Purvottar Lok: Manipur हिंसा से जुड़े CBI जाँच वाले मामले Assam स्थानांतरित, Sarma ने की मंत्रिमंडल की 100वीं बैठक, Mizoram में पुल हादसे में कई मरे, Arunachal BJP में बड़ा फेरबदल

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ANI

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मणिपुर हिंसा संबंधी मामलों में कई निर्देश देते हुए कहा कि आरोपियों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और इसके विस्तार से संबंधित न्यायिक कार्यवाही गुवाहाटी में एक विशेष अदालत में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी।

मणिपुर में शांत होते माहौल के बीच उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई जांच से संबंधित मामलों की सुनवाई असम में स्थानांतरित कर दी है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने अपने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है तो दूसरी ओर त्रिपुरा में उपचुनाव के लिए प्रचार गर्मा गया है। मिजोरम में इस सप्ताह एक बड़े हादसे में लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो गयी तो वहीं असम में मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल की 100वीं बैठक में राज्य के हित में बड़े फैसले लिये। इसके अलावा, मेघालय में एक कंपनी के प्रस्तावित विस्तार संबंधी जन सुनवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में कई लोग घायल हो गये तो नगालैंड में आई फ्लू की वजह से स्कूल बंद करने पड़ गये। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर हिंसा की जांच से संबंधित केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामलों की सुनवाई पड़ोसी राज्य असम में होगी और उसने गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करने को कहा है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई निर्देश देते हुए कहा कि आरोपियों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और इसके विस्तार से संबंधित न्यायिक कार्यवाही गुवाहाटी में एक विशेष अदालत में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। निर्देश में कहा गया है कि आरोपियों को अगर न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है या जब भी ऐसा किया जाएगा तो उन्हें गुवाहाटी स्थानांतरण से बचने के लिए मणिपुर में ही न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। पीठ ने कहा कि सीबीआई मामलों से संबंधित पीड़ित, गवाह और अन्य लोग अगर ऑनलाइन उपस्थित नहीं होना चाहते हैं तो वे विशेष गौहाटी अदालत में प्रत्यक्ष उपस्थिति हो सकते हैं। पीठ ने मणिपुर सरकार को गौहाटी अदालत में ऑनलाइन मोड के माध्यम से सीबीआई मामलों की सुनवाई की सुविधा के लिए उचित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने 21 अगस्त को मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति नियुक्त की थी। दस से अधिक मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। इनमें उन दो महिलाओं के बर्बर यौन उत्पीड़न से संबंधित मामला भी शामिल है, जो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने आशंका जताई है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान यहां के कई निवासी अपने पहचान दस्तावेज खो चुके होंगे। विस्थापितों को पहचान पत्र उपलब्ध हों और पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना का विस्तार हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए समिति ने इस संबंध में शीर्ष अदालत से राज्य सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) सहित अन्य को निर्देश देने का अनुरोध किया है। समिति ने अपनी कार्यप्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए पहचान दस्तावेजों के पुनर्निर्माण, मुआवजे के उन्नयन और विशेषज्ञों की नियुक्ति की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की थीं। 

इसके अलावा, मणिपुर के इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों से सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान के दौरान चार आग्नेयास्त्र, 38 गोला-बारूद और आठ बम बरामद किए हैं। मणिपुर पुलिस नियंत्रण कक्ष ने बृहस्पतिवार रात जारी एक बयान में बताया कि इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, काकचिंग, कांगपोकपी और थौबल जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया और इस दौरान सुरक्षाबलों ने आग्नेयास्त्र, गोला-बारूद और बम बरामद किए। बयान में कहा गया कि ‘‘पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदर्शनकारियों के जुटने की छिटपुट घटनाओं के कारण राज्य में स्थिति तनावपूर्ण’’ रही। यह भी बताया गया कि मणिपुर के पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के विभिन्न जिलों में कुल 123 ‘नाके’ (चेकपॉइंट) स्थापित किए गए और पुलिस ने विभिन्न जिलों में नियमों के उल्लंघन के संबंध में 1,581 लोगों को हिरासत में लिया है। बयान में लोगों से अफवाहों पर विश्वास न करने और फर्जी वीडियो से सावधान रहने की अपील की गई है।

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इसके अलावा, अमेरिका स्थित भारत केंद्रित एक थिंक टैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मणिपुर में धार्मिक हिंसा के कोई सबूत नहीं हैं और उसने इस हिंसा के लिए अंतर-जनजाति अविश्वास, आर्थिक प्रभावों के डर, मादक पदार्थ और विद्रोह को जिम्मेदार ठहराया। इस सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) ने कहा कि ‘‘कुछ लोगों के आरोपों के अनुसार, विदेशी दखल की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता’’। एफआईआईडीएस ने कहा कि मणिपुर राज्य सरकार और भारत सरकार दोनों ने शांति स्थापित करने और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए अपने सभी संसाधन तैनात किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘संक्षेप में कहें तो अतीत की नकारात्मक बातें, जनजातियों के बीच आपसी अविश्वास, आर्थिक प्रभाव का डर, मादक पदार्थ और विद्रोह इस हिंसा में कारक रहे हैं। महत्वपूर्ण रूप से यह ध्यान देने वाली बात है कि जनजातियों के बीच धार्मिक ध्रुवीकरण मौजूद है लेकिन हमें धार्मिक हिंसा के सबूत नहीं मिले। इसके बजाय यह जातीय विभाजन और जनजातियों के बीच ऐतिहासिक अविश्वास और प्रतिद्वंद्विता पर आधारित है।’’ एजेंसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘विभिन्न निष्क्रिय उग्रवादी/चरमपंथी समूहों ने इन हालात का फायदा उठाया और अपनी उपस्थिति पुन: दर्ज कराने के लिए गोलीबारी की। मादक पदार्थ माफियाओं के धन और हथियारों से इसे बढ़ावा मिला। ये माफिया म्यांमा के माध्यम से निर्यात के लिए अफीम उगाते हैं और हेरोइन बनाते हैं। कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि विदेशी हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया जा सकता है।’’ विज्ञप्ति में कहा गया है कि हाल के हफ्तों में हिंसा और विरोध प्रदर्शन शांत हो गए हैं, लेकिन जनजातियों के बीच अविश्वास अब भी मौजूद है और विस्थापित लोग अब भी अपने मूल स्थान पर लौटने में सहज नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि चर्चा, बातचीत, विश्वास-निर्माण संबंधी महत्वपूर्ण उपाय और प्रभावित लोगों के जीवन के पुनर्निर्माण में मदद जैसे कदम इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं। एफआईआईडीएस ने कहा कि रिपोर्ट को अमेरिका स्थित नीति निर्माताओं और थिंक टैंक के साथ साझा किया जाएगा।

इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया। एन. बीरेन सिंह ने शाह को मणिपुर में हालात सामान्य बनाने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान मणिपुर की राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा हुई। शाह के साथ मुलाकात के दौरान सिंह के साथ मणिपुर के कुछ मंत्री भी थे। सिंह ने शाह से मुलाकात करने से पहले कहा, ''हम गृहमंत्री की सलाह लेने यहां आये हैं।’’ शाह और सिंह के बीच यह मुलाकात 29 अगस्त को हो रहे मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र से पहले हुई है। इससे पहले, राज्य के मंत्रिमंडल ने 21 अगस्त को सदन की बैठक बुलाई थी, लेकिन कैबिनेट की अनुशंसा के बावजूद राजभवन की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं किए जाने के कारण मंत्रिमंडल को दोबारा सदन की बैठक बुलानी पड़ी। उसे बाद राज्य मंत्रिमंडल को फिर सत्र की तारीख के लिए सिफारिश करनी पड़ी। कुकी विधायकों ने विधानसभा सत्र में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है क्योंकि राज्य में जातीय हिंसा अब भी चल रही है। इन विधायकों में भाजपा के विधायक भी शामिल हैं। 

इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए पूर्व-निर्मित (प्री-फैब्रिकेटेड) घर कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है और राहत शिविरों में रहने वाले लोगों की कठिनाई को कम करने के लिए उनका निर्माण किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सिंह एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जहां इंफाल पूर्वी जिले के सजीवा जेल परिसर में 300 से अधिक परिवारों को अस्थायी आश्रय गृह सौंपे गए। ये लोग उसी क्षेत्र में विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “ये अस्थायी उपाय हैं। हमारी पहली प्राथमिकता पहाड़ियों और घाटी दोनों में प्रभावित लोगों का पुनर्वास करना है। आठ जगहों पर प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाए जा रहे हैं।” प्री-फैब्रिकेटेड घर तैयार ढांचे हैं जिनका निर्माण कहीं और किया जाता है तथा इन्हें फिर उस स्थान पर इकट्ठा किया जाता है जहां घर स्थापित करना होता है। सिंह ने कहा कि बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा में 320, सजीवा में 400 और इंफाल पूर्व के सॉओमबुंग में 200 घर बनाए गए हैं, जबकि थाऊबल जिले के येइथिबी लोकोल में 400 ऐसे घर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, “घाटी में अगले 10-15 दिनों में इन्हें पहुंचा दिया जाएगा। हमने कई इलाकों में स्थायी ढांचों के निर्माण के लिए एक सर्वेक्षण भी शुरू कर दिया है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में इसमें थोड़ी देरी होगी। सिंह ने कहा, “कांगपोकपी जिले में 700 परिवारों के लिए दो स्थलों पर विचार किया गया है। एक जगह की पहचान कर ली गई है और वहां जमीन का समतलीकरण लगभग पूरा हो चुका है। चुराचांदपुर में भी, निर्माण के लिए एक स्थल की लगभग पहचान कर ली गई है।” उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति में सुधार हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह आशंका अब खत्म हो गई है कि बंदूक से हमले हो सकते हैं। हमारा मानना है कि सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। यह सामूहिक प्रयासों के कारण संभव हुआ है।” 

इसके अलावा, मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 29 अगस्त को राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया है। अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में 29 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश की गई थी। अधिसूचना में कहा गया कि राज्यपाल ने ‘‘12वीं मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र 29 अगस्त मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे बुलाया है।’’ इससे पहले मणिपुर मंत्रिमंडल द्वारा 21 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश किए जाने के बावजूद सोमवार को राज्य विधायिका की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि राजभवन ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी।

इसके अलावा, मणिपुर के इंफाल को असम के सिलचर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-37 को जाम कर प्रदर्शन कर रहे जनजातीय समूहों को हटाकर राजमार्ग लगभग खाली करा लिया गया है, जिससे आवश्यक वस्तुओं से भरे 171 ट्रकों की आवाजाही सुनिश्चित हो पाई। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इंफाल को नगालैंड के दीमापुर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर जनजातीय संगठनों का प्रदर्शन अब भी जारी है जिससे मार्ग अवरुद्ध है। जनजातीय एकता समिति ने मणिपुर के पर्वतीय इलाकों में कुकी-जो समुदायों को आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति की मांग करते हुए सोमवार को कांगपोकपी में एनएच-2 और तमेंगलोंग जिले में एनएच-37 पर कुछ स्थानों पर फिर से नाकेबंदी की थी। पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘‘एनएच-37 पर आवश्यक वस्तुओं के साथ 171 वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की गई है।’’ इसमें कहा गया है कि सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के सख्त उपाय किए गए हैं और वाहनों की स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील हिस्सों में सुरक्षा काफिला उपलब्ध कराया गया है। पुलिस ने कहा कि आगजनी की एक घटना के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक दिन पहले इंफाल पश्चिम में खाली पड़े चार मकानों और एक सामुदायिक हॉल को जला दिया गया था, जबकि कई जिलों में तलाशी अभियान के दौरान हथियार और गोला-बारूद जब्त किए गए थे। पुलिस ने कहा, ‘‘20 और 21 अगस्त की मध्यरात्रि में अज्ञात बदमाशों ने इंफाल पश्चिम जिले के लांगोल में खाली पड़े चार मकानों, एक झोपड़ी और एक सामुदायिक हॉल में आग लगा दी। आगजनी के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।’’ सुरक्षा बलों ने इंफाल पश्चिम और पूर्व, थोउबल, काकचिंग, चुराचांदपुर, तेंगनौपाल कांगपोकपी और बिष्णुपुर जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया। पुलिस ने कहा, ‘‘इंफाल पूर्व, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों से सात हथियार और 81 गोला-बारूद बरामद किए गए।’’ मणिपुर के पर्वतीय और घाटी दोनों क्षेत्रों के विभिन्न जिलों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गईं और पुलिस ने राज्य भर में कानूनों के उल्लंघन के आरोप में 1,369 लोगों को हिरासत में लिया।

