श्रीनगर लोकसभा सीट के 90 मतदान केंद्रों पर किसी ने नहीं डाला वोट

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[email protected] । Apr 19 2019 9:06AM

बडगाम के 13 मतदान केंद्रों पर भी कोई वोट डालने नहीं आया। बडगाम इलाके के चडूरा में पांच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम 9.2 फीसदी मतदान हुआ जबकि चरार-ए-शरीफ में सबसे अधिक 31.1 फीसदी मतदान हुआ।

श्रीनगर/किश्तवाड़। श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के लिए गुरुवार को हुए चुनाव में इस सीट के करीब 90 मतदान केंद्रों पर किसी भी वोटर ने वोट नहीं डाला। इन 90 में से ज्यादातर मतदान केंद्र श्रीनगर के मुख्य इलाकेमें स्थित हैं। श्रीनगर लोकसभा सीट के तहत आठ विधानसभा सीटें हैं। सूत्रों ने बताया कि जिन मतदान केंद्रों पर किसी ने वोट नहीं डाला वे ईदगाह, खनयार, हब्बा कदल और बटमालू इलाकों में हैं। सोनावर विधानसभा क्षेत्र, जहां पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने वोट डाले, को छोड़कर अन्य सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत इकाई अंक में दर्ज किया गया। ईदगाह विधानसभा क्षेत्र में 3.3 फीसदी मतदान हुआ। सोनावर विधानसभा क्षेत्र में 12 फीसदी मतदान हुआ। पड़ोसी गंदेरबल जिले, जो श्रीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है, में 27 मतदान केंद्रों पर किसी ने वोट नहीं डाले।

बडगाम के 13 मतदान केंद्रों पर भी कोई वोट डालने नहीं आया। बडगाम इलाके के चडूरा में पांच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम 9.2 फीसदी मतदान हुआ जबकि चरार-ए-शरीफ में सबसे अधिक 31.1 फीसदी मतदान हुआ। श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में 12,95,304 पंजीकृत वोटर और 1716 मतदान केंद्र हैं। नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार हैं। वह पिछले चुनाव में भी इसी सीट से जीते थे। पीडीपी ने इस सीट पर आगा सैयद मोहसिन, भाजपा ने खालिद जहांगीर और पीपुल्स कांफ्रेंस ने इरफान अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। नेशनल कांफ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस ने श्रीनगर सीट पर अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।

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इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिवंगत नेता चंद्रकांत शर्मा की मां ने अपने परिजन के साथ किश्तवाड़ के एक मतदान केंद्र पर जाकर वोट डाला और कहा कि उनके वोट चंद्रकांत शर्मा के कातिलों को सजा दिलाने के लिए है। बीते नौ अप्रैल को किश्तवाड़ के एक स्वास्थ्य केंद्र के भीतर आतंकवादियों ने गोली मारकर आरएसएस नेता चंद्रकांत और उनके सुरक्षा गार्ड की हत्या कर दी थी। इसके बाद अधिकारियों ने इलाके में कर्फ्यू लगा दिया था और सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को बुला लिया गया था। चंद्रकांत की मां विद्या देवी ने परिवार के सात सदस्यों के साथ जाकर पशु चिकित्सालय में बने मतदान केंद्र में अपने वोट डाले।

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