Purvottar Lok: Manipur में हिंसा के दौर को हुए 100 से ज्यादा दिन, पढ़िये पूर्वोत्तर भारत से सप्ताह भर की बड़ी खबरें

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ANI

अरुणाचल प्रदेश में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने घुसपैठ के प्रति चिंता जताते हुए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये। दूसरी ओर, मेघालय के मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर के युवाओं को अपनी मानसिकता बदलने की नसीहत दी।

मणिपुर में हिंसा के दौर को अब 100 से भी ज्यादा दिन हो चुके हैं। इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत माता की हत्या की गयी है तो वहीं प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर हमारे दिल का टुकड़ा है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि पूर्वोत्तर में शांति के सूर्य का उदय होगा। इसी के साथ ही लोकसभा ने मणिपुर में शांति की अपील संबंधी प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। दूसरी ओर असम सरकार केंद्र और उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति वार्ता की तैयारी कर रही है तो नगालैंड के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि उनका राज्य महिलाओं के लिए सर्वाधिक सुरक्षित है। अरुणाचल प्रदेश में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने घुसपैठ के प्रति चिंता जताते हुए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये। दूसरी ओर, मेघालय के मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर के युवाओं को अपनी मानसिकता बदलने और आरक्षण से ऊपर उठकर देखने की नसीहत दी। आइये एक नजर डालते हैं पूर्वोत्तर से आये समाचारों पर और सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

‘द मणिपुर ट्राइबल्स फोरम डेल्ही’ ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि राज्य में हिंसा भड़कने के 100 दिन बीत जाने के बावजूद कोई ठोस समाधान पेश नहीं किया गया है। समूह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से 130 से अधिक आदिवासियों की मौत हो चुकी है और समुदाय के 55,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में विस्थापित हो गए हैं। समूह ने एक बयान में कहा, “आज मणिपुर में हिंसा का 100वां दिन है। मणिपुर का भू-जनसांख्यिकीय परिदृश्य स्थायी रूप से बदल गया है। 130 से अधिक आदिवासी मारे गए हैं, 6,000 से अधिक आदिवासियों के घरों को आग लगा दी गई है और 55,000 से अधिक आदिवासी विस्थापित हुए हैं तथा राहत शिविरों में रह रहे हैं। फिर भी, राज्य में शांति बहाल करने के लिए कोई ठोस समाधान पेश नहीं किया गया है।” बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पड़ोसी देश में 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद उग्रवादियों पर हुई कार्रवाई के चलते वहां से कुकी शरणार्थियों की आमद के कारण मणिपुर में समस्याएं शुरू हुईं। शाह के बयान की ओर इशारा करते हुए समूह ने कहा, “कुकी शरणार्थियों के बारे में संसद में गृहमंत्री का बयान निराशाजनक था। न्याय और लोकतंत्र के अस्तित्व की खातिर, यह पता लगाया जाना चाहिए कि ये आरोप सही हैं या नहीं।”

इसके अलावा, मणिपुर के ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में जातीय हिंसा के बारे में लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणियों से आदिवासी और कुकी-ज़ो समुदाय के सदस्यों को निराशा हुई है। आदिवासियों के संगठन आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा के चलते 130 से अधिक कुकी-जो आदिवासियों की मौत हुई है। इसके अलावा 41,425 आदिवासी विस्थापित हुए हैं और मेतेई व आदिवासी शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हो गए हैं। बयान में कहा गया, “और सबसे अच्छा स्पष्टीकरण जो गृह मंत्री दे सकते हैं वह है म्यांमा से शरणार्थियों का प्रवेश।” आईटीएलएफ ने कहा कि मिजोरम ने म्यांमा से आए 40,000 से अधिक शरणार्थियों और मणिपुर से विस्थापित लोगों का स्वागत किया है और यह अभी भी भारत का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है। आईटीएलएफ ने कहा कि शरणार्थियों पर ऐसा संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाना बिलकुल "गलत" है। बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा था कि पड़ोसी देश में 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद उग्रवादियों पर हुई कार्रवाई के चलते वहां से कुकी शरणार्थियों की आमद के कारण मणिपुर में समस्याएं शुरू हुईं। शाह ने कहा कि कुकी शरणार्थियों ने मणिपुर घाटी के जंगलों में बसना शुरू कर दिया, जिससे क्षेत्र में जनसांख्यिकीय में बदलाव की आशंका बढ़ गई है।

इसके अलावा, मणिपुर के 10 आदिवासी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हिंसा प्रभावित राज्य में असम राइफल्स को सुरक्षा ड्यूटी से नहीं हटाने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया और कहा कि इसके कर्मी दो युद्धरत समुदायों के बीच बफर जोन बनाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन में विधायकों ने कहा कि भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल असम राइफल्स अपनी स्थापना के बाद से ही देश की आंतरिक और बाहरी रक्षा में योगदान कर रहा है। एक दिन पहले 40 विधायकों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि असम राइफल्स को वर्तमान तैनाती स्थल से स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। पत्र में उन्होंने कहा था कि राज्य सुरक्षा बल के साथ-साथ ‘‘भरोसेमंद केंद्रीय सुरक्षा बल’’ शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए सभी खतरों को ‘‘निष्प्रभावी और नष्ट’’ करने को लेकर उसका (असम राइफल्स का) स्थान ले सकते हैं। इन 40 विधायकों में अधिकांश मेइती समुदाय से संबंध रखते हैं। दस आदिवासी विधायकों ने कहा कि अब तक, असम राइफल्स मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ, आईटीबीपी, आरएएफ, सीआरपीएफ आदि जैसे अन्य केंद्रीय बलों के साथ संयुक्त रूप से कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा, “हम, मणिपुर के 10 आदिवासी विधायक विनम्रतापूर्वक आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं और आपके आशीर्वाद व तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं।”

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इसके अलावा, मणिपुर में शांति बहाली के लिए सभी से मिलकर काम करने और वहां के लोगों के लिए ‘दर्द की दवा’ बनने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र वैश्विक दृष्टि से ‘‘केद्र बिंदु’’ बनने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मणिपुर के लोगों से आग्रह पूर्वक कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है। वहां फिर से शांति की स्थापना होगी।’’ लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे लिए उत्तर पूर्व भले ही दूर लगता है, लेकिन जिस प्रकार से दक्षिण पूर्व एशिया देशों का विकास हो रहा है, आसियान देशों का विकास हो रहा है। वह दिन दूर नहीं जब उत्तर पूर्व वैश्विक दृष्टि से केद्र बिंदु बनने वाला है।’’ उन्होंने कहा कि मणिपुर में पहले भी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं, लेकिन मिलकर रास्ते निकाले गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आओ मिलकर चलें, मणिपुर के लोगों को विश्वास में लेकर चले। राजनीति के खेल के लिए तो कम से कम मणिपुर की भूमि का इस्तेमाल नहीं करें। वहां जो हुआ वो दुखपूर्ण है किंतु वहां जो हुआ, उस दर्द को समझ कर दर्द की दवाई बनकर काम करें। यही हमारा रास्ता होना चाहिए।’’ मणिपुर में गत तीन मई से जारी अशांति की स्थिति समाप्त होने और जल्द शांति बहाल होने का विश्वास जताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि निकट भविष्य में इस प्रदेश में शांति का सूरज उगेगा और वह नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर पर अदालत का एक फैसला आया। उसके पक्ष- विपक्ष में जो परिस्थितियां बनीं, हिंसा का दौर शुरू हो गया। कई लोगों ने अपने लोगों को खोया। महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए। ये अपराध अक्षम्य हैं। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर भरपूर प्रयास कर रही हैं।’’ मोदी ने कहा, ‘‘वहां की माताओं-बहनों, बेटियों से कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है, यह सदन आपके साथ है, हम सब मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालेंगे। वहां फिर से शांति की स्थापना होगी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सदन में मणिपुर के मुद्दे पर विस्तार से और विनम्रता से एक-एक बात को समझाया जिससे देशवासियों के सामने स्थिति स्पष्ट हुई। उन्होंने कहा कि आज मणिपुर की समस्याओं को ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे बीते कुछ समय में ही वहां यह परिस्थिति बनी। उन्होंने मणिपुर समेत उत्तर-पूर्व के राज्यों में वर्षों से व्याप्त विभिन्न समस्याओं के लिए कांग्रेस और उसके शासन वाली पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पूर्वोत्तर में समस्याओं की एकमात्र जननी कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि वहां के लोग इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं, कांग्रेस की राजनीति इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने उत्तर-पूर्व में वहां के लोगों के विश्वास की हत्या की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए पूर्वोत्तर जिगर का टुकड़ा है। उत्तर पूर्व से मेरा भावनात्मक लगाव रहा है। जब मैं राजनीति में नहीं था, तब भी मैंने इस क्षेत्र के चप्पे चप्पे में पैर घिसे हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इनकी पीड़ा, इनकी संवेदना सीमित है। मोदी ने कहा, ‘‘ये राजनीति के दायरे से बाहर आकर मानवता और देश के लिए नहीं सोच सकते। इन्हें सिर्फ राजनीति सूझती है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘ये वो लोग हैं जिन्होंने तुष्टीकरण की राजनीति के लिए देश के ही नहीं, वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े किए।’’ उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया ने पंडित जवाहरलाल नेहरू पर गंभीर आरोप लगाये थे और कहा था, ‘‘ये कितनी लापरवाही की और कितनी खतरनाक बात है। 30,000 वर्ग मील से बड़े क्षेत्र को कोल्ड स्टोरेज में बंद कर विकास से वंचित कर दिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि मणिपुर में आज जो सरकार है वह पिछले छह साल से समर्पित तरीके से वहां की समसस्याओं को समाप्त करने के लिए काम कर रही है। मोदी ने कहा कि पहले मणिपुर में आए दिन बंद और ब्लॉकेड होते थे, लेकिन अब ये बीते दिन की बात हो चुकी है। मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कारों से ओतप्रोत मणिपुर, अनगिनत बलिदान देने वाला मणिपुर कांग्रेस के समय अलगाववाद की आग में बलि चढ़ गया। उन्होंने कहा कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए निरंतन विश्वास जगाने का प्रयास हो रहा है, आगे भी होगा। मोदी ने कहा कि जितना राजनीति को दूर रखेंगे, उतनी शांति आएगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं वोट के लिए यह काम नहीं कर रहा। मैं पूरी ताकत से उत्तर पूर्व के विकास के लिए काम कर रहा हूं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तर पूर्व के विकास को पहली प्राथमिकता दी है और पिछले नौ वर्ष में वहां लाखों करोड़ रुपये अवसंरचना में लगाये गये हैं। मोदी ने कहा कि उत्तर पूर्व में आज आधुनिक रेलवे, आधुनिक राजमार्ग और आधुनिक विमान पत्तन वहां की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तर पूर्व की भागीदारी बढ़ी है, नगालैंड से पहली बार राज्यसभा में एक महिला सदस्य आई हैं और पहली बार इतनी बड़ी संख्या में उत्तर पूर्व के लोगों को पद्म पुरस्कार प्रदान किये गये हैं।

