Purvottar Lok: खासी समुदाय की पोशाक के अपमान पर बवाल, असम में अतिक्रमण रोधी अभियान, मिजोरम मंत्रिमंडल विस्तार...समेत और भी बहुत कुछ

Narendra Modi
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खासी पोशाक पर तृणमूल कांग्रेस के नेता कीर्ति आज़ाद की कथित अपमानजनक टिप्पणी ने पूर्वोत्तर में विवाद खड़ा कर दिया है। पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसकी निंदा की है वहीं पूर्व क्रिकेटर ने कहा है कि वह पोशाक का अपमान नहीं कर रहे थे।

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन की सेना के बीच हाल में हुई झड़प का मुद्दा हो, असम में सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए चलाया गया अभियान हो या फिर मेघालय की पारम्परिक पोशाक का तृणमूल कांग्रेस के नेता की ओर से उड़ाया गया मजाक हो या फिर नगालैंड में पूर्वी नगालैंड को अलग राज्य बनाने की मांग की बात हो या फिर असम और अरुणाचल के बीच सीमा मुद्दे पर वार्ता हो या फिर मिजोरम सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो या फिर त्रिपुरा और मेघालय में बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी की बात हो...आज के कार्यक्रम में हम आपको राज्यवार विस्तार से इस सप्ताह का घटनाक्रम बताएंगे लेकिन सबसे पहले नजर डालते हैं पूर्वोत्तर से इस सप्ताह की सबसे बड़ी खबर पर।

खासी पोशाक पर तृणमूल कांग्रेस के नेता कीर्ति आज़ाद की कथित अपमानजनक टिप्पणी ने पूर्वोत्तर में विवाद खड़ा कर दिया है। पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसकी निंदा की है वहीं पूर्व क्रिकेटर ने कहा है कि वह पोशाक का अपमान नहीं कर रहे थे बल्कि प्रधानमंत्री के ‘फैशन स्टेटमेंट’ पर टिप्पणी कर रहे थे। हम आपको बता दें कि कीर्ति आज़ाद ने अपने ट्विटर पेज पर 18 दिसंबर को शिलांग में एक जनसभा के दौरान पारंपरिक खासी पोशाक ‘जिमफोंग’ पहने मोदी की और उसी तरह की पोशाक पहने एक महिला की तस्वीरें साझा की थी। साथ में दो पंक्तियां हिंदी में लिखी थी जिससे विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट को हटा दिया था। मेघालय, असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने कीर्ति आजाद की टिप्पणी की निंदा की और माफी की मांग की।

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि टीएमसी नेता को ऐसा बयान देना पड़ा। यह हमारे राज्य के लोगों, खासकर खासी लोगों के लिए बहुत अपमानजनक था।” उन्होंने कहा, "यह एक असंवेदनशील बयान था और संबंधित राजनीतिक दल को हमारे लोगों और संस्कृति का अपमान करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।" भाजपा ने भी विवादित ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मॉवरी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहनी गई पोशाक का मजाक उड़ाना बहुत दुखद है। प्रधानमंत्री जब भी हमारे राज्य का दौरा करते हैं तो पारंपरिक पोशाक का सम्मान करते हैं और उसे गर्व से पहनते हैं।"

पड़ोसी असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ट्वीट किया, "यह देखकर दुख होता है कि कीर्ति आज़ाद मेघालय की संस्कृति का अनादर कर रहे हैं और हमारे आदिवासी पहनावे का मज़ाक उड़ा रहे हैं। टीएमसी को तत्काल स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे उनके विचारों का समर्थन करती हैं। उनकी चुप्पी मौन समर्थन के समान होगी और लोग उन्हें क्षमा नहीं करेंगे।” अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी आजाद के ट्वीट की निंदा की।

उधर असम से आई खबरों की बात करें तो इस सप्ताह विधानसभा सत्र के दौरान काफी राजनीतिक गहमागहमी देखने को मिली। इस बीच, राज्य सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी कि असम में 3,000 से अधिक स्कूलों में लड़कों के लिए उचित शौचालय की सुविधा नहीं है, जबकि 1,600 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं के लिए ऐसी सुविधाओं की कमी है। शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा कि 1,100 से अधिक स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है और 1,000 से अधिक में बिजली कनेक्शन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि 2,900 स्कूल एकल शिक्षकों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जबकि लगभग 4,800 शैक्षणिक संस्थानों में कोई विभाजन दीवार नहीं है और वे एक कमरे में संचालित होते हैं।

