Purvottar Lok: Jagdeep Dhankhar का पूर्वोत्तर दौरा और Assam-Meghalaya विवाद के ताजा अपडेट्स

Jagdeep Dhankhar
ANI

असम से आई बड़ी खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के चार और छात्रों को एक कनिष्ठ छात्र के साथ रैगिंग करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है। रैगिंग की घटना की वजह से गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ित छात्र का रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जगदीप धनखड़ पूर्वोत्तर के दौरे पर रहे तो असम मेघालय के बीच अब हालात शांतिपूर्ण नजर आ रहे हैं। इसके अलावा भी देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई बड़ी राजनीतिक और सामाजिक घटनाएं रहीं। आइये एक नजर डालते हैं इस सप्ताह पूर्वोत्तर भारत से आई कुछ बड़ी खबरों पर।

अरुणाचल प्रदेश से शुरुआत करें तो आपको बता दें कि नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस सप्ताह कोलकाता के रास्ते ईटानगर से मुंबई जाने वाली इंडिगो की उड़ान को हरी झंडी दिखाई। अरुणाचल प्रदेश में ईटानगर के होलोंगी में डोनी पोलो हवाई अड्डे से यह पहली उड़ान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को डोनी पोलो हवाई अड्डे का उद्घाटन किया था। यह राज्य का चौथा हवाई अड्डा है। इस दौरान सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर में हवाई संपर्क बढ़ाया गया है और क्षेत्र को अन्य स्थानों से जोड़ने के लिए और उड़ानें संचालित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि 2013-14 में नौ की तुलना में पूर्वोत्तर में 16 अब हवाई अड्डे हो गए हैं।

मिजोरम

मिजोरम से आई बड़ी खबर की बात करें तो आपको बता दें कि बांग्लादेश के ‘चटगांव हिल ट्रैक्ट’ में हिंसा से बचकर मिजोरम आने वाले कुकी-चिन जनजातीय शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 300 के करीब हो गई है। स्थानीय शरणार्थी आयोजन समिति के अध्यक्ष गॉस्पेल हमांगईहजुआला ने बताया कि 21 कुकी-चिन शरणार्थियों ने बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट (सीएचटी) से सीमा पार की। हम आपको बता दें कि सीएचटी में कथित हिंसा के कारण मिजोरम आए कुकी-चिन शरणार्थियों के मद्देनजर लवंगतलाई जिले के परवा गांव के ग्रामीण प्राधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने हाल ही में इस आयोजन समिति का गठन किया था। उल्लेखनीय है कि कुकी-चिन जनजाति बांग्लादेश, मिजोरम और म्यांमा के पहाड़ी इलाकों में फैली हुई है। कुकी-चिन समुदाय के लोग बांग्लादेशी सेना और एक जातीय विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) के बीच सशस्त्र संघर्ष के बाद अपने घर छोड़कर मिजोरम आ रहे हैं।

असम

असम से आई बड़ी खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के चार और छात्रों को एक कनिष्ठ छात्र के साथ रैगिंग करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है। रैगिंग की घटना की वजह से गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ित छात्र का रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया। उल्लेखनीय है कि एमकॉम प्रथम वर्ष के छात्र ने पिछले सप्ताह अपने वरिष्ठों द्वारा की गई रैगिंग से बचने के लिए छात्रावास की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी थी, जिससे उसका हाथ और रीढ़ की हड्डी टूट गई। असम के शिक्षा मंत्री रानोज पेगू ने ट्वीट किया, "डिब्रूगढ़ के रैगिंग पीड़ित श्री आनंद शर्मा की सर्जरी सफलतापूर्वक हुई।" सर्जरी करने वाले डॉक्टर और निजी अस्पताल का धन्यवाद व्यक्त करते हुए मंत्री ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर कहा कि पीड़ित छात्र की हालत में सुधार हो रहा है। विश्वविद्यालय ने रैगिंग के आरोप में 18 छात्रों को संस्थान से निष्कासित कर दिया था। डिब्रूगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बिटुल चेतिया ने कहा, "अब तक रैगिंग की घटना में शामिल पांच छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों को शरण देने के आरोप में एक अन्य व्यक्ति को भी पकड़ा गया है। अन्य को पकड़ने के लिए हमारा तलाश अभियान जारी है।"

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उधर, भारत और बांग्लादेश के पड़ोसी क्षेत्रों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मनाने के लिए पहला सिलहट-सिलचर महोत्सव असम की बराक घाटी में शुरू हुआ। बांग्लादेश के विदेश मामलों के मंत्री ए.के. अब्दुल मोमेन दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लगभग 75 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ आये हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में मंत्री, व्यवसायी और सांस्कृतिक जगत से जुड़ी हस्तियां शामिल हैं। इस महोत्सव का आयोजन ‘इंडिया फाउंडेशन’ द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में ‘बांग्लादेश फाउंडेशन फॉर रीजनल स्टडीज’ के सहयोग से किया जा रहा है। महोत्सव का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना है।