इसके अलावा, मणिपुर में यौन उत्पीड़न का एक और मामला सामने आया है। चुराचांदपुर जिले की एक विवाहित महिला ने आरोप लगाया है कि तीन मई को अपने जलते हुए घर से भागते समय पुरुषों के एक समूह ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक, इस संबंध में नौ अगस्त को बिष्णुपुर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में इसे आगे की जांच के लिए चुराचांदपुर थाने में स्थानांतरित कर दिया गया। प्राथमिकी के मुताबिक, चुराचांदपुर जिले के खुमुजाम्बा मेइती लेइकाई में कुकी समुदाय के कुछ अज्ञात पुरुषों ने महिला (37) के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। पीड़ित महिला की ओर से पुलिस को दिए गए बयान के अनुसार, तीन मई को शाम 6.30 बजे के आसपास कुकी समुदाय के उपद्रवियों के एक समूह ने महिला के घर सहित कई घरों में आग लगा दी। अफरा-तफरी के बीच महिला ने भागने की कोशिश की। पुलिस ने प्राथमिकी के हवाले से बताया कि हालांकि, लगभग आधा किलोमीटर तक भागने के बाद, महिला को कुछ लोगों ने रोका और उसका यौन उत्पीड़न किया। मणिपुर में जनजातीय समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ छेड़छाड़ करने का एक वीडियो सामने आने के बाद राज्य में तनाव और बढ़ गया है।

इसके अलावा, मणिपुर में पिछले सौ दिन से जातीय हिंसा के बीच जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन (जेडएसएफ), कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (केएसओ) और हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) के संयुक्त छात्र निकाय ने बृहस्पतिवार को मणिपुर के चुराचांदपुर में एक रैली निकाली। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि छात्रों ने हिंसा को रोकने के लिए ग्राम रक्षा गार्डों द्वारा किए गए प्रतिरोध की सराहना की। जेएसएफ के एक सदस्य ने कहा, “यह दिन हमलावरों से लड़ने वाले आदिवासियों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया गया। कुकी-जो आदिवासी तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं और एक अलग प्रशासन का गठन नहीं हो जाता।” उन्होंने कहा कि अलग प्रशासन की मांग 1960 के दशक से चली आ रही है और आदिवासी “अवैध अप्रवासी नहीं हैं जैसा कि कुछ राजनेता दावा करते हैं”। छात्र संगठन ने कहा कि जातीय संघर्ष में मारे गए आदिवासियों के सम्मान में एक मिनट का मौन भी रखा गया। संस्था ने 27 जुलाई को राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक ज्ञापन सौंपकर राज्य में जारी हिंसा से प्रभावित कुकी-जोमी विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए आवश्यक उपाय करने की मांग की थी। आदिवासी छात्रों के प्रति भेदभाव का आरोप लगाते हुए छात्र संगठन ने राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी। इस बीच, हिंसा प्रभावित मणिपुर के 40 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए पूर्ण निरस्त्रीकरण की आवश्यकता है। इन विधायकों में से अधिकांश मेइती समुदाय के हैं। विधायकों ने कुकी उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते को वापस लेने, राज्य में एनआरसी लागू करने और स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) को मजबूत करने की भी मांग की। ज्ञापन में इन विधायकों ने कुकी समूहों की “अलग प्रशासन” की मांग का विरोध किया। प्रधानमंत्री मोदी को बुधवार को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, “सुरक्षा की तत्काल स्थापना के लिए, बलों की साधारण तैनाती अपर्याप्त है। यद्यपि परिधीय क्षेत्रों में हिंसा को रोकना अत्यावश्यक है, पूर्ण निरस्त्रीकरण इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है। शांति और सुरक्षा के माहौल को बढ़ावा देने के लिए पूरे राज्य में पूर्ण निरस्त्रीकरण की आवश्यकता है।''

इसके अलावा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्य में जातीय संघर्ष की समाप्ति के उपाय ढूंढ़ने के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और 10 समान विचारधारा वाले दल राज्यपाल और राज्य सरकार पर राज्य में हिंसा को खत्म करने के लिए तुरंत एक आपातकालीन सत्र बुलाने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में हिसा से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कांग्रेस भवन में बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 81वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट के अंत के लिए आम राय से किसी प्रस्ताव को पास करना जरूरी है।