असम

असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 2004 के धेमाजी बम विस्फोट मामले में बृहस्पतिवार को सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया। स्वतंत्रता दिवस के दिन हुए इस धमाके में 13 स्कूली बच्चों सहित 18 लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति माइकल जोथनखुमा और न्यायमूर्ति मृदुल कुमार की खंडपीठ ने पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में धेमाजी जिला एवं सत्र अदालत के 2019 के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें चार आरोपियों को आजीवन कारावास और दो अन्य को चार साल की सजा सुनाई गई थी। फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य यह निष्कर्ष निकालने के लिए अपर्याप्त हैं कि अपीलकर्ता अपराध के दोषी हैं। इसमें कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘इसके अलावा, साक्ष्य दर्ज करने वाले न्यायिक अधिकारी ने यह मानने का कारण नहीं बताया कि यह कानून के प्रावधानों के अनुसार स्वेच्छा से दिया गया था।’’ अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में आरोपियों की संलिप्तता सिद्ध करने में विफल रहा है। फैसले में कहा गया कि दोषसिद्धि को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई को छह आरोपियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पूरी करने के बाद यह फैसला सुनाया। जिला अदालत ने दीपांजलि बुरागोहेन, मुही हांडिक, जतिन दुबोरी और लीला गोगोई को आजीवन कारावास की सजा, जबकि प्रशांत भुइयां और हेमेन गोगोई को चार साल जेल की सजा सुनाई थी। यह विस्फोट स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान धेमाजी कॉलेज के मैदान में हुआ था। इस घटना में करीब 45 लोग घायल हुए थे। समारोहों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले प्रतिबंधित संगठन उल्फा ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। याचिकाकर्ताओं के वकील अभिजीत खानिकर ने कहा कि दोनों आरोपियों को जिला अदालत ने चार साल जेल की सजा सुनाई थी क्योंकि उनके घरों से कथित आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुई थीं। खानिकर ने कहा, ‘‘जब्त की गई आपत्तिजनक सामग्री में हेमेन के घर से मिला एक ‘गमोसा’ (तौलिया) और एक टूथपेस्ट शामिल था। यह साबित नहीं हो सका कि उसका संगठन से कोई संबंध था।’’ विस्फोट के बाद मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिला अदालत ने छह को दोषी ठहराया था और सात को बरी कर दिया था, जबकि एक फरार था। विस्फोट में जान गंवाने वाले 14 वर्षीय गिरिन सैकिया की मां तरुलता सैकिया ने निराश होकर कहा कि उल्फा ने स्वीकार किया है कि विस्फोट के पीछे उसका हाथ था, लेकिन पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने में देरी से ‘‘हमें न्याय नहीं मिल सका।’’ उन्होंने घटना की सीबीआई जांच की मांग की। विस्फोट में जान गंवाने वाले 10 वर्षीय प्रदीप्त गोगोई के पिता नित्य गोगोई ने कहा कि वे उच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन आदेश के बाद बेहद दुखी हैं।

