नीतीश ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की चर्चा पर आश्चर्य जताया

Nitish Kumar

भागलपुर में समाज सुधार अभियान के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री कुमार से विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की चर्चा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने हाथ जोड़कर अनभिज्ञता जाहिए करते हुए कहा कि ऐसा उनके दिमाग में कोई विचार नहीं है और ना ही उनकी कोई कल्पना है।

पटना| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को लेकर छिड़ी सियासी चर्चा पर मंगलवार को आश्चर्य जताया।

भागलपुर में समाज सुधार अभियान के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री कुमार से विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की चर्चा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने हाथ जोड़कर अनभिज्ञता जाहिए करते हुए कहा कि ऐसा उनके दिमाग में कोई विचार नहीं है और ना ही उनकी कोई कल्पना है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक ने कहा है कि अगर कुमार भाजपा के साथ संबंध तोड़ लेते हैं तो शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टीदेश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए जदयू नेता का समर्थन करने के लिए तैयार है।

बिहार में कुमार की सहयोगी पार्टी भाजपा लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में है। उसकी ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन उसे राष्ट्रपति पद पर अपनी पसंद के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए अन्य दलों के समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ सकता है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है। निर्वाचक मंडल में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के अलावा संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। देश में शीर्ष पद के लिए कुमार के नाम पर उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राजद की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आयी हैं।

लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव ने सवाल किया कि ‘‘हत्या के आरोपी’’ को शीर्ष पद पर कैसे चुना जा सकता है? तेजप्रताप करीब तीन दशक पुराने एक मामले का जिक्र कर रहे थे जिसमें कुमार को उच्चतम न्यायालय ने बरी कर दिया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने हालांकि यह जरूर कहा कि एक बिहारी के रूप में उन्हें गर्व होगा यदि राज्य का कोई नेता राष्ट्रपति बनता है पर साथ में यह भी आरोप लगाया कि कुमार भाजपा के संबंध विच्छेद करने के बाद फिर उससे हाथ मिलाने की वजह से अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं।

राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने राष्ट्रपति पद के पिछले दो चुनावों में कुमार के रुख को याद किया जब उन्होंने राजग के साथ होने के बावजूद प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था और महागठबंधन जिसमें राजद और कांग्रेस शामिल थे, का हिस्सा होने के बावजूद कोविंद का समर्थन किया था जो भाजपा के उम्मीदवार थे।

मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह बताया जा रहा है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर विपक्षी दलों के बीच कुमार के पक्ष मेंराय बनाने में भूमिका निभा रहे हैं। वहीं जदयू नेता और राज्य के मंत्री श्रवण कुमार ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री शीर्ष पद के योग्य हैं। वह कुमार के विश्वासपात्र माने जाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘वह सर्वोच्च पदों के लिए उपयुक्त हैं। जहां तक मेरा सवाल है, जब मुख्यमंत्री का पद मेरे हाथ में आया तो मैं चुनौती स्वीकार करने से नहीं हिचकिचाया।’’ कुमार के घोर विरोधी रहे लोजपा नेता चिराग पासवान ने कटाक्ष करते कहा, ‘‘नई कुर्सी की सुगबुगाहट को खारिज नहीं किये सुशासन बाबू।

विपक्ष का चेहरा बनने की दिली ख्वाहिश पूरी हो रही है। अपने लिए एक के बाद एक पद का इंतजाम करने को आदत बना चुके हैं नीतीश जी। कर बिहार के युवाओं की दुर्गति, नीतीश जी बनने चले राष्ट्रपति।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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