इसके अलावा, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मणिपुर की स्थिति को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर के इस राज्य को इस स्थिति में पहुंचाने वाले लोग देशप्रेमी नहीं हैं। उन्होंने लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मणिपुर का दौरा नहीं करने को लेकर उन पर निशाना साधा और दावा किया कि प्रधानमंत्री इस राज्य को हिंदुस्तान (का हिस्सा) नहीं समझते। सत्तापक्ष के सदस्यों की टोकाटोकी के बीच कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि भारत एक आवाज है और अगर इस आवाज को सुनना है तो अहंकार और नफरत को त्यागना होगा। उन्होंने लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद सदन में यह वक्तव्य दिया और सदस्यता बहाल करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया। राहुल गांधी के वक्तव्य के दौरान सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच कई बार तीखी नोकझोंक हुई। हंगामे के बीच पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने आरोप लगाया कि देश में 70 साल तक राज करने वाली कांग्रेस ने पूर्वोत्तर को बर्बाद कर दिया था। सत्तापक्ष के सदस्यों की टोकाटोकी पर सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के जवाब देते समय इसका (टोकाटोकी का) जवाब दिया जाएगा। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में वह इस तरह की बात नहीं कर सकते। राहुल गांधी ने अपने मणिपुर दौरे के अनुभव का उल्लेख किया और सरकार पर आरोप लगाया, ''ये लोग (भाजपा) भारत माता के रखवाले नहीं हो सकते।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह आरोप भी लगाया, ‘‘आप देशप्रेमी नहीं हैं.... इसलिए आपके प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं जा रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप भारत माता के रखवाले नहीं हो।’’ इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत माता के बारे में कोई भी ऐसा शब्द नहीं बोला जाना चाहिए जो उचित नहीं हो।’’ इसके जवाब में राहुल ने कहा, ‘‘भारत माता मेरी भी माता हैं। मेरी एक माता (सोनिया गांधी) यहां बैठी हुई हैं और दूसरी भारत माता हैं।’’ इस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सदन में उपस्थित थीं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कुछ दिनों पहले मैं मणिपुर गया। हमारे प्रधानमंत्री आज तक मणिपुर नहीं गए क्योंकि उनके लिए मणिपुर हिंदुस्तान (का हिस्सा) नहीं है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आज की सच्चाई है कि मणिपुर को आपने बांट दिया है, तोड़ दिया है।’’ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने हरियाणा और देश के कई अन्य हिस्सों में ‘केरोसिन छिड़क दिया’ है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हिंदुस्तान की सेना एक दिन में शांति ला सकती है, लेकिन आप (सरकार) हिंदुस्तान की सेना का उपयोग नहीं करते।’’ उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री पर अहंकार का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘लंका को हनुमान जी ने नहीं जलाया था, रावण के अहंकार ने जलाया था। रावण को राम ने नहीं मारा था, रावण के अहंकार ने ही उसे मारा था।’’ कांग्रेस नेता ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले साल 130 दिन तक ‘‘मैंने भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक यात्रा की। मैं समुद्र के तट से कश्मीर की बफीर्ली पहाड़ी तक चला।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जिस चीज के लिए मैं मरने को तैयार हूं, जिस चीज के लिए मोदी जी की जेलों में जाने को तैयार हूं और जिस चीज के लिए 10 साल गाली खाई है... उसे मैं समझना चाहता था।’’ उन्होंने यात्रा के दौरान के कुछ अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब मैं यात्रा कर रहा था तो मुझे भीड़ की आवाज सुनाई नहीं देती थी, जिससे बात करता था उसका दुख और दर्द सुनाई देता था।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि ये देश है, कोई कहता है कि अलग-अलग भाषाएं हैं, कोई जमीन, कोई धर्म तो कोई सोना और चांदी की बात करता है। लेकिन सच्चाई है कि यह देश एक आवाज है। इस देश के लोगों की आवाज है। इस देश के लोगों का दर्द है, दुख है, कठिनाइयां हैं। इस आवाज को सुनने के लिए हमें अपने अहंकार को खत्म करना पड़ेगा। तभी हमें इस हिन्दुस्तान की आवाज सुनाई देगी।’’ उन्होंने भाषण की शुरुआत में लोकसभा अध्यक्ष से कहा, ‘‘पिछली बार मैं जब बोला था तो आपको थोड़ा कष्ट पहुंचाया था क्योंकि मैं अडाणी जी के बारे में केंद्रित था ...आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए माफी मांगता हूं।’’

इसके अलावा, संसद का मानसून सत्र खत्म होने से पहले मणिपुर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर इंफाल घाटी में सैकड़ों महिलाओं ने मशाल लेकर रैलियां निकालीं। इंफाल वेस्ट जिले में केसामपट, केसामठोंग और क्वाकेठेल और इंफाल ईस्ट जिले में वांगखेई और कोंगबा में बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे रैलियां निकाली गयीं। रैली में भाग लेने वाली एक महिला इंगुदम बबीता ने वांगखेई में पत्रकारों से कहा, ‘‘विधानसभा सत्र में सरकार को राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए और संसद को भेजना चाहिए जिसका सत्र अभी जारी है।’’ महिलाओं ने कुकी समूहों द्वारा की जा रही अलग प्रशासन की मांग के खिलाफ और राज्य में ‘‘अवैध’’ प्रवासियों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने के लिए भी नारे लगाए। मणिपुर मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह राज्यपाल अनसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश की थी। विधानसभा का पिछला सत्र मार्च में हुआ था और मई में राज्य में हिंसा भड़क उठी। राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर गत शनिवार को 24 घंटे की हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ था।

इसके अलावा, लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव पर मणिपुर में सभी पक्षों से शांति बहाल करने और वार्ता की अपील की। गृह मंत्री शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए इस सदन की ओर से अपील होनी चाहिए। शाह ने सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए मणिपुर के मुद्दे पर सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई का विस्तृत विवरण दिया और अपने भाषण के अंत में अध्यक्ष बिरला से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। शाह ने कहा, ‘‘मैं इस सदन के माध्यम से मणिपुर की जनता से और वहां सभी पक्षों से आग्रह करता हूं कि वार्ता करें और शांति बहाली में सहयोग दें।’’ सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में रखा जाता तो अच्छा होता। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष शुरू से मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग कर रहा है। चौधरी ने कहा, ‘‘हमें गृह मंत्री की काबिलियत पर कोई शक नहीं है, लेकिन जो जवाब जिलाधिकारी को देना है, वो कोतवाल कैसे देंगे?’’ सदन के उप नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्री शाह ने आज मणिपुर के मुद्दे पर अपने जवाब में विस्तार से जानकारी दी है और कल प्रधानमंत्री मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए पूरे सदन की ओर से अपील होनी चाहिए।

इसके अलावा, हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत राज्य के आदिवासियों के एक समूह ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और अपनी विभिन्न मांगें उनके सामने रखीं। ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के सचिव मुआन टोम्बिंग ने बताया कि आईटीएलएफ के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री के साथ बातचीत की। आईटीएलएफ की पांच प्रमुख मांगें हैं, जिनमें मणिपुर से पूरी तरह अलग किए जाने और कुकी-जो समुदाय के सदस्यों के शवों को दफनाए जाने की मांग शामिल हैं। शव फिलहाल इंफाल में हैं और समूह की मांग है कि उन्हें चुराचांदपुर लाया जाए। आईटीएलएफ ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री को दिए ज्ञापन में कहा गया था कि उन्होंने शवों को दफनाने की प्रकिया पांच और दिन टालने संबंधी शाह के अनुरोध पर कई पक्षकारों के साथ काफी विचार विमर्श किया। यह ज्ञापन 27 सेक्टर, असम राइफल्स मुख्यालय के जरिए भिजवाया गया है। आईटीएलएफ के नेता पड़ोसी राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल से होते हुए दिल्ली पहुंचे। शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में उनके साथ बैठक के लिए आईटीएलएफ को निमंत्रण दिया था, ताकि मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

इसके अलावा, मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को अपने क्षेत्रों में रैलियां निकालीं जिनका उद्देश्य ढांचागत समझौते के आधार पर केंद्र और नगा समूहों के बीच शांति वार्ता के सफल समापन को बल देना था। कड़ी सुरक्षा के बीच तामेंगलोंग, सेनापति, उखरुल और चन्देल के जिला मुख्यालयों में रैलियां निकाली गईं। प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि किसी अन्य समुदाय के लिए अलग प्रशासन के लिए नगा बाहुल्य क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। मणिपुर में नगा जनजातियों की संस्था संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों का आह्वान किया था। जेलियानग्रोंग नगा जनजाति के गृह क्षेत्र तामेंगलोंग में तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई, जो कि जादोनांग पार्क से शुरू होकर अपोलो ग्राउंड पर समाप्त हुई। रैली में हिस्सा लेने वालों में से एक एंथोनी गैंगमेई ने बताया, ‘‘हम उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपेंगे।’’ तंगखुल नगा जनजाति के गृह क्षेत्र उखरुल में मिशन ग्राउंड से तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई जो लघु सचिवालय तक पहुंची। रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लेकर शांति वार्ता को संपन्न करने और नगा क्षेत्रों को टुकड़ों में न बांटने की मांग कर रहे थे। सेनापति और चंदेल जिलों में भी हजारों लोगों ने रैलियों में भाग लिया। मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है जहां दो, नगा और कुकी-जो जनजातियां रहती हैं। यूएनसी ने एक बयान में पहले कहा था कि तीन अगस्त 2015 को केंद्र और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन (आईएम) के बीच ऐतिहासिक ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर के साथ शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने में अगर ज्यादा देरी हुई तो इससे शांति वार्ता की कवायद को झटका लग सकता है।’’ कुकी जनजातियों की संस्था कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों को समर्थन किया। केआईएम ने एक बयान में कहा, ‘‘ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब मणिपुर के जनजातीय कुकियों को बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा कुचला जा रहा है। गुप्त रूप से सरकारी तंत्र इसे सहायता और बढ़ावा दे रहा है। कुकी इनपी मणिपुर पूरी तरह से यूएनसी की प्रस्तावित रैलियों का समर्थन करता है। नगा जनजातियों के एक शक्तिशाली नागरिक निकाय नगा होहो ने मणिपुर के 10 नगा विधायकों को 21 अगस्त से प्रस्तावित विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने के लिए कहा है। उनका दावा है कि मणिपुर सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता के खिलाफ काम कर रही है। समुदाय के नेताओं के अनुसार, जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर अधिकांश कुकी विधायकों की उनकी पार्टी से संबद्धता के बावजूद मणिपुर विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना नहीं है। मणिपुर के 60 सदस्यों वाले सदन में कुकी-जोमी के 10 विधायक हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात, कुकी पीपुल्स अलायंस के दो और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