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इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच क्षेत्रीय समिति स्तर की सीमा वार्ता के तीसरे दौर में अंतरराज्यीय सीमा से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझाने में सफलता मिली है। दोनों राज्यों के मंत्रियों ने यह जानकारी दी। असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा और अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चौना मीन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीन सीमावर्ती जिलों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए ‘‘सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा हुई।’’ चौना मीन ने कहा कि समिति के सदस्यों ने बैठक में शामिल होने से पहले अरुणाचल प्रदेश में नमसाई और लोहित जिलों तथा असम में तिनसुकिया जिले के विवादित क्षेत्रों का दौरा किया था और विभिन्न पक्षकारों से बात की थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अब इन इलाकों में कोई मुद्दा नहीं है।’’ वहीं अतुल बोरा ने कहा कि समिति दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रीयों को रिपोर्ट सौंपेगी, जो इस रिपोर्ट को केंद्र के पास भेजेंगे। हम आपको बता दें कि क्षेत्रीय स्तर की वार्ता का पहला दौर नमसाई में और दूसरा दौर डिब्रूगढ़ में आयोजित किया गया था। दोनों राज्य 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। अरुणाचल प्रदेश, जिसे 1972 में केंद्र-शासित प्रदेश बनाया गया था, ने आरोप लगाया है कि मैदानी इलाकों में कई वन क्षेत्र, जो पारंपरिक रूप से उसके पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों से संबंधित थे, एकतरफा रूप से असम में स्थानांतरित कर दिए गए थे। 1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद एक त्रिपक्षीय समिति गठित की गई थी, जिसने सिफारिश की कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल में स्थानांतरित किया जाए। असम ने सिफारिश का विरोध किया और मामला उच्चतम न्यायालय में है।

इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने असम के सोनितपुर जिले में एक पुल के नीचे से बुधवार को छह देसी बम बरामद किए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सेना और पुलिस के संयुक्त गश्ती दल ने ढेकियाजुली इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग-15 पर चिराजुली पुल के नीचे विस्फोटक देखे। उन्होंने बताया कि बम बाद में निष्क्रिय कर दिये गए। अधिकारी ने बताया कि ऐसा संदेह है कि उग्रवादी संगठनों ने आगामी क्रिसमस और नये साल के समारोहों के दौरान शांति भंग करने के लिए ये बम रखे थे। हालांकि, अभी तक किसी भी उग्रवादी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने विपक्षी दलों की अपीलों को दरकिनार करते हुए कहा है कि भाजपा शासित राज्य ‘‘असम में सरकारी और वन भूमि’’ को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए अभियान जारी रहेगा। यह बयान राज्य के नौगांव जिले के बटद्रवा में इस सप्ताह की शुरुआत में एक अभियान की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें असम के मध्यकालीन वैष्णव संत शंकरदेव के जन्मस्थान के आसपास के क्षेत्र स्थित सरकारी भूमि से 5,000 से अधिक "अतिक्रमण करने वालों" को हटाया गया। विधानसभा में मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकारी जमीन से हटाये गए कई लोग, जो वास्तव में भूमिहीन थे, उन्हें सत्यापन के बाद सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर जमीन के 'पट्टे' दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ''सभी लोगों को..चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान, उन्हें सत्रो (वैष्णव मठ) की जमीन खाली करनी होगी। हम सभी से अतिक्रमण वाली जमीन खाली करने का आग्रह करते हैं..नहीं तो हमें उसे खाली करवाना पड़ेगा।’’

इसके अलावा, असम मानवाधिकार आयोग ने नगांव के उपायुक्त से वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान बाटाडरावा के समीप एक खास क्षेत्र में चलाये गये अतिक्रमण हटाओ अभियान पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। धींग राजस्व क्षेत्र में शांतिजन बाजार में 300 परिवारों को वहां से हटाये जाने के संबंध में मीडिया में आयी खबर का संज्ञान लेते हुए आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति टी वैफी और सदस्य देव कुमार सैकिया ने उपायुक्त नरेंद्र कुमार शाह को 18 जनवरी तक इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

इसके अलावा, असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) समझौते ने क्षेत्र में पूर्ण शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है। उल्लेखनीय है कि बीडीआर समझौते पर तीन साल पहले हस्ताक्षर किए गए थे। जगदीश मुखी ने वर्तमान बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के दो साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में कहा कि बीटीआर समझौते पर हस्ताक्षर एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने क्षेत्र में मूर्त शांति और विकास को एक वास्तविकता बना दिया। जगदीश मुखी ने समझौते को हकीकत बनाने में दिए गए अमूल्य योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा का आभार जताया।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने राज्य के मंदिरों और नामघरों (वैष्णव प्रार्थना सभागार) के पुजारियों को औपचारिक रूप से 10-10 हजार रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि 6,124 'नामघोरिया' (वैष्णव पुजारी) और 2,148 पुरोहितों (मंदिर के पुजारी) को अनुदान दिया गया है। इसमें कहा गया कि यह मदद कोविड प्रभावित आबादी को वित्तीय सहायता देने के राज्य सरकार के वादे के तहत दी गई है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) परिकल्पना को हकीकत में तब्दील करने की कोशिश करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने एक विशेष योजना ‘ओरुनोदोई 2.0’ शुरू की है, जिसके तहत 10.54 लाख लाभार्थियों को हर महीने 1,250 रुपये दिए जाएंगे। इस तरह, एक दिसंबर 2020 को शुरू की गई गरीबी उन्मूलन योजना के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या बढ़कर अब लगभग 27 लाख हो जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि ओरुनोदोई के तहत राशि प्रत्येक लाभार्थी के बैंक खाते में आमतौर पर हर महीने की 10 तारीख तक अंतरित कर दी जाती है। यह वर्तमान में जारी असम सरकार की 18 प्रमुख योजनाओं में से एक है।