इसके अलावा, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और उसके आसपास के विभिन्न इलाकों से पांच शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है और भारी मात्रा में जंगली जानवरों के अंग बरामद किए गए हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि काजीरंगा में शिकारियों की मौजूदगी के संबंध में विशेष सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए असम की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) की एक अभियान टीम मंगलवार को गुवाहाटी से नागांव जिले के कालियाबोर पहुंची। उनके साथ असम वन्यजीव अपराध नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूसीसीबी) इकाई की एक टीम भी मौजूद थी, तथा नागांव जिले के जखलाबंधा पुलिस थाने और कलियाबोर पुलिस थाने के तहत विभिन्न स्थानों पर एक संयुक्त अभियान चलाया गया था। अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किये गये शिकारियों की पहचान मोहम्मद गफ़र कुरैशी, मोहम्मद ओकील कुरैशी, मोहम्मद सफीकुल इस्लाम, उज्जल भराली और आदित्य सरमा के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि अभियान टीम ने उनके कब्जे से 12 हाथीदांत, बाघ के दो दांत, गैंडे के 15 खुर, हिरण का एक सींग, एक किलो पैंगोलिन स्केल और पांच मोबाइल फोन जब्त किए। एसटीएफ टीम ने आगे की जांच के लिए शिकारियों को जाखलाबांधा पुलिस को सौंप दिया जहां शिकारियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘पुरानी भाजपा’ बनाम ‘नयी भाजपा’ की बहस को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 'कांग्रेस-मुक्त भारत' हासिल करने के लिए कोई भी व्यक्ति ‘मिस्ड कॉल’ देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकता है। शर्मा ने असम में भाजपा के कुछ पुराने नेताओं और हाल के दिनों में पार्टी में शामिल हुए लोगों के बीच खींचतान की खबरों के बीच यह टिप्पणी की। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पूर्ववर्ती सर्बानंद सोनोवाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अलावा वह खुद भी तथाकथित 'नयी भाजपा' के लोग हैं। भाजपा की असम इकाई में खींचतान से जुड़े सवाल पर शर्मा ने पत्रकारों से कहा, “नयी और पुरानी भाजपा जैसी कोई चीज नहीं है। अगर पार्टी ने उस तरह से सोचा होता, तो क्या आपको लगता है कि सोनोवाल या हिमंत विश्व शर्मा (असम के) मुख्यमंत्री बन सकते थे?” भाजपा में शामिल होने से पहले शर्मा कांग्रेस का हिस्सा थे, जबकि सोनोवाल असम गण परिषद (एजीपी) से जुड़े हुए थे। शर्मा ने दावा किया कि ‘पुरानी और नयी भाजपा’ वास्तव में एक कांग्रेस प्रायोजित खेल है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के शब्दों को याद किया कि भाजपा में शामिल नये लोग पार्टी के साथ वैसे ही जुड़ गए हैं, जैसे चीनी चाय के साथ घुल-मिल जाती है। शर्मा ने कहा कि अगर भाजपा ‘पुरानी या नयी भाजपा’ के फलसफे पर यकीन करती, तो बीरेन सिंह, पेमा खांडू या बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री, और शुभेंदु अधिकारी विपक्ष के नेता नहीं बन पाते। भाजपा में शामिल होने से पहले सिंह और खांडू कांग्रेस का हिस्सा थे, जबकि अधिकारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से और बोम्मई जनता दल से जुड़े हुए थे। शर्मा ने कहा, “भाजपा ने असम में दो मुख्यमंत्री बनाए और दोनों ही 'नये भाजपा' के लोग थे... भाजपा इतने बड़े दिल वाली पार्टी है।” उन्होंने दोहराया कि इस मुद्दे को उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा ‘‘मीडिया इसे उछालना पसंद करता है, जबकि हमारे अपने कुछ लोग जब भावुक होते हैं, तब कभी-कभी इस पर कुछ बोल पड़ते हैं।’’ शर्मा ने कहा, “इस मुद्दे की कोई प्रासंगिकता नहीं है। भाजपा चाहती है कि कांग्रेस में कोई न बचे। अगर कांग्रेस-मुक्त भारत चाहिए, तो पार्टी से नये लोगों को भाजपा से जुड़ना होगा। हम भाजपा वाले चाहते हैं कि कांग्रेस का भारत में कोई अस्तित्व न बचे।” असम के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि अगर नये लोग भाजपा में आते रहेंगे, तो 'सनातन धर्म' मजबूत होगा और सभ्यता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी और नड्डा ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति मिस्ड कॉल देकर भाजपा में शामिल हो सकता है, ताकि भारत कांग्रेस मुक्त हो सके।” शर्मा ने कहा कि मोदी के राष्ट्रीय परिदृश्य में आने के बाद 'पुरानी और नयी भाजपा' का मुद्दा खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, “अगर यह मुद्दा उठाया गया, तो कांग्रेस को खुशी होगी, क्योंकि कांग्रेस से कोई भी भाजपा में शामिल नहीं होगा और पार्टी के पास उसके बैनर तले चुनाव लड़ने वाले लोग रहेंगे।” असम से चार बार भाजपा सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेन गोहेन, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य, पार्टी के पूर्व विधायक अशोक शर्मा कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने भाजपा के पुराने नेताओं की कथित उपेक्षा का मुद्दा उठाया है। शर्मा के अलावा, उनके मंत्री पीयूष हजारिका, जयंत मल्ला बरुआ और अजंता नियोग तथा कई अन्य विधायक भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस में थे, जबकि मंत्री चंद्र मोहन पटोवारी और कुछ अन्य विधायक एजीपी के साथ थे।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि उल्फा के वार्ता समर्थक धड़े के साथ जारी बातचीत सही दिशा में बढ़ रही है। शर्मा ने कहा कि राज्य में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के साथ मूल निवासियों की पहचान संरक्षित करने की समूह की एक मांग को पूरा कर लिया गया है। असम सरकार के एक बयान के अनुसार शर्मा ने विश्वास जताया कि ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम’ (उल्फा) के वार्ता समर्थक धड़े के साथ चल रही बातचीत सही दिशा में बढ़ रही है। उन्होंने वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति समझौते को अंतिम रूप दिये जाने की कोई निश्चित तारीख नहीं बताई। उल्फा के परेश बरुआ नीत कट्टरपंथी धड़े के बातचीत में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि एक न एक दिन यह गुट सरकार की पेशकश को स्वीकार कर लेगा। उल्फा के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय और आसूचना ब्यूरो (आईबी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की थी। प्रतिनिधिमंडल में उल्फा के ‘अध्यक्ष’ अरविंद राजखौवा, ‘महासचिव’ अनूप चेतिया, इसके अन्य नेता राजू बरुआ और साशा चौधरी शामिल थे। राजखौवा की अगुवाई वाले धड़े ने 2011 में केंद्र सरकार के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी, जबकि परेश बरुआ नीत कट्टरपंथी गुट ने इसका कड़ा विरोध किया था। उल्फा की स्थापना 1979 में ‘संप्रभु असम’ की मांग के साथ हुई थी। तब से समूह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है और केंद्र सरकार ने 1990 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। राजखौवा नीत धड़ा 3 सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुआ था। इससे पहले उल्फा, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक समझौता हुआ था।