इसके अलावा, मणिपुर पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज करके असम राइफल्स पर पिछले सप्ताह दो समूहों के बीच विवाद के बाद उनके वाहन को रोकने का आरोप लगाया है। सुरक्षा सूत्रों ने हालांकि प्राथमिकी को "न्याय का मखौल" बताया और कहा कि असम राइफल्स कुकी और मेइती क्षेत्रों के बीच ‘बफर जोन’ की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए कमान मुख्यालय द्वारा सौंपे गए कार्य को अंजाम दे रही थी। प्राथमिकी पांच अगस्त को दर्ज की गई थी जिसमें पुलिस ने आरोप लगाया था कि असम राइफल्स ने बिष्णुपुर जिले में क्वाक्टा गोथोल रोड पर पुलिस वाहनों को रोका। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि असम राइफल्स ने उसके कर्मियों को तब आगे बढ़ने से रोक दिया जब ‘‘राज्य पुलिस क्वाक्टा से लगे फोलजांग रोड पर कुकी उग्रवादियों की तलाश में हथियार अधिनियम मामले में तलाशी अभियान चलाने के लिए आगे बढ़ रही थी।'' पुलिस ने दावा किया कि उसके कर्मियों को 9 असम राइफल्स ने अपने 'कैस्पर' वाहन से सड़क अवरुद्ध करके उन्हें रोक दिया। रक्षा सूत्रों ने प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, ‘‘असम राइफल्स कुकी और मेइती क्षेत्रों के बीच ‘बफर जोन’ की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए कमान मुख्यालय द्वारा सौंपे गए कार्य को अंजाम दे रहा था।’’ इंफाल सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि सेना इस मुद्दे को राज्य सरकार के साथ उच्च स्तर पर मजबूती से उठा रही है।

असम

असम के तिनसुकिया जिले में बृहस्पतिवार को अवैध शराब उत्पादन इकाई में टैंक की सफाई करते समय संभवतः किसी हानिकारक गैस के कारण दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। मृतकों में शराब बनाने वाली इकाई का 70 वर्षीय मालिक और उसका बेटा भी शामिल है। यह घटना तलप थाना क्षेत्र के टिपुक में उस वक्त हुई, जब चारों सफाई के लिए टैंक में उतरे। एक अधिकारी ने कहा, “बड़े टैंक का उपयोग देसी शराब बनाने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया गुड़ को पिघलाने के लिए किया जाता था।” उन्होंने कहा कि संदेह है कि टैंक के अंदर किसी जहरीली गैस के कारण दम घुटने से इन लोगों की मौत हो गई, लेकिन वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा। अधिकारी के मुताबिक, मृतकों की पहचान इकाई के मालिक रामप्रसाद राय, उसके 40 वर्षीय बेटे पाटगिरि और दो मजदूरों-जगदीश ग्वाला (40) और पुक्ला किसान (38) के रूप में हुई है। उन्होंने कहा, “रामप्रसाद राय लंबे समय से अवैध शराब के उत्पादन में शामिल था और इस क्षेत्र में गुप्त रूप से काम करता था। पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा उसकी अवैध शराब भट्टी को कई बार नष्ट करने के बावजूद, वह हर बार फिर से शराब बनाने लग जाता था।”

इसके अलावा, असम सरकार ने अहोम, मोरान, माटक, चुटिया और कोच-राजबोंगशी समुदायों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के तहत 3.24 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला बुधवार रात नई दिल्ली में मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। शर्मा द्वारा टि्वटर पर साझा एक बयान के अनुसार 3.24 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाली कुल 786 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यधिक अन्य पिछड़ा वर्ग (एमओबीसी) के तहत अहोम, मोरान, माटक, चुटिया और कोच- राजबोंगशी समुदाय के छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। चाय बागान में काम कर रहे और पहले चाय बागानों में काम कर चुके इस समुदाय के लोग ओबीसी और एमओबीसी श्रेणी के तहत पहले से ही पांच फीसदी आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। असम के मोरान, मोटोक, चुटिया, ताई-अहोम, कोच-राजबोंगशी और टी-जनजाति समुदाय कई वर्षों से अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग कर रहे हैं। कैबिनेट ने खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग का नाम बदलकर खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों का विभाग करने का भी निर्णय लिया। इसके अलावा, सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए सीधी खरीद के माध्यम से भूमि खरीद नीति में संशोधन करने का निर्णय भी लिया गया। विज्ञप्ति में बताया गया कि मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) और आशा पर्यवेक्षकों की सेवा समाप्ति आयु और एकमुश्त आभार लाभ तय कर दिया गया है। बैठक में गुवाहाटी-जोरहाट मार्ग के लिए गैर-उड़ान योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर निधि को भी मंजूरी दी गई। बयान में बताया गया है कि जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें निखारने के लिए राज्य में 'खेल महारण' आयोजित किया जाएगा और इसमें 50 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी होगी।

इसके अलावा, केंद्र, असम सरकार और उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के बीच शांति वार्ता 15 अगस्त के बाद राष्ट्रीय राजधानी में होगी। संगठन के नेता अनूप चेतिया ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी। चेतिया ने यह उम्मीद भी जतायी कि शांति वार्ता 2024 से पहले पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि (आम) चुनाव से पहले हम भारत सरकार के साथ किसी समाधान पर पहुंच जाएंगे... उन्हें एहसास है कि अगर वे हमारे साथ (उल्फा का वार्ता समर्थक गुट) समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं तो असम की समस्या सुलझ जाएगी।" वार्ता समर्थक उल्फा गुट ने 2011 में ही केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर दी थी लेकिन अंतिम समाधान अभी तक नहीं निकल सका है। गुट का आरोप है कि नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बहुत प्रगति नहीं हुई है, हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई थी। एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आए चेतिया ने कहा, "स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद हमारी बातचीत नयी दिल्ली में भारत सरकार और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होगी।" यह पूछे जाने पर कि क्या वार्ता समर्थक गुट, उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ से शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील करेगा, चेतिया ने कहा, “हमने उनसे संपर्क किया है… ... यह भारत सरकार पर निर्भर करता है- क्या वह उनसे और समूह से बात करने की इच्छुक है। लेकिन संवाद का अभाव है- उल्फा (आई) की मांगें पहले जैसी ही हैं और भारत सरकार उन्हें स्वीकार नहीं कर सकती।'' चेतिया ने कहा कि बरुआ बांग्लादेश में नहीं हैं, जैसी कि आम धारणा है। उन्होंने कहा, “वह कहीं और है, हमें नहीं पता। लेकिन हमारी चर्चा जारी है।” उन्होंने कहा कि अगर अन्य समूह भी बातचीत की मेज पर आते हैं तो यह असम और उसके लोगों के लिए अच्छा होगा।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को दावा किया कि मणिपुर में जातीय संघर्ष के बावजूद पार्टी अगले साल होने वाले आम चुनाव में राज्य की दोनों लोकसभा सीट जीतेगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार होने और पूरे क्षेत्र में संगठनात्मक ताकत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया ताकि वह अधिक से अधिक सीट जीत सके। शर्मा ने यहां क्षेत्र की ‘विस्तारक’ बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘लोग पूछ रहे हैं कि मणिपुर में भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहेगा? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हम राज्य की दोनों लोकसभा सीट जीतेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अभी झड़पें हो रही हैं, लेकिन जब नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की बात आयेगी तो पूरा पूर्वोत्तर एकजुट हो जायेगा।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों के कारण मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें 2012 की तुलना में उतनी नहीं बढ़ी हैं जब राज्य में विभिन्न मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने लंबे समय तक राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘यदि सिलचर-जिरिबाम सड़क नहीं होती तो आज की स्थिति में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 1,000 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई होतीं। वर्ष 2012 में यह मार्ग नहीं था और इन उत्पादों को इंफाल तक हवाई मार्ग से ले जाना पड़ता था और कीमतें 350-400 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी उस हद तक नहीं बढ़ी हैं जितनी 2012 में थीं। (इंफाल) घाटी में आपूर्ति बाधित नहीं हुई है।’’ शर्मा ने पार्टी सदस्यों से यह भी कहा कि वे इस बात को लेकर अटकलें न लगाएं कि भाजपा किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कौन सी सीट वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में अपने सहयोगियों के लिए छोड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘राजग एक वास्तविकता है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमें राजग की भावना को बनाये रखना है। हम किस सीट पर चुनाव लड़ेंगे या कोई सहयोगी दल चुनाव लड़ेगा, इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि उन सीटों पर भी जहां आज के परिदृश्य में भाजपा के पास कोई मौका नहीं है, हमें अपनी ताकत का पता लगाने और उस पर काम शुरू करने की जरूरत है। हमें दीर्घकालिक एजेंडे के साथ काम करना होगा।’’ शर्मा ने कहा कि भाजपा की असम इकाई के मंत्री और लोकसभा सांसद चुनाव तैयारियों पर चर्चा के लिए बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में बैठक करेंगे। उन्होंने कांग्रेस पर भी कटाक्ष किया और उस पर सत्ता में अपने कार्यकाल के दौरान देश के लिए काम नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, ‘‘कांग्रेस ने कभी भी सामाजिक उत्थान के लिए काम नहीं किया। इसने कभी भी देश की आर्थिक आजादी के लिए काम नहीं किया। इसने केवल परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा दिया है।’’

