपने...! ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगे तब तो हर बड़का भाई अपने छोटका (छोटे भाई) को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प ले। ऐसे कैसे चले जाएं अपना हिस्सा छोड़कर....?’’ इससे परोक्ष तौर पर अप्रसन्न प्रतीत हो रहे नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘उन्हें यह समझना चाहिए कि वह पार्टी से अलग होने के बाद तीसरी बार पार्टी में लौटे हैं, लेकिन उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया गया। यदि उन्हें कोई शिकायत है तो उन्हें वह पार्टी के भीतर जाहिर करना चाहिए। आपको अपने विचार मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक नहीं करने चाहिए।’’

हम आपको बता दें कि उपेन्द्र कुशवाहा 2021 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करके जद (यू) में लौट आए थे और उन्हें तुरंत पार्टी का शीर्ष पद दिया गया और कुछ ही समय बाद विधान परिषद की सदस्यता दी गई थी।

उधर, नीतीश कुमार द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का समर्थन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने किया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘‘मैंने (कुशवाहा का) एक ट्वीट देखा और वह क्या कहना चाहते हैं, इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। हालांकि मेरी भी राय है कि अगर वह अपनी पार्टी से संबंधित कोई भी मुद्दा उठाना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा नहीं लेना चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी तब से स्पष्ट हो गई है जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के अलावा किसी अन्य को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने की संभावना को खारिज कर दिया था। तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार ने वस्तुतः सत्तारुढ़ 'महागठबंधन' का भावी चेहरा घोषित किया है।

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दूसरी ओर, जनता दल (यूनाइटेड) के संसदीय बोर्ड के बागी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मांग की है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच कथित 'सौदे' के बारे में सच सामने आना चाहिए और उन्होंने अफवाहों का दौर खत्म करने के लिए पार्टी की तत्काल बैठक की भी मांग की। विधान पार्षद उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने आधिकारिक आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि वह जद (यू) सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ देंगे, क्याकि पार्टी के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार ने उनसे ऐसा करने के लिए कहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कहते रहे हैं कि मैंने तीन बार पार्टी छोड़ी है और मैं अपनी मर्जी से वापस आया हूं। मुझे उन्हें अवश्य सही बताना चाहिए। मैं अलग हुआ हूं, लेकिन केवल दो बार लौटा हूं। मेरी पहली वापसी 2009 में हुई थी जब कुमार ने एक सार्वजनिक समारोह में मुझसे लौटने का अनुरोध किया था। वर्ष 2021 में मेरी वापसी फिर से असहाय कुमार के अनुरोध के बाद हुई थी, जो उस समय तक बहुत कमजोर हो चुके थे।’’ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) का विलय दो साल पहले जद (यू) में हुआ था। जद (यू) नेता ने नीतीश कुमार को विधानसभा के पटल पर तेजस्वी यादव द्वारा व्यक्तिगत अपमान की याद दिलाने की भी कोशिश की, जब तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता थे।

कुशवाहा ने खुद का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मैं नीतीश कुमार की इच्छा के अनुसार पार्टी के मंच पर अपनी चिंताओं को उठाने के लिए तैयार हूं, बशर्ते मेरी एक बात मानी जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय से मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने की मांग करता रहा हूं। हमारे पास चर्चा करने के लिए मुद्दे हैं। पार्टी कमजोर हो रही है। अफवाह यह है कि राजद के साथ किसी तरह का समझौता हुआ है। इस पर पार्टी फोरम में चर्चा होनी चाहिए।’’ 

यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बिहार की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भविष्य में किसी भी वक्त तेजस्वी यादव को सब कुछ सौंपकर अपनी ऊर्जा राष्ट्रीय राजनीति में लगाने को तैयार हो गये हैं। उपेन्द्र कुशवाहा ने आरोप लगाया, ‘‘मेरे सामने एक ही विकल्प था- सीधे मुख्यमंत्री से बात करना। मैं दिसंबर के तीसरे हफ्ते में पार्टी की कमजोरियों को उजागर करने के लिए उनसे मिला था। उन्होंने मुझे यह कहकर झिड़क दिया कि क्या मैं भाजपा से हाथ मिलाने के बारे में सोच रहा हूं।’’

जद (यू) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने नीतीश कुमार के बार-बार यह कहे जाने पर पर प्रतिक्रिया दी कि कुशवाहा ‘‘जितनी जल्दी हो सके, जहां भी जाना चाहते हैं, जाने के लिए स्वतंत्र हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस संगठन के साथ अपने पिछले अवतार ‘समता पार्टी’ के साथ हूं। मैं सिर्फ इसलिए पार्टी नहीं छोड़ूंगा कि मुझे ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है।’’

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