इसके अलावा, असम के हाइलाकांडी जिले में एक चाय बागान के लगभग 500 मजदूरों ने परिचालन ‘अचानक’ रोके जाने की घोषणा के बाद विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हाइलाकांडी शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गगलाचेरा चाय बागान के कर्मचारी बृहस्पतिवार से ही बागान अधिकारियों के फैसले का विरोध कर रहे हैं। दरअसल अधिकारियों ने एक दिन पहले बागान का परिचालन बंद करने की घोषणा कर दी थी। विवाद को खत्म करने के लिए स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ एक चाय संघ ने पहल की है।

मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो कांग्रेस ने मणिपुर में 1700 करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) ‘‘घोटाले’’ का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है। उसने इस भ्रष्टाचार में शामिल मंत्रियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की भी मांग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में कांग्रेस की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष के. मेघचंद्र ने कहा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस की टीम मणिपुर में पीएमजीएसवाई ‘सड़क घोटाले’ को अब भी उजागर कर रही है। पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों से टीम मीडिया के साथ पहाड़ के अंदरूनी क्षेत्रों में जैसे चूरचंदपुर, नॉनी और कामजोंड जिलों में जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई सड़कों का निरीक्षण करने के बाद यह पाया गया कि धनावंटन के बावजूद कोई काम नहीं हुआ है और दस्तावेज में कार्य पूर्ण होने की बात दर्ज की गई है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर के नोनी जिले में एक स्कूल बस दुर्घटना में छात्रों की मौत पर दुख जताया और प्रत्येक मृतक के परिजन को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। हम आपको बता दें कि इस हादसे में सात छात्रों की मौत हो गई, जबकि 25 अन्य घायल हो गए। यह हादसा मणिपुर की राजधानी इंफाल से करीब 55 किलोमीटर दूर पहाड़ी जिले के लोंगसाई इलाके के पास ओल्ड कछार रोड पर हुआ था। दुर्घटनास्थल से निकाले जाने के बाद घायल विद्यार्थियों का इंफाल के कुछ अस्पतालों में इलाज हो रहा है।

इसके अलावा, कांग्रेस ने अगले साल होने वाले मेघालय विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य के लिए प्रदेश चुनाव समिति और चुनाव अभियान समिति का गठन किया है। पार्टी की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इन समितियों के गठन को स्वीकृति प्रदान की। पार्टी के वरिष्ठ नेता विंसेट पाला प्रदेश चुनाव समिति की अध्यक्षता करेंगे। समिति में 10 सदस्य होंगे और तथा राज्य से जुड़े अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के फ्रंटल संगठनों के प्रमुख इसमें पदेन सदस्य होंगे।

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने कहा है कि असम सीमा के पास मुकरोह गांव में हुई हिंसा टाली जा सकती थी, बशर्ते कि दोनों राज्य सरकारों की सभी एजेंसियों ने उपयुक्त समन्वय एवं संवाद किया होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह और असम के उनके समकक्ष इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक दूसरे के संपर्क में हैं। उल्लेखनीय है कि अवैध लकड़ी से लदे एक ट्रक को असम के वन रक्षकों द्वारा रोके जाने के बाद 22 नवंबर को तड़के असम-मेघालय सीमा पर हिंसा भड़क गई थी। झड़पों के बीच एक वन रक्षक सहित छह लोगों की गोली मार दी गई थी।

इसके अलावा, मेघालय में कांग्रेस से निलंबित किये गये विधायक अंपरीन लिंगदोह और मोहिंद्रो रैपसांग ने इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा की मौजूदगी में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हो गए। इवरीनघेप में आयोजित एक कार्यक्रम में संगमा ने दोनों नेताओं का पार्टी में स्वागत किया। कांग्रेस छोड़ने के अलावा दोनों विधायकों ने विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया था। हम आपको बता दें कि मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए अगले साल की शुरुआत में चुनाव होना है।

