लोगों की सहानुभूति के लिए रेप पीड़िता की पहचान जाहिर करने की जरूरत नहीं: HC

No Need of Revealing Identity of Rape Victims for Public Sympathy, says HC
[email protected] । Apr 26 2018 9:18AM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन उत्पीड़न पीड़िता के नाम या तस्वीर का खुलासा नहीं किया जाना चहिए क्योंकि इस तरह के कार्यों का लंबे समय में नुकसानदेह परिणाम होता है

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन उत्पीड़न पीड़िता के नाम या तस्वीर का खुलासा नहीं किया जाना चहिए क्योंकि इस तरह के कार्यों का लंबे समय में नुकसानदेह परिणाम होता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने यह टिप्पणी की। अदालत ने एक मीडिया घराने से यह कहा। जम्मू कश्मीर के कठुआ मामले में आठ वर्षीय बच्ची के नाम का खुलासा करने को लेकर इस मीडिया घराने ने माफी मांगी है। गौरतलब है कि इस घटना के तहत बच्ची से बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी।

मीडिया घराने ने दावा किया कि इसने जन भावनाएं जगाने और सहानुभूति जुटाने के लिए पीड़िता की पहचान जाहिर की। पीठ ने मीडिया घराने के रूख से असहमति जताते हुए कहा कि किसी पीड़िता की पहचान का खुलासा करने का उसके और उसके परिवार पर लंबे समय में नुकसानदेह परिणाम पड़ता है। पीड़िता की पहचान का खुलासा होने का दंश उसके पूरे परिवार को झेलना पड़ता है।

अदालत ने मीडिया घराने को आज से 10 दिनों के अंदर रकम अदा करने का निर्देश दिया। अपने हलफनामे में मीडिया घराने ने कहा कि इसने जनभावनाएं जगाने और सहानुभूति बटोरने तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए बच्ची का नाम और तस्वीर प्रकाशित की। इसने यह भी कहा कि उसे लगा कि इस मामले में इस तरह के प्रकाशन की इजाजत है क्योंकि जनवरी में बच्ची के मृत पाए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर उसका नाम और तस्वीर साझा की जा रही थी।

इसने यह भी कहा कि बच्ची को कोई और नाम देने या उसकी तस्वीर प्रकाशित नहीं करने से मृतका के साथ न्याय नहीं होता। अदालत ने मीडिया घराने के एक ऑनलाइन ब्लॉग में एक आलेख जारी रखने को लेकर भी उसकी खिंचाई की। इस ब्लॉग में मृतका के नाम का खुलासा किया गया था। न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद निगम ने जब अदालत को कुछ हिन्दी अखबारों सहित अन्य मीडिया घरानों के बारे में बताया, तब पीठ ने उन्हें नोटिस जारी किया और सुनवाई की अगली तारीख 18 मई तक उनका जवाब मांगा।

अदालत ने यह भी कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत गूगल, फेसबुक और याहू जैसे सोशल मीडिया मंचों को तस्वीरें दिखाने और प्रसार को लेकर दंडात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसने गूगल और फेसबुक सहित सोशल मीडिया के कई मंचों को नोटिस जारी किया और सुनवाई की अगली तारीख तक उनका जवाब मांगा।

इस बीच, कई अन्य मीडिया घरानों ने हलफनामा दाखिल कर संकेत दिया है कि उन्होंने अदालत के 18 अप्रैल के आदेश का अनुपालन किया है। गौरतलब है कि अदालत ने 18 अप्रैल को 12 मीडिया घरानों को निर्देश दिया था कि आठ वर्षीय मृत बच्ची की पहचान जाहिर करने को लेकर उनमें से प्रत्येक 10 लाख रूपये का मुआवजा अदा करे।

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