उधर, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार से कहा है कि वह राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लाभ बांटने में हुई अनियमितताओं में शामिल अधिकारियों के खिलाफ ‘‘उचित कार्रवाई’’ करे। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने पूर्व में उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि लगभग 12 लाख अपात्र किसानों को केंद्र सरकार की प्रमुख योजना के तहत लाभ मिला है। इसके बाद गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अमगुरी नब निर्माण समिति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ ‘‘उचित कार्रवाई’’ शुरू करने की आवश्यकता है।

इसके अलावा, असम के कोकराझार जिले को प्रभावी सेवा प्रदाय प्रणाली के वास्ते ई-शासन परियोजना के सफल क्रियान्वयन को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। ‘इंफ्रास्ट्रक्चर स्नैपशॉट कोकराझार’ नामक पहल ने ‘ई-शासन में जिला स्तरीय पहल में उत्कृष्टता’ श्रेणी के तहत 2021-22 के लिए ‘ई-शासन’ पुरस्कार जीता है। एक सरकारी बयान के अनुसार भारत सरकार के कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के तहत प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग ने यह पुरस्कार प्रदान किया है।

उधर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने उन मेधावी छात्रों को स्कूटर वितरण की शुरुआत की, जिन्होंने उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। यह योजना प्रज्ञा भारती योजना के तहत डॉ बनिकांत काकती मेरिट अवार्ड के माध्यम से कुल 35,800 लाभार्थियों को लागू की गई, जिनमें से 6,052 लड़के और 29,748 लड़कियां हैं। पुरस्कार के पात्र होने के लिए, लड़कों को असम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित उच्च माध्यमिक परीक्षाओं में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक लाने थे, जबकि लड़कियों के लिए यह 60 प्रतिशत था। एक अधिकारी ने कहा कि राज्य की राजधानी में केंद्रीय कार्यक्रम में कामरूप मेट्रोपॉलिटन और कामरूप जिलों के छात्रों को स्कूटर का वितरण किया गया। बाकी जिलों में दिसंबर में स्कूटर वितरण किया जाएगा।

नगालैंड

दूसरी ओर नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोहिमा में ऐतिहासिक द्वितीय विश्व युद्ध-स्मारक का दौरा किया और कर्तव्य का पालन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। धनखड़ इस साल अगस्त में पदभार ग्रहण करने के बाद पूर्वोत्तर राज्य की अपनी पहली यात्रा पर हैं। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी भी आयी हैं। धनखड़ ने युद्ध स्मारक पर आगंतुक डायरी में लिखा, “द्वितीय विश्व युद्ध में यहां लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि। यह स्मारक असंख्य बलिदानों की याद दिलाता है। उनकी बहादुरी और निस्वार्थता का कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।” वह शुक्रवार को युद्ध स्मारक का दौरा करने के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

इसके अलावा इस सप्ताह नगालैंड में राज्य का 60वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने विकास व शांति के मार्ग पर आगे बढ़ने और नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान की दिशा में काम करने का आह्वान किया। हम आपको बता दें कि म्यांमा की सीमा से लगा नगालैंड 1963 में एक अलग राज्य बना था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नगालैंड के लोगों को राज्य के 60वें स्थापना दिवस पर बधाई दी।

इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नगालैंड की राजधानी से करीब 12 किलोमीटर दूर किसामा में 10 दिवसीय 23वें हॉर्नबिल महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने राजभवन में राज्य के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और उनके कैबिनेट सहयोगियों के साथ बंद कमरे में बैठकें भी कीं।

मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने कहा है कि 22 नवंबर को मुकरोह गांव में हुई हिंसा में छह लोगों की मौत के बाद सीमा विवाद को सुलझाने के लिए असम और मेघालय के बीच दूसरे दौर की वार्ता प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो गई है। उल्लेखनीय है कि असम और मेघालय ने अंतर-राज्यीय सीमा से लगे 12 विवादित क्षेत्रों की पहचान की है। जुलाई 2021 में पहले दौर की चर्चा शुरू करने वाले पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों ने इस साल मार्च में छह क्षेत्रों में मतभेदों को दूर करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। संगमा ने कहा, ‘‘स्थिति (सीमा वार्ता के लिए) थोड़ी जटिल है और हम तुरंत आगे बढ़ने में समर्थ नहीं हैं। इसमें देरी हो सकती है।’’

इसके अलावा, मेघालय मंत्रिमंडल ने असम से लगी राज्य की सीमा से सटे हिंसा प्रभावित मुकरोह गांव सहित सात स्थानों पर पुलिस चौकियां स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने खासी जयंतिया हिल्स क्षेत्र में सात चौकियां स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन चौकियों में से दो वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले में अंतर-राज्यीय सीमा से लगे मुकरोह और तिहवीह गांवों में बनाई जाएंगी।’’