इसके अलावा, प्रतिभाशाली बालक ज्ञान भुइयां ने लंदन के विशिष्ट ‘रॉयल कॉलेज ऑफ म्यूजिक’ (आरसीएम) की अपनी यात्रा का वर्णन करते हुए कहा, “कोई भी संगीत को एक पेशे के रूप में नहीं चुन सकता है, यह आपको चुनता है”। गुवाहाटी के एक सांस्कृतिक परिवार से आने वाले 19 वर्षीय ज्ञान भारतीय संगीत परंपरा के उन छात्रों में से एक है, जिन्हें दुनिया के महान संगीत विद्यालयों में से एक में अध्ययन करने का मौका मिल रहा है। सुरीली आवाज के धनी ज्ञान भुइयां संगीत स्नातक के दूसरे वर्ष में है और उसके बाद स्नातकोत्तर कार्यक्रम में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक ने मंगलवार को आरसीएम में पढ़ाई के लिए भुइयां को शिक्षा ऋण देने की घोषणा की, जिसे 1883 में तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में एडवर्ड सप्तम) द्वारा खोला गया था। एसबीआई द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान छात्र ने कहा, “आरसीएम एक अत्यधिक चयनात्मक संस्थान है। यह खुद को विशिष्ट मानता है, लेकिन अभिजात्य नहीं। आरसीएम का एक महान इतिहास और विरासत है। इस विश्व स्तरीय संस्थान का हिस्सा बनना खुशी की बात है।” भुइयां गुवाहाटी के एक निजी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद आरसीएम में शामिल हो गए। वह दुर्लभ भारतीय प्रतिभाओं में से एक हैं, और कई वर्षों के बाद पहली बार प्रतिष्ठित संस्थान में जगह बनाई है।

इसके अलावा, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख और लोकसभा सदस्य बदरुद्दीन अजमल ने मंगलवार को कहा कि असम सरकार को बहु विवाह पर कानूनी रोक लगाने के बजाय एक से अधिक शादी के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहु विवाह इस्लाम में ‘अनिवार्य’ नहीं है। उन्होंने साथ ही सवाल किया कि राज्य सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए क्या किया है। असम सरकार ने बहु विवाह पर प्रतिबंध के लिए विधेयक तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है और सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर प्रस्तावित कानून को लेकर जनता से राय मांगी है। इससे पहले राज्य सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी ताकि वह अध्ययन कर सके कि क्या विधानसभा इस संबंध में कानून बना सकती है। समिति ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य विधायिका को इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार है। विभिन्न धर्मों के प्रमुखों के साथ ‘शांति और न्याय’ विषय पर आयोजित बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में अजमल ने कहा, ''बहु विवाह इस्लाम में अनिवार्य नहीं है। सरकार ने एक पत्नी को खिलाने के लिए व्यक्ति को पर्याप्त संसाधन नहीं दिया है, कैसे वह चार शादी कर उनकी देखभाल कर सकता है?’’ अजमल ने कहा कि वह बहुविवाह के खिलाफ हैं। साथ ही आशंका जताई कि प्रतिबंध लगाने का फैसला राजनीति विचारधारा के तहत होगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का उल्लेख करते हुए एआईयूडीएफ अध्यक्ष ने सवाल किया, ‘‘क्या कश्मीर में शांति आ गई ? रोजाना सैनिक मारे जा रहे हैं। इन सैनिकों के परिवार को जो मिल रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और बेहतर है कि उस पर बात नहीं की जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपने (सरकार ने) ‘तीन तलाक’ (तलाक ए बिद्दत) को खत्म कर दिया लेकिन उन महिलाओं के कल्याण के लिए क्या किया? क्या आपने स्कूल और कॉलेज का निर्माण किया या उद्योग लगाया जहां पर इन महिलाओं को रोजगार मिल सके?’’ धुबरी से सांसद अजमल ने कहा, ''कुछ दिनों तक दुनिया के सामने इन महिलाओं का मखौल उड़ाने के अलावा कुछ भी नहीं किया गया। ये महिलाएं अब भुखमरी की शिकार हैं और आत्महत्या से मर रही हैं लेकिन सरकार उन्हें नहीं देखेगी, कोई उनकी परवाह नहीं करता।’’ उन्होंने कहा कि बहु विवाह पर प्रस्तावित प्रतिबंध ‘मखौल उड़ाने’ की एक और कोशिश है और अगर कोई ‘निरक्षर व्यक्ति’ एक से अधिक शादी करने की कोशिश करता है तो उसे इसके बारे में समझाने की जरूरत है। अजमल ने कहा, ''आजादी के बाद से कई कानून बने हैं। कानून शायद ही मदद कर सके।’’ ‘शांति और न्याय’ कार्यक्रम के बारे में अजमल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम ‘मुहब्बत का पैगाम’ जनता तक पहुंचाने के लिए पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे।