इसके अलावा त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो गत रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के त्रिपुरा दौरे के बाद से राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं। इसके अलावा, इस सप्ताह राज्यसभा में भाजपा के सदस्य और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने त्रिपुरा के सोनामुरा से बांग्लादेश के दाउदकांडी तक जलमार्ग परियोजना का काम तेजी से पूरा करने का अनुरोध किया। विशेष उल्लेख के माध्यम से यह मुद्दा उठाते हुए विप्लब देब ने कहा कि इस परियोजना का ट्रायल रन भी किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद कुछ कमियां रह गई हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के हिस्से वाले जलमार्ग में गाद की सफाई की जानी है लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। बिप्लब देब ने बताया कि भारत की ओर से बांग्लादेश को प्रस्ताव दिया गया था कि उसके हिस्से का काम भी कर लिया जाएगा लेकिन उसने इंकार कर दिया था। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस सिलसिले में बांग्लादेश सरकार से बात करे और परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करे।

नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो पूर्वी नगालैंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग का अध्ययन कर रही केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक टीम ने राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और वरिष्ठ नौकरशाहों से मुलाकात कर मामले पर सरकार की राय जानी। अधिकारियों के मुताबिक, गृह मंत्रालय (पूर्वोत्तर) के सलाहकार एके मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय तथ्यान्वेषी टीम ने पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) द्वारा अलग राज्य की मांग पर चर्चा की और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा उपलब्ध कराए गए धन की प्रकृति और राशि के बारे में जानकारी मांगी। इसके बाद नेफ्यू रियो ने कहा, ''यह सब गृह मंत्रालय पर निर्भर करता है और हमें उम्मीद है कि कुछ फैसला लिया जाएगा।’’

इसके अलावा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा है कि नगा शांति वार्ता में क्रिसमस से पहले कोई सफलता मिलने की उम्मीद नहीं है। नेफ्यू रियो ने कोहिमा के बाहरी इलाके चीफोबोजोउ में एक कार्यक्रम से इतर कहा कि नगा वार्ताकार नयी दिल्ली से लौट आए हैं और क्रिसमस से पहले कोई सफलता मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि वार्ता इस त्योहारी मौसम के बाद ही फिर से शुरू होगी। नगालैंड में अगले साल की शुरुआत में होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नगा समूहों से पहले ही कह चुकी है कि यदि कोई समाधान नहीं निकलता है तो राज्य सरकार को दोष नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वह केवल इसमें सहायक की भूमिका निभा रही है।

इसके अलावा, नगालैंड में विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने एनएससीएन-आईएम के शीर्ष नेता टी. मुइवा के एक करीबी और अन्य को नोटिस जारी कर (अदालत में) पेश होने के लिए कहा है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद ये नोटिस जारी किए हैं। ईडी ने एक बयान में कहा कि “नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) धड़े द्वारा चलाए जा रहे एक जबरन वसूली रैकेट” से जुड़े एक मामले में अभियोजन की शिकायत में स्वयंभू कर्नल और एनएससीएन-आईएम के कोषाध्यक्ष रायलुंग एनसारंगबे उर्फ पेला न्सा जेमे और उसकी पत्नी रुथ चावंग को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है।

मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो राज्य में इस सप्ताह चार नये कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किये जाने के साथ ही जोरमथांगा मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। मिजोरम के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने यहां राजभवन में चार नये कैबिनेट मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। चार नये कैबिनेट मंत्रियों में लालरिनामा, के. लालरिनलियाना, लालछंदामा राल्ते और लालरुअतकीमा शामिल हैं। इसके साथ ज़ोरमथांगा मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या छह से बढ़कर 10 हो गयी है। मंत्रिमंडल में दो राज्य मंत्री भी शामिल हैं।

इसके अलावा, मिजोरम ने 2,000 से अधिक ब्रू मतदाताओं के नाम पड़ोसी राज्य त्रिपुरा की मतदाता सूची में नामांकन के बाद अपनी मतदाता सूची से हटा दिए। यह जानकारी एक निर्वाचन अधिकारी ने दी। मिजोरम के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डेविड लियानसांग्लुरा पचुआउ ने कहा कि राज्य निर्वाचन विभाग को अब तक त्रिपुरा समकक्ष से 3,000 से अधिक नामों को हटाने का अनुरोध प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इसमें से 2,091 ब्रू मतदाताओं के नाम अब तक मिजोरम की मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं और शेष मतदाताओं के नामों को हटाने का काम चल रहा है।

उधर, अरुणाचल प्रदेश की बात करें तो वहां से सबसे बड़ी खबर तवांग में हाल में भारत और चीन सेना के बीच झड़प ही रही। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया जबकि विदेश मंत्री ने संसद को जानकारी दी कि सब कुछ नियंत्रण में है। दूसरी ओर, अरुणाचल प्रदेश में सीमाई इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास का काम तो तेजी से जारी ही है साथ ही मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ाकर कनेक्टिविटी को भी सुधारा जा रहा है। स्थानीय लोग मोबाइल संपर्क के बेहतर होने से काफी खुश हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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