उधर, मेघालय में सत्तारुढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के दो और विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक विधायक ने विधानसभा से इस सप्ताह इस्तीफा दे दिया जिससे दोनों दलों को झटका लगा है। तीनों विधायकों ने संबंधित दलों की सदस्यता भी छोड़ दी है और भाजपा का दामन थाम लिया है। हम आपको बता दें कि एनपीपी के नेतृत्व वाले मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस में भाजपा सहयोगी है। तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद 60 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटाकर 57 हो गई है। वर्तमान में, एनपीपी के सदन में 21 सदस्य, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के आठ विधायक, भाजपा के दो विधायक हैं। वहीं, टीएमसी के 11 विधायक हैं।

इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार ने समुदायों की सामूहिक भागीदारी के जरिये मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल के मुद्दे से निपटने के मकसद से बनाई एक नयी नीति को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि मेघालय देश का तीसरा राज्य है, जिसने खासतौर से बच्चों, किशोरों और युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर ध्यान देते हुए ऐसी नीति बनाई है।

त्रिपुरा

उधर, त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 30 नवंबर को त्रिपुरा में अपने सदस्यों पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा है कि राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जो इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। माकपा का दावा है कि उसके सदस्यों पर उस वक्त हमला किया गया, जब वे सिपाहीजाला जिले में स्थानीय समिति का वह कार्यालय फिर से खोलने गए थे, जिसे पिछले साढ़े चार साल से जबरन बंद करवाकर रखा गया था। उसने घटना के लिए भारतीय जनता के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि भाजपा ने आरोपों को खारिज किया है।

दूसरी ओर, त्रिपुरा के सबरूम में इस सप्ताह भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई। दक्षिण कोरिया के विश्व बौद्ध पोप संगठन के प्रमुख भिक्षु शाक्य गैसन ने थाईलैंड, म्यांमा और बांग्लादेश सहित सात देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में विश्वविद्यालय की बुनियाद रखी। दलाई लामा स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने एक संदेश में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विश्वविद्यालय न केवल त्रिपुरा में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर समेत अन्य स्थानों पर भारत की 'करुणा' और 'अहिंसा' की लंबे समय से चली आ रही परंपराओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इसके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस सप्ताह त्रिपुरा के दौरे पर रहे। उन्होंने त्रिपुरा के इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्य भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के स्तंभ हैं। उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद त्रिपुरा के अपने पहले दौरे को 'यादगार' बताते हुए धनखड़ ने कहा कि लोगों द्वारा दिखाई गई गर्मजोशी और स्नेह से वह अभिभूत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्य भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के स्तंभ हैं।’’ त्रिपुरा दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर स्थित 700 साल पुराने त्रिपुरेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। हम आपको बता दें कि यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।

उधर, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा है कि जो लोग भाजपा से असंतुष्ट हैं, जरूरी नहीं कि वे सभी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को ही वोट दें। उन्होंने कहा कि ऐसे में माकपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को नाराज मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हम आपको बता दें कि त्रिपुरा में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है।

दूसरी ओर, त्रिपुरा के उप-मुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और राज्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसी संस्था बनाने और जनजातीय क्षेत्र के विकास के लिये कोष उपलब्ध कराने समेत अन्य मांग की। देव वर्मा ने इस सप्ताह नयी दिल्ली में अगले वित्त वर्ष के बजट को लेकर बैठक में विधि विश्वविद्यालय और डेंटल कॉलेज स्थापित करने के लिये भी कोष की मांग की।

मणिपुर

मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में पर्व, उत्सव और मेलों को सदियों पुरानी परंपरा बताते हुए कहा है कि इनके जरिए ना सिर्फ संस्कृति समृद्ध होती है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बहुत ताकत मिलती है। इंफाल में आयोजित ‘‘संगाई महोत्सव’’ में प्रधानमंत्री ने एक वीडियो संदेश में कहा कि मणिपुर इतने प्राकृतिक सौन्दर्य, सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता से भरा राज्य है कि हर कोई यहां एक बार जरूर आना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे अलग-अलग मणियां एक सूत्र में एक सुंदर माला बनाती हैं, मणिपुर भी वैसा ही है। इसीलिए, मणिपुर में हमें मिनी इंडिया के दर्शन होते हैं।’’

इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस सप्ताह पूर्वोत्तर के दौरे पर रहे। मणिपुर में उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता को मणिपुर सहित देश भर में विभिन्न स्थानों पर मनाया जाएगा। उन्होंने मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह भारत को विश्व से रूबरू कराने के लिए सरकार के पास एक अवसर है। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि जी20 की अध्यक्षता मनाई जाए और इसमें पूरा देश भाग ले।'' उन्होंने कहा कि मणिपुर सहित कई राज्य और शहर जी20 से जुड़े कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे।’’

-गौतम मोरारका

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