इसके अलावा, असम की मंत्री अजंता नियोग ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला सदस्य दल में 'पूरी तरह से सुरक्षित' हैं और उन्हें सभी स्तरों पर प्रमुख नेतृत्व भूमिकाएं दी गई हैं। नियोग का यह बयान हाल ही में पार्टी की एक महिला नेता के आत्महत्या करने के बाद आया है। इस घटना के मद्देनजर विपक्षी दलों ने भाजपा में महिला कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। नियोग ने विपक्ष को चुनौती दी कि अगर वे महिलाओं के कल्याण के बारे में ‘वास्तव में चिंतित’ हैं, तो पहले वर्ष 2026 का विधानसभा चुनाव जीतें और फिर सदन में महिलाओं से संबंधित मुद्दे उठाएं। भाजपा किसान मोर्चा की एक नेता ने पार्टी के एक अन्य नेता के साथ अंतरंग तस्वीरें सामने आने के बाद 11 अगस्त को अपने गुवाहाटी स्थित आवास पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या की इस घटना के बाद पुलिस ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित एक व्यक्ति समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वित्त और महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहीं नियोग ने यहां प्रदेश भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं और आशा करती हूं कि ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी।’’ उन्होंने कहा, 'भाजपा सदस्य होने के नाते, मैं कह सकती हूं कि पार्टी में महिला सदस्य पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हमने देखा है कि पार्टी ने किस तरह महिलाओं को नेतृत्व भूमिकाएं दी हैं। देश में पहली बार, एक महिला केंद्रीय वित्त मंत्री का पद संभाल रही है। मैं खुद राज्य में वही विभाग संभाल रही हूं।' नियोग ने महिलाओं के लिए आवाज उठा रहे लोगों को वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव लड़ने तथा जीतने और सदन में मामले उठाने की चुनौती दी। उसी स्थान पर एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में, भाजपा की चार अन्य महिला नेताओं ने भी कहा कि पार्टी ने उन्हें उचित प्रमुखता और जिम्मेदारियां दी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आत्महत्या मामले में कांग्रेस समेत विपक्षी दल राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं और इन दलों ने भाजपा के खिलाफ अभियान चलाया है। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष बिजुली कलिता मेधी, राज्य सचिव अपराजिता भुइयां और प्रवक्ता जानकी खौंद तथा जूरी शर्मा बारदोलोई ने कहा, ‘‘भाजपा में महिलाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। वास्तव में, यह कांग्रेस ही है जिसने वर्षों से अपने नेताओं के खिलाफ महिला उत्पीड़न के आरोपों का सामना किया है।’’ असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की चार वरिष्ठ महिला नेताओं ने शुक्रवार को मांग की थी कि भाजपा की महिला नेता की कथित आत्महत्या के मामले में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करे। इस संबंध में एपीसीसी की उपाध्यक्ष प्रणति फुकन और बोबीता शर्मा, महासचिव रोसेलिना तिर्की और विधायक नंदिता दास ने पुलिस आयुक्त दिगंता बराह को एक ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा की महिला नेता की मौत के पीछे नौकरी के बदले नकदी घोटाला है।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए प्रस्तावित कानून पर जनता की राय मांगी है। शर्मा ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक सरकारी सार्वजनिक नोटिस साझा करते हुए लोगों से असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित कानून पर अपने सुझाव भेजने की अपील की। गृह एवं राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव द्वारा प्रकाशित नोटिस में लोगों से 30 अगस्त तक ईमेल या डाक के माध्यम से अपनी राय भेजने का अनुरोध किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि असम सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के वास्ते विधानसभा की विधायी क्षमता का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य विधानसभा बहुविवाह की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के लिए सक्षम है। रिपोर्ट के सारांश को साझा करते हुए, सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि विवाह समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिससे केंद्र और राज्य दोनों इस पर कानून बना सकते हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘प्रतिकूलता का सिद्धांत (डॉक्टरीन आफ रिपगनैंसी) (अनुच्छेद 254) यह निर्धारित करता है कि यदि कोई राज्य कानून केंद्रीय कानून के विरोधाभासी है, तो राज्य का कानून रद्द हो जाएगा, यदि उसे भारत के राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी हासिल नहीं है।’’ रिपोर्ट का हवाला देते हुए, नोटिस में उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म का अनुपालन करने का अधिकार "पूर्ण नहीं है और सामाजिक कल्याण और सुधार के लिए सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और विधायी प्रावधानों के अधीन है।’’ इसमें कहा गया है कि अदालतों ने स्पष्ट किया है कि संरक्षण प्राप्त करने के लिए धार्मिक प्रथाएं आवश्यक और धर्म का अभिन्न अंग होनी चाहिए। नोटिस में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘इस्लाम के संबंध में, अदालतों ने माना है कि एक से अधिक पत्नियां रखना धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। पत्नियों की संख्या सीमित करने वाला कानून धर्म का अनुपालन करने के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता और यह 'सामाजिक कल्याण और सुधार' ' के दायरे में है। इसलिए, एकल विवाह का समर्थन करने वाले कानून अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करते।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, असम राज्य के पास बहुविवाह को समाप्त करने के लिए राज्य विधान बनाने की विधायी क्षमता होगी।" छह अगस्त को, बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने के वास्ते राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता की पड़ताल करने के लिए असम सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी, जिन्होंने तुरंत घोषणा की कि इस विषय पर एक कानून इस वित्तीय वर्ष में लाया जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि समिति ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है कि राज्य बहुविवाह को समाप्त करने के लिए अपने स्वयं के कानून बना सकता है। पंद्रह अगस्त को 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए, शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए जल्द ही एक "सख्त कानून" लाया जाएगा। बारह मई को शर्मा ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फुकन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की थी। विपक्षी दलों ने पहले बहुविवाह पर कानून बनाने के सरकार के फैसले को ध्यान भटकाने वाला और सांप्रदायिक बताया था, खासकर ऐसे समय में जब विधि आयोग को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर सुझाव मिल रहे हैं।

मेघालय

मेघालय से आये समाचार पर गौर करें तो आपको बता दें कि राजधानी शिलांग में एक सीमेंट कंपनी के परिचालन के प्रस्तावित विस्तार के लिए एक जन सुनवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में नौ पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 15 लोग घायल हो गए। अधिकारियों के मुताबिक सार्वजनिक सुनवाई के आयोजन का विरोध करने के लिए प्रदर्शनकारी मेघालय सीमेंट्स लिमिटेड (टॉपसेम) के परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। पूर्वी जैंतिया हिल्स जिले के थांगस्काई गांव में मेघालय सीमेंट्स लिमिटेड में उत्पादन क्षमता के प्रस्तावित विस्तार हेतु जनसुनवाई आयोजित की गई थी। पूर्वी जैंतिया हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ ने कहा, ''हिंसा में कम से कम नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने कंपनी के परिसर में तोड़फोड़ की और आग लगाने की कोशिश की।'’ पुलिस अधीक्षक के मुताबिक जिला प्रशासन, मेघालय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों, ग्राम प्राधिकारियों और कंपनी के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद, सार्वजनिक सुनवाई स्थल को परिसर के अंदर दूसरे हॉल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां भीड़ ने फिर से हमला किया। पुलिस अधीक्षक धनोआ ने बताया कि कई बार अनुरोध करने के बावजूद, प्रदर्शनकारी अधिक हिंसक हो गए और पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।