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर में कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं और पिछले 75 वर्षों में उसके किसी भी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया। संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्वोत्तर में तनाव की स्थिति कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से पैदा हुई है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जहां तक पूर्वोत्तर का सवाल है, कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं।’’ शर्मा ने दावा किया,‘‘कांग्रेस के किसी भी प्रधानमंत्री ने पिछले 75 वर्षों में क्षेत्र के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘कांग्रेस को चिंतन करना चाहिए कि कैसे उसकी गलत नीतियों की वजह से मणिपुर जल रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर में एक दुखद स्थिति पैदा की।’’ मणिपुर में पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा हो रही है, जिसमें करीब 160 लोगों की जान जा चुकी है। शर्मा ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने पूरे पूर्वोत्तर में दुखद स्थिति उत्पन्न की। समुदायों के बीच रातोंरात लड़ाई शुरू नहीं हुई है।’’ उन्होंने बताया कि मणिपुर में जातीय आधार पर झड़पें पहली बार नहीं हो रही हैं, और "इससे पहले के संघर्षों में हजारों लोग मारे गए थे।” उन्होंने दावा किया, 'मणिपुर में झड़पें 1990 के दशक से जारी हैं...मणिपुर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और मई की तुलना में अब स्थिति कहीं बेहतर है।' शर्मा ने यह भी कहा कि मणिपुर संघर्ष को सेना और असम राइफल्स की मदद से हल नहीं किया जा सकता है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए लोगों तक पहुंचने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस से अपील करता हूं कि वह दुनिया को गुमराह न करें। पूर्वोत्तर में जो हो रहा है उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को कोकराझार में हिंसा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के असम दौरे के संबंध में संसद के अंदर तथ्यों को "ठीक से" बताना चाहिए। मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के महीनों तक चुप रहने पर शर्मा ने कहा कि कभी-कभी चुप्पी अधिक शक्तिशाली होती है। उन्होंने कहा, ''हम चुप रहे क्योंकि शब्दों से मणिपुर में हंगामा हो सकता था। मैं चुप रहने के लिए केंद्र सरकार का आभारी हूं।” शर्मा ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बारे में बात करते हुए दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद इस डर से तेजपुर से भाग गए थे कि असम के शहर पर चीनियों का कब्जा हो जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आजादी के बाद से कांग्रेस सरकारों द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों ने असम और पूर्वोत्तर में प्रवेश किया।

इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की असम इकाई के नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बारे में चर्चा की गई। पार्टी मुख्यालय में हुई इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्टी महासचिव एवं असम प्रभारी जितेंद्र सिंह, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा, सांसद गौरव गोगोई, अब्दुल खालिक और कई अन्य नेता मौजूद थे। बैठक के बाद खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘असम में कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हम संगठन को फिर से मजबूत कर रहे हैं। सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लोगों तक पहुंचना चाहिए और भाजपा के कुशासन और अक्षमता को उजागर करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ने असम का निर्माण किया और राज्य में शांति, प्रगति और कल्याण सुनिश्चित किया। आज असम प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ रणनीति बैठक में राज्य के सामने आने वाले कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, "अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बैठक के दौरान असम कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात की। बैठक का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी ने किया। शांति और समृद्धि वे मूलभूत स्तंभ रहे हैं जिन पर कांग्रेस पार्टी ने एक प्रगतिशील असम का निर्माण किया।" उन्होंने कहा, "भाजपा की 'डबल इंजन' सरकार के कुशासन ने इन स्तंभों को ध्वस्त कर दिया है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि ऐसे चलन पर विराम लगे और लोगों की भलाई के लिए समय बदले।" पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस असम की कुल 14 सीट में से सिर्फ तीन जीत पायी थी।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ को एक “अतिथि” के तौर पर राज्य की यात्रा करने और दशकों बाद बदली हुई स्थिति का गवाह बनने के लिए आमंत्रित किया है। शर्मा ने एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से कहा कि बरुआ को किसी वार्ता में भाग लेने के लिए नहीं बल्कि विकसित और शांतिपूर्ण असमिया समाज को देखने के लिए आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने कहा, "परेश बरुआ खुद एक जानकार व्यक्ति हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह आएंगे क्योंकि मैंने उन्हें आमंत्रित किया है। उसके पास अपनी बुद्धि और तर्क है। हालांकि, मुझे लगता है कि अगर वह सिर्फ सात दिन असम में रहेंगे, तो उन्हें एहसास होगा कि पुराना असम बहुत बदल गया है...।” शर्मा ने कहा कि एक समय बरुआ को लगता था कि बाहरी लोगों ने असम में हर चीज पर कब्जा कर लिया है, लेकिन असमिया युवा आजकल कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अधिकतम संख्या में रहते हैं क्योंकि स्थिति बदल गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 1982-83 के दौरान जो हुआ वह अब अस्तित्व में नहीं है। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित संगठन है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह उग्रवादी नेता की असम यात्रा की व्यवस्था करेंगे, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, "हां, सब कुछ। जैसा कि मैं उन्हें आमंत्रित करने की बात कर रहा हूं, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आमंत्रित करूंगा। यदि वह आते हैं और 7-10 दिनों के लिए रहते हैं, तो वह स्वयं स्थिति को समझेंगे।” शर्मा ने यह भी कहा कि उल्फा में शामिल हुए कई युवा वापस आ गए हैं और कई अन्य भी मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं। बरुआ के साथ बातचीत के बारे में उन्होंने ज्यादा नहीं बताया और बस इतना कहा, 'अगर कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां न होतीं तो अब तक बातचीत हो चुकी होती। हम उन व्यावहारिक मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।” 

इसके अलावा, असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने को लेकर विधानसभा की विधायी क्षमता का पता लगाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति के रिपोर्ट पेश करने के कुछ ही घंटे बाद रविवार को मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि इस वित्त वर्ष में इस विषय पर एक विधेयक पेश किया जाएगा। शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज ही अपनी रिपोर्ट पेश करने वाली विशेषज्ञ समिति ने सर्वसम्मति से कहा है कि राज्य बहुविवाह को समाप्त करने के लिए अपना कानून बना सकता है। उन्होंने कहा, "रिपोर्ट में सर्वसम्मति से कहा गया है कि राज्य सरकार बहुविवाह पर कानून बना सकती है। उन्होंने (समिति) कहा है कि एकमात्र बिंदु यह है कि विधेयक पर अंतिम सहमति राज्यपाल के बजाय राष्ट्रपति को देनी होगी।" यह पूछे जाने पर कि क्या असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून लाया जाएगा, तो मुख्यमंत्री ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'यह विधेयक निश्चित रूप से इसी वित्तीय वर्ष में पेश किया जाएगा।' इससे पहले, बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने को लेकर विधानसभा की विधायी क्षमता का पता लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने मुख्यमंत्री शर्मा को अपनी रिपोर्ट सौंपी। शर्मा ने लिखा, ‘‘असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने के वास्ते राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता की पड़ताल करने को लेकर गठित विशेषज्ञ समिति ने आज अपनी रिपोर्ट सौंपी।’’ शर्मा ने समिति द्वारा उन्हें रिपोर्ट सौंपने और दस्तावेज की तस्वीरें ट्विटर पर साझा कीं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘असम जाति, पंथ या धर्म से परे महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करने के करीब पहुंच गया है।’’ शर्मा ने 12 मई को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फुकन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने की घोषणा की थी। फुकन के अलावा, समिति के अन्य सदस्यों में राज्य के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया, वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और वरिष्ठ अधिवक्ता नकीब-उर-जमां शामिल हैं। अठारह जुलाई को, असम सरकार ने समिति का कार्यकाल 13 जुलाई से एक महीने बढ़ाकर 12 अगस्त कर दिया था। समिति को शुरू में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 60 दिनों का वक्त दिया गया था। इसे समान नागरिक संहिता के लिए राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 25 और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की पड़ताल करने का काम सौंपा गया था।

मेघालय

मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने कहा है कि पूर्वोत्तर के युवाओं को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए और आरक्षण से ऊपर उठकर देखना चाहिए क्योंकि वे दुनिया में किसी से भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं। वॉयस ऑफ पीपुल्स पार्टी (वीपीपी) सहित विभिन्न संगठनों की मांगों के बाद उनकी सरकार ने राज्य की नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। संगमा का यह बयान उसके दो महीने बाद आया है। उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासी समुदाय को यह उम्मीद नहीं करना चाहिए कि जीवन के सभी क्षेत्रों में आरक्षण होगा। हमें आरक्षण से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है और पूर्वोत्तर के युवाओं की मानसिकता यह होनी चाहिए कि वे दुनिया में किसी से भी प्रतिस्पर्धा में सफल होने में सक्षम हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि उनकी एक पहचान हो और उन्हें इस पर गर्व हो, लेकिन उन्हें चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।’’ संगमा बुधवार को नॉर्थ ईस्ट इंडिजिनस पीपुल्स फोरम (एनईआईपीएफ) द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने माना कि क्षेत्र के लोगों को कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों और मंचों के माध्यम से पूर्वोत्तर उन समस्याओं से ऊपर उठ सकता है और एक साथ मजबूत होकर उभर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की स्थिति देखकर मुझे दुख होता है और मुझे उम्मीद है कि एनईआईपीएफ जैसे मंच शांतिपूर्ण समाधान के लिए यह मुद्दा उठाएंगे।’’ संगमा ने कहा कि एनईआईपीएफ को आदिवासी मूल के लोगों के ज्ञान और उनकी प्रथाओं का भी अध्ययन, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण करना चाहिए ‘‘जिनके पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है’’। उन्होंने कहा, ‘‘ज्ञान की इस संपदा को युवा पीढ़ी तक पहुंचाया जाना चाहिए और बाकी दुनिया के साथ साझा किया जाना चाहिए।’’ कार्यक्रम में अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

इसके अलावा, मेघालय सरकार मुकरोह हिंसा की जांच कर रहे असम के जांच आयोग के समक्ष गवाह और दस्तावेज पेश करने में विफल रही। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पिछले साल नवंबर में हुई मुकरोह हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, यहां असम भवन में न्यायमूर्ति(सेवानिवृत) रूमी कुमारी फुकन की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय आयोग की सुनवाई के दौरान किसी के पेश नहीं होने के बाद कार्यवादी को बंद कर दिया गया। एक अधिकारी ने बताया, 'गहरी चिंता के साथ आयोग ने मेघालय में कार्यवाही (सुनवाई) को बंद कर दिया है और वापस गुवाहाटी लौट आया है। सुनवाई के लिए कोई नहीं पहुंचा, और तो और सरकार के अधिकारियों ने भी उसके समक्ष बयान दर्ज नहीं कराए।' उन्होंने बताया कि आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए यहां आया था कि जिन लोगों के पास हिंसा से जुड़े दस्तावेज और सबूत हैं वे उसे उसके समक्ष पेश कर सकें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को भी अधिसूचित किया गया था और आयोग ने प्रासंगिक गवाहों को पेश करने के लिए सरकार से सहयोग का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि पश्चिम खासी जयंतिया हिल्स जिले के उपायुक्त को गवाहों को आयोग के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया गया था लेकिन इस निर्देश का पालन किया गया या नहीं इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। असम के एक वन रक्षक और मुकरोह के पांच लोगों की पिछले साल 22 नवंबर को विवादित सीमा के पास हिंसा में मौत हो गई थी। दरअसल पड़ोसी राज्य असम के वनकर्मी ने अवैध रूप ले जाई जा रही लकड़ियों से लदे एक ट्रक को कथित रूप से पकड़ लिया था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी।

इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और पूर्वोत्तर के राज्य में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के क्रियान्वयन के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। संगमा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भी गया था। उन्होंने संविधान की आठवीं अनुसूची में खासी और गारो भाषाओं को शामिल करने की भी मांग की। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा और राज्य के प्रमुख मुद्दों- आईएलपी और दो भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे के समाधान में उनकी दखल की मांग की। मेघालय में अधिकांश लोग गारो और खासी भाषाएं बोलते हैं।’’ आईएलपी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो किसी भारतीय नागरिक को सीमित अवधि तक संरक्षित क्षेत्र में आंतरिक यात्रा की अनुमति देने के लिए केंद्र द्वारा जारी किया जाता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों में से अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड वर्तमान में आईएलपी शासन के अधीन हैं। संगमा ने जनजातीय क्षेत्रों के लिए बहिष्करण प्रावधान के बावजूद जनजातीय हितों की रक्षा करने में संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 की खामियों से मोदी को अवगत कराया। वर्ष 2019 में राज्य ने ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873’ के तहत मेघालय में आईएलपी को लागू किए जाने की मांग की थी। संगमा ने खासी और गारो भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की बात पर भी जोर दिया। अधिकारी ने कहा, ‘‘मेघालय विधानसभा ने नवंबर 2018 में इसके प्रभाव में प्रस्ताव पारित किया था और मामला फिलहाल केंद्र के समक्ष लंबित है।’’ प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा अध्यक्ष थॉमस संगमा भी सदस्य थे। उन्होंने प्रधानमंत्री को सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए गठित असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा समितियों के बारे में जानकारी दी।

मिजोरम

मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि म्यांमा और बांग्लादेश के शरणार्थियों और हिंसाग्रस्त मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) के आठ हजार से अधिक बच्चे मिजोरम के स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। मिजोरम के स्कूल शिक्षा मंत्री लालचंदामा राल्ते ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इन अध्ययनरत 8,119 बच्चों में से 6,366 छात्र म्यांमा से, 250 बांग्लादेश से और 1,503 छात्र मणिपुर से हैं। राल्ते ने बताया कि इन छात्रों को स्थानीय विद्यार्थियों की तरह ही स्कूल की मुफ्त वर्दी, पुस्तकें तथा मध्याह्न भोजन मुहैया कराया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मिजोरम सरकार जो जनजातियों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मिजोरम सरकार दुनिया भर की जो जनजातियों को एक ही मानती है। हमारा यह सिद्धांत शिक्षा क्षेत्र में भी नजर आता है। सरकार जरूरतमंदों को न केवल आश्रय प्रदान करती है, बल्कि शिक्षा भी मुहैया कराती है।’’ उन्होंने कहा कि 44 शरणार्थी बच्चों ने 2022 में दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के लिए पंजीकरण कराया था। इनमें से 31 छात्रों ने परीक्षा दी तथा 28 छात्रों ने 90.32 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की। म्यांमा और बांग्लादेश से कुकी-चिन समुदाय के हजारों शरणार्थियों ने मिजोरम में शरण ली है। म्यांमा में फरवरी 2021 में तख्ता पलट होने के बाद वहां से, खास तौर पर वहां के चिन राज्य से बड़ी संख्या में नागरिक आए और मिजोरम में शरण ली। बांग्लादेश में पिछले साल एक जातीय उग्रवादी समूह के खिलाफ सैन्य अभियान के बाद चटगांव हिल ट्रैक्ट (सीएचटी) से कई लोग मिजोरम पहुंचे। मेइती समुदाय के साथ मई में संघर्ष होने तथा जातीय हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित कुकी समुदाय के कई लोगों ने भी मिजोरम में ही शरण ली है।

इसके अलावा, मिजोरम में गत चार दिनों से हो रही बारिश की वजह से राज्य के दो जिलों में आई बाढ़ के मद्देनजर 85 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दक्षिणी जिले लॉन्गतलाई और उसके पड़ोसी लुंगलेई के कई निचले इलाके जलमग्न हैं। लुंगलेई जिले के एक अधिकारी ने बताया कि खावथलांगतुईपुई नदी के जल स्तर में वृद्धि की वजह से तलबुंग कस्बे से और उससे सटे दो गांवों से 40 परिवारों को निकाल कर स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों एवं कारोबार सुविधा केंद्र में ठहराया गया है। उन्होंने बताया कि निचले इलाके में कई घर आंशिक रूप से डूब गए हैं। अधिकारी ने बताया, ‘‘लगातार बारिश की वजह से जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। अबतक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।’’ उन्होंने बताया कि प्रभावशाली नागरिक संगठन यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) के पदाधिकारी और स्वयंसेवक बचाव अभियान में सहयोग कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि लॉन्गतलाई जिले के चौंगते शहर से कम से कम 45 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कमलानगर-चार इलाके में कुछ मकान पूरी तरह से डूब गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है।

नगालैंड

नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बुधवार को दावा किया कि राज्य में दर्ज अपराधों की संख्या सबसे कम है, खासकर महिलाओं के खिलाफ। उन्होंने कहा कि नगालैंड के लोगों को उनकी सत्यनिष्ठा, ईमानदार स्वभाव, सच्चाई और कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है। राज्य का प्रथागत कानून प्रभावी है क्योंकि यहां एक मजबूत पारंपरिक सामुदायिक प्रणाली मौजूद है। गांव, आदिवासी और कुल जैसे विभिन्न स्तर पर लोग अपराधों पर अंकुश लगा सकते हैं और खुद ही समस्याओं पर संज्ञान लेकर उन्हें हल करते हैं। नॉर्थ कोहिमा पुलिस थाने में एक कार्यक्रम में कोहिमा जिले के सात पुलिस थानों में 16 सीसीटीवी कैमरों के उद्धघाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि नगालैंड के लोगों को सत्यनिष्ठा व ईमानदार स्वभाव और प्रथागत कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने की वजह से ही राज्य के पुलिस थानों में बहुत कम मामले दर्ज होते हैं। नॉर्थ कोहिमा पुलिस थाना राज्य का सबसे पुराना पुलिस थाना है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी लगाना नगालैंड पुलिस के आधुनिकीकरण में एक मील का पत्थर है क्योंकि यह कार्य पुलिस बल में लोगों के विश्वास को बहाल करेगा। आम लोगों को पुलिस थाने में जाने से डर लगता है और पुलिस थानों में अत्याचार, यातना, हिंसा और झूठे आरोपों के बहुत से आरोप लगाए जाते हैं। मुख्यमंत्री रियो ने बताया कि सीसीटीवी लगाए जाने से पुलिस थानों में होने वाली गतिविधियों में पारदर्शिता आएगी।

इसके अलावा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने बुधवार को कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम 2023 नगाओं के लिए खतरा नहीं है क्योंकि राज्य में 95 प्रतिशत से अधिक वनक्षेत्र लोगों या समुदाय से संबंधित हैं। संसद द्वारा हाल में वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पारित किए जाने पर राज्य सरकार के रुख के बारे में सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘नगालैंड में मुश्किल से पांच प्रतिशत भूमि और वनक्षेत्र सरकार से संबंधित है जबकि 95 प्रतिशत से अधिक पर लोगों या समुदाय का स्वामित्व है।’’ वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने दो अगस्त को पारित किया था और चार अगस्त को उसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। रियो ने एक आधिकारिक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से कहा कि अनुच्छेद 371 (ए) भूमि और संसाधनों पर नगाओं को विशेष संरक्षण प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह राज्य के लिए खतरा नहीं है लेकिन हम इस संबंध में आगे अध्ययन करेंगे और अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे।’’ नगा पीपुल्स फ्रंट विधायक दल के नेता कुझोलुजो नीनू द्वारा राज्य सरकार से विधानसभा का आपात सत्र बुलाने और अधिनियम को खारिज करने की अपील करने पर रियो ने इससे सहमति जताई और कहा कि कोई भी विधायक इस मुद्दे को उठा सकता है और उस पर चर्चा की जाएगी।

इसके अलावा, देश के शेष हिस्सों के साथ-साथ नगालैंड में भी सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई)5.0 की शुरुआत की गई। राज्य में 2,064 गर्भवती महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रधान निदेशक वी.एम.साचू ने कोहिमा जिले के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) में एक नवजात शिशु को टीके की पहली खुराक देकर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ.इम्कोंगत्मसु लोंगचार ने बताया कि पहले चरण में 209 सत्रों के दौरान पूरे राज्य में 2,064 लाभार्थियों का टीकाकरण किया जाएगा, जिनमें 1,885 बच्चे और 179 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। सघन मिशन इंद्रधनुष का पहला चरण 12 अगस्त तक, दूसरा चरण 11 से 16 सितंबर के बीच और तीसरा चरण नौ से 14 अक्टूबर के बीच आयोजित किया जाएगा।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नगालैंड में एक सदी पुराने दीमापुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी। यह देश भर के उन 508 स्टेशनों में से एक है, जिनका 'अमृत भारत स्टेशन योजना' के तहत आधुनिकीकरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियां जल्द ही रेलवे नेटवर्क से जुड़ेंगी। मोदी ने कहा कि रेल लाइनों के दोहरीकरण, गेज परिवर्तन, विद्युतीकरण, नए मार्गों के निर्माण पर तेजी से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर क्षेत्र में नई रेल लाइनों की शुरूआत तीन गुना बढ़ गई है।” अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पूर्वोत्तर के कुल 56 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि तिराप जिले में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-के (निकी) का एक सदस्य मारा गया और उसके पास से हथियार बरामद किये गये। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। तिराप के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राहुल गुप्ता ने कहा कि असम राइफल्स की खोंसा बटालियन और जिला पुलिस की कार्रवाई में जिले के हुकनजुरी के निकट एक इलाके में एनएससीएन-के का एक सदस्य मारा गया, जिसकी पहचान स्वयंभू सचिव वांगखाई वांगसा के रूप में की गयी है। इससे एक दिन पहले बोरदुरिया पुलिस थाने के प्रभारी के नेतृत्व में संयुक्त टीम और 6 असम राइफल्स की एक टुकड़ी ने एक अभियान चलाया और बोगापानी इलाके से प्रतिबंधित समूह के एक उग्रवादी को गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि गिरफ्तार उग्रवादी की पहचान बोरदुरिया गांव के टेटन लोखो (22) के रूप में की गई है। उन्होंने कहा कि लोखो ने खुलासा किया कि संगठन के दो गुर्गे, वांग्सा और डेविड, लोगों को डराने-धमकाने और जबरन वसूली के लिए लोंगडिंग इलाके में घूम रहे थे। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के आधार पर, संयुक्त टीम द्वारा बृहस्पतिवार को वांग्सा और डेविड दोनों को हुकनजुरी के नजदीक एक क्षेत्र में आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने के लिए एक और अभियान शुरू किया गया। इसके बाद दोनों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

इसके अलावा, 'नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी' (एनपीपी) की अरुणाचल प्रदेश इकाई ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अपने पहले उम्मीदवार के नाम की घोषणा की। एनपीपी के प्रदेश अध्यक्ष थांगवांग वांगम ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी के महासचिव और पूर्व विधायक पकंगा बागे ऊपरी सुबनसिरी जिले की दापोरिजो सीट से चुनाव लड़ेंगे। अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के चार विधायक हैं। यह भारतीय जनता पार्टी नीत राज्य सरकार में शामिल है। एनपीपी मेघालय के सत्तारूढ़ गठबंधन का भी प्रमुख घटक है। वांगम ने कहा, "2014 और 2019 के बीच विधायक के रूप में उनके प्रदर्शन और लोगों के लिए काम करने के लिए उनके समर्पण और उच्च ऊर्जा स्तर के लिए बागे को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।" बागे ने 2014 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दापोरिजो सीट से जीत हासिल की थी। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी उम्मीदवार के रूप में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राज्य एनपीपी प्रमुख ने कहा कि उम्मीदवार चयन प्रक्रिया से संबंधित पार्टी की तीन समितियां जल्द ही अन्य उम्मीदवारों के नामों को लेकर एक बैठक करेंगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के अनकहे इतिहास को व्यापक तौर पर बताने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होने वाले चार दिवसीय थिएटर कार्यक्रम ‘अरुणाचल रंग महोत्सव’ पर बुधवार को प्रसन्नता व्यक्त की। महोत्सव का अंतिम चरण मंगलवार को असम के गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरदेव अंतरराष्ट्रीय सभागार में शुरू हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘अरुणाचल रंग महोत्सव, एक कार्यक्रम से कहीं अधिक बढ़कर है। यह अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है। यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सिद्धांतों के अनुरूप है।’’ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए एक बयान को साझा करते हुए कहा मोदी ने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुवाहाटी सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होते देखकर अच्छा लगा।’’ नाटक के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश के समृद्ध इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक शहर में चार नाटकों का प्रदर्शन किया गया। यह महोत्सव 18 जुलाई से दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में चार-चार दिन के लिए आयोजित किया गया। खांडू ने कहा, ‘‘हमारे इतिहास के किसी भी पाठ में कभी भी हमारे उन नायकों के बारे में बात नहीं की गई, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हमारे स्थानीय शोधकर्ताओं के प्रयासों के लिए धन्यवाद जो हमारे नायकों की कई वीरतापूर्ण कहानियों को सामने लाए। हमें खुशी है कि आने वाली पीढ़ी को अब अरुणाचल प्रदेश के हमारे गुमनाम नायकों की बहादुरी, साहस और बलिदान की कहानियां पढ़ने को मिलेंगी।’’

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले के तीन गांव के लोगों ने धमकी दी है कि यदि सरकार उनके गांवों से गुजरने वाली एक नदी पर स्थायी पुल बनाने की उनकी पुरानी मांग को पूरा नहीं करती है, तो वे अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राइम मोको, पिडी राइम और टोडी राइम गांवों की आबादी लगभग 400 है और उनमें से लगभग 300 लोग मतदान करने के योग्य हैं। देश के इस पूर्वोत्तर राज्य की जनसंख्या 13.84 लाख है। स्थानीय लोगों ने हिजुम नदी पर 20 मीटर लकड़ी का एक अस्थायी पुल बनाया है, लेकिन मानसून के दौरान यह भी किसी काम का नहीं रहता, क्योंकि नदी का जलस्तर बढ़ने पर पुल पानी में नीचे चला जाता है। राइम मोको गांव निवासी पोकपे राइम ने कहा, ‘‘जब नदी उफान पर होती है, तो माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। उन्हें डर होता है कि बच्चे लकड़ी के पुल से फिसल सकते हैं।’’ पोकपे ने कहा कि एक उचित पुल न होने के कारण मरीजों को अस्पताल ले जाना भी बहुत मुश्किल होता है। गांवों के लोगों का मानना है कि सड़क के जरिए संपर्क सुविधा नहीं होने के कारण क्षेत्र को आर्थिक और सामाजिक नुकसान हो रहा है। राइम मोको गांव के प्रधान गैम्बिन राइम ने कहा, ‘‘अगर राज्य सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो हम आगामी संसदीय और विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।’’ पिडी राइम गांव के प्रधान पोकजो राइम ने कहा कि उन्होंने स्थानीय विधायक से 2014 में उनके चुनाव के बाद और 2019 में उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान भी इन मांगों को उठाया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पोकजो राइम ने कहा, ‘‘हमारी आखिरी उम्मीद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (जो अरुणाचल प्रदेश से हैं) से बची है।’’ ये गांव आलो पश्चिम विधानसभा क्षेत्र और अरुणाचल पश्चिम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू यहां से सांसद हैं और राज्य के उद्योग मंत्री तुमके बागरा इस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि त्रिपुरा सरकार ने बिजली उत्पादन को दोगुना करने के लिए गैस आधारित थर्मल बिजली संयंत्र को संयुक्त चक्र संयंत्र में बदलने के लिए एक व्यापक प्रक्रिया शुरू की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सिपाहीजला जिले में त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम (टीएसईसीएल) द्वारा संचालित रोखिया के गैस आधारित थर्मल संयंत्र में अभी हर दिन 63 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। टीएसईसीएल के प्रबंध निदेशक देबाशीष सरकार ने कहा, ''हम रोखिया बिजली संयंत्र को खुले चक्र से संयुक्त चक्र बिजली उत्पादन संयंत्र में परिवर्तित करके समान मात्रा में प्राकृतिक गैस का उपयोग कर करीब 120 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि इससे रोखिया बिजली संयंत्र में बिजली उत्पादन दोगुना हो जाएगा। परियोजना की उत्पादकता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार ने कहा, ''वर्तमान में प्राकृतिक गैस जलाकर बिजली का उत्पादन किया जा रहा है जो अब व्यवहार्य व्यवसाय नहीं रह गया है। यदि संयंत्र का आधुनिकीकरण (संयुक्त चक्र) किया जाए तो उत्पादकता करीब 120 मेगावाट होगी।’’ उन्होंने कहा, ''एशियाई विकास बैंक (एडीबी) बिजली संयंत्र के नवीनीकरण के लिए 845.36 करोड़ रुपये प्रदान करने पर सहमत हुआ है।’’ राज्य में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। पिछले पांच वर्ष में 2.25 लाख नए पंजीकरण के साथ उपभोक्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। राज्य में अब कुल उपभोक्ताओं की संख्या 9.71 लाख है।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने राज्य के पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर चर्चा की गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने हाल ही में कहा था कि बांग्लादेश के रोहिंग्या घुसपैठिये दलालों की मदद से दिल्ली या कश्मीर जाने के लिए त्रिपुरा को गलियारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। साहा ने प्रज्ञा भवन में बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने त्रिपुरा में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ पर विस्तृत चर्चा की।’’ साहा ने कहा कि उन्होंने हाल ही में यह देखने के लिए उनाकोटि जिले का दौरा किया था कि बाढ़ ने कैसे बांग्लादेश के साथ लगी कंटीले तारों वाली अंतरराष्ट्रीय बाड़ को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, ‘‘नदी ने वहां अपनी दिशा बदल ली है, जिससे बाड़ को व्यापक नुकसान हुआ है। अब, घुसपैठिये सीमा पार करने के लिए क्षतिग्रस्त हिस्से का उपयोग कर रहे हैं। पुलिस घुसपैठ के प्रयासों को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ समन्वय बढ़ाएगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि नशीले पदार्थों के खतरे पर कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस मुद्दे पर चर्चा की और पुलिस नशीले पदार्थ के खतरे से गंभीरता से निपट रही है। मादक पदार्थ गिरोह के सरगनाओं को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।’’ साहा ने दावा किया कि राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी है। साहा ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा देश के उन राज्यों में से एक है, जहां अपराध सबसे कम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि राज्य फरवरी में हिंसा मुक्त चुनाव का गवाह बना और इसका श्रेय राज्य पुलिस को जाता है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य का पहला साइबर अपराध पुलिस थाना सितंबर तक बन जाएगा।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मणिक साहा ने दावा किया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति से पूर्वोत्तर में व्यापक बदलाव आए हैं। साहा ने कहा कि क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में संपर्क में तेजी आई है। साहा ने कहा कि जब 1960 के दशक में उत्तरी जिले के धर्मनगर में मीटर गेज रेलवे स्टेशन खोला गया था तब त्रिपुरा के लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि रेल अगरतला से सबरूम तक पहुंचेगी। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देशभर में 508 रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास कार्य की आधारशिला रखी इनमें तीन रेलवे स्टेशन अगरतला के भी हैं। साहा ने कहा, ‘‘आज यह हकीकत बन गया है और अगरतला तथा सबरूम के बीच ट्रेन चल रही है और वह भी ब्रॉड गेज। वर्तमान में 10 से 12 एक्सप्रेस ट्रेन अगरतला आ रही हैं। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे दूरदृष्टा नेता के कारण ही संभव हो सका।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एक्ट ईस्ट नीति से पूर्वोत्तर में व्यापक बदलाव आए हैं क्योंकि इस क्षेत्र में 2014 के बाद से संपर्क काफी बढ़ा है। पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने सम्मेलन के दौरान कहा था कि अब पूर्वोत्तर सही मायने में भारत का हिस्सा बन गया है।’’ साहा ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब त्रिपुरा के लोग 10 घंटे में कोलकाता पहुंचेंगे। भारत-बांग्ला (अगरतला-गंगासागर) रेलवे का काम पूरा करने के लिए विभाग युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है। भारत-बांग्ला रेलवे लिंक के इस साल के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि अमृत भारत स्टेशन परियोजना के तहत पूर्वोत्तर के 91 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा। त्रिपुरा में तीन रेलवे स्टेशनों- उदयपुर, धर्मनगर और कुमारघाट के आधुनिकरकरण में 96.60 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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