मिजोरम

मिजोरम से आये समाचारों पर गौर करें तो आपको बता दें कि रेल मंत्रालय ने मिजोरम के आइजोल जिले में एक निर्माणाधीन रेलवे पुल ढहने का कारण पता लगाने के लिए चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुल ढहने की घटना में 22 श्रमिकों की मौत हो गई थी। रेल मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, समिति गठन की तारीख से एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। आदेश में बताया गया कि समिति के चार सदस्य अनुसन्धान अभिकल्प एवं मानक संगठन(आरडीएसओ) के बीपी अवस्थी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली की डॉ. दीप्ति रंजन साहू, भारतीय रेलवे सिविल इंजीनियरिंग संस्थान (आईआरआईसीएएन) के शरद कुमार अग्रवाल और पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे के मुख्य पुल अभियंता संदीप शर्मा हैं। आइजोल के पास बैराबी-सैरंग नयी लाइन परियोजना के तहत बनाया जा रहा रेलवे पुल बुधवार को ढह गया था, जिससे 22 श्रमिकों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। लापता चार मजदूरों के शव बृहस्पतिवार को मिले। एक मजदूर अब भी लापता है और उसका पता लगाने के लिए तलाश अभियान जारी है। पुलिस ने बताया कि सभी पीड़ित पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले थे। घटना होने के समय 26 मजदूर वहां मौजूद थे। रेलवे ने कहा कि बुधवार को हुआ यह हादसा गैंट्री (भारी भरकम ढांचे को लाने-ले जाने वाला क्रेननुमा ढांचा) ढहने के कारण हुआ जिसे कुरुंग नदी के ऊपर बन रहे पुल के निर्माण के लिए लगाया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से प्रत्येक को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है और हादसे में घायल प्रत्येक व्यक्ति को पचास-पचास हजार रुपये दिए जाएंगे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की और मामूली रूप से घायलों को पचास-पचास हजार रुपये देने की घोषणा की।

इसके अलावा, मिजोरम में कुरुंग नदी पर निर्माणाधीन रेलवे पुल के ढहने की घटना गैन्ट्री (एक प्रकार की क्रेन) के गिरने के कारण हुई थी। रेलवे ने यह जानकारी दी। रेलवे ने निर्माणाधीन पुल से जुड़ी घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह पुल भैरवी-सैरांग नयी रेलवे लाइन परियोजना के 130 पुलों में से एक है। रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि जो गैन्ट्री गिरी है, उसे एसटीयूपी कंसल्टेंट नामक कंपनी ने डिजाइन किया था और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)- गुवाहाटी ने इसकी दृढ़ता जांच की थी। रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ''इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है।’’ गैन्ट्री इस्पात की भारी संरचनाएं होती हैं, जिनका इस्तेमाल पुल खंडों या गर्डरों को उठाने और उनको आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ''पुल नहीं टूटा है। यह एक गैन्ट्री थी, जो निर्माणाधीन पुल पर उतारते समय गिर गई।’’ मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने इस घटना को पुल ढहना बताया है जबकि रेलवे ने दावा किया है कि पुल का जो हिस्सा पहले ही बन चुका है वह अब भी बरकरार है। बैराबी-सैरांग लाइन भारतीय रेलवे के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत बैराबी से सैरांग तक 51 किलोमीटर लंबी है। इस रेल लाइन में 130 पुल, 23 सुरंगें और चार स्टेशन- हॉर्टोकी, कावनपुई, मुआलखांग और सैरांग शामिल हैं।

इसके अलावा, मिजोरम के गृह मंत्री लालचामलियाना ने कहा है कि उनकी सरकार ने गांवों की सूची सहित राज्य की सीमा के संबंध में अपना दावा फरवरी में ही असम को सौंप दिया था। मिजोरम के तीन जिले- आइजोल, कोलासिब और ममित, असम के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। जुलाई 2021 में सीमा विवाद के बाद दोनों राज्य इस जटिल मुद्दे का समाधान खोजने के लिए बातचीत कर रहे हैं। नवंबर 2022 में गुवाहाटी में हुई आखिरी बैठक में दोनों पक्षों ने फैसला किया कि मिजोरम अपने दावे के समर्थन में तीन महीने के भीतर गांवों की सूची, उनके क्षेत्र, भू-स्थानिक सीमा और अन्य प्रासंगिक जानकारी प्रस्तुत करेगा। फिर किसी समाधान पर पहुंचने के लिए दोनों राज्यों द्वारा क्षेत्रीय समितियों का गठन करके इनकी जांच की जा सकती है। लालचामलियाना ने विधानसभा को बताया कि मिजोरम सरकार ने अपने क्षेत्र, गांवों और उस क्षेत्र के लोगों के बारे में अपना दावा 13 फरवरी को ही असम को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि मिजोरम ने असम सरकार को पत्र लिखकर इस पर स्पष्टीकरण का भी अनुरोध किया है और अब भी जवाब का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा, सीमा विवाद का समाधान ढूंढ़ने के लिए दोनों राज्यों के बीच अब तक तीन दौर की बातचीत हो चुकी है।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी ने एक बयान में शुक्रवार को बताया कि भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बियूराम वाहगे द्वारा किए गए इस फेरबदल को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भी आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गई है। ताडर निगलार को प्रदेश इकाई का महासचिव बनाया गया है जबकि रोमिन बबोम और डोटम सोरा को राज्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। कोहमान लुंगफी नगेमू भाजपा महिला मोर्चा की नई प्रदेश अध्यक्ष होंगी जबकि रितेम्सो मन्यु युवा मोर्चा के और गमसेन लोलेन किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष होंगे। केम यांगफो पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे जबकि संबू सियोंगजू अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष होंगे।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल के.टी. परनाइक ने सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) को जीवंत गांव कार्यक्रम के तहत दूरदराज के सीमावर्ती गांवों को आपस में जोड़ने के काम में तेजी लाने और राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में समावेशिता और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है। पूर्वी सियांग जिले के दो दिवसीय दौरे पर आये राज्यपाल ने पासीघाट में बी.आर.ओ. की परियोजना ब्रह्मांक के मुख्य अभियंता ए के मिश्रा के साथ बैठक के दौरान सड़क की देखभाल की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि ग्रामीणों को कम से कम असुविधा हो। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि परनाइक ने सड़कों का निर्माण कार्य समय पर पूरा करने और काम की उचित गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। बीआरओ के मुख्य अभियंता ने स्थानीय संपर्क एवं स्थानीय विकास को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रोजेक्ट ब्रह्मांक के तहत चल रही परियोजनाओं पर एक व्यापक जानकारी प्रदान की। राज्यपाल ने मजबूत सड़क संचार के सर्वोपरि महत्व को पहचानते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और स्थानीय समुदायों के उत्थान को सुनिश्चित करने के लिए सड़क निर्माण की गति में तेजी लाने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क एवं बुनियादी ढांचे का ग्रामीण आबादी के सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर दूरगामी तथा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। राज्यपाल ने अच्छी सड़कों के कारण एक महत्वपूर्ण लाभ के रूप में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि पर प्रकाश डाला, जबकि राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए पर्यटन में वृद्धि की संभावना बताई। उन्होंने बीआरओ और प्रमुख सड़क निर्माण एजेंसी से जुड़े सभी व्यक्तियों से अरुणाचल प्रदेश के विकास पथ में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। राज्यपाल ने कठिन इलाकों और परिस्थितियों में रणनीतिक सड़कों की प्रगति के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध प्रयासों के लिए बीआरओ, प्रोजेक्ट ब्रह्मांक और उसके सभी कर्मियों की सराहना की।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग ने अरुणाचल डेमोक्रेटिक पार्टी (एडीपी) नाम से नया राजनीतिक दल बनाया है, जो अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेगा। अपांग ने कहा, “एडीपी के गठन का मुख्य एजेंडा इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर राज्य का कल्याण करना है। हमारा मकसद राज्य से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना, युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर प्रदान करना और कानून-व्यवस्था दुरुस्त करना है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनने पर राज्य को छठी अनुसूची के तहत लाने का वादा किया, जो राज्य के लोगों की काफी समय से लंबित मांग है। पार्टी राज्य की सभी 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। अपांग 18 जनवरी 1980 से 19 जनवरी 1999 और फिर अगस्त 2003 से अप्रैल 2007 तक सात बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह जनता दल (सेक्युलर) के सदस्य रहे और 2016 से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों पर गौर करें तो आपको बता दें कि भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच त्रिपुरा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बिलाल मिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। इससे पहले मिया ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। त्रिपुरा कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि मिया के इस्तीफे के बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। हाल ही में त्रिपुरा के वरिष्ठ मंत्री रतन लाल नाथ और सुशांत चौधरी ने सिपाहीजला जिले के सोनामुरा में मिया के आवास पर उनसे मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्हें निष्कासित किया गया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "बिलाल मिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण छह साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है।" राज्य के पूर्व मंत्री मिया ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मिया ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मलिल्कार्जुन खरगे को लिखे एक पत्र में कहा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बीते 44 वर्षों से मेरा घर रही है और इस दौरान मैंने विभिन्न पदों पर रहकर पार्टी की सेवा की है। फिलहाल में त्रिपुरा कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष हूं और मैं तत्काल प्रभाव से प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ कांग्रेस के सभी पार्टी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं।" त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने मिया को निष्कासित किया। मिया सोनामुरा उपखंड में अल्पसंख्यक मतदाताओं के लिये पार्टी का मुख्य चेहरा थे। यहां पांच सितंबर को दो विधानसभा क्षेत्रों के लिये उपचुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री माणिक साहा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्जी बृहस्पतिवार को बॉक्सानगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुलुबारी में एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि उपचुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री और त्रिपुरा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में मिया और सैंकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने की संभावना है।

इसके अलावा, त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले में दो विधानसभा क्षेत्रों में पांच सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी मतों का विभाजन रोकने के प्रयास के तहत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने मुख्य विपक्षी दल टिपरा मोथा और कांग्रेस के साथ एक और दौर की बैठक की। माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने यह जानकारी दी। हालांकि, इस बैठक का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। टिपरा मोथा और कांग्रेस ने बोक्सानगर और धनपुर में माकपा उम्मीदवारों के लिए अपने संयुक्त समर्थन की अभी तक पुष्टि नहीं की है। पाार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘मैंने भाजपा विरोधी मतों के विभाजन को रोकने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार साहा के साथ बैठक की। उन्होंने हमें मदद का आश्वासन दिया लेकिन अंतिम निर्णय अगले 48 घंटों के भीतर लिया जाएगा।’’ देबबर्मा ने दावा किया कि माकपा ने टिपरा मोथा से मदद मांगी है। साठ सदस्यीय राज्य विधानसभा में माकपा के 13 सदस्य हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें बताया कि माकपा ने हमारी सहमति के बिना दोनों विधानसभा क्षेत्रों में एकतरफा उम्मीदवार उतारे हैं।’’ उपचुनाव में टिपरा मोथा के सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन नहीं करने की बात पर जोर देते हुए देबबर्मा ने कहा कि उन्होंने माकपा को आश्वासन दिया कि वे पार्टी के भीतर संयुक्त प्रचार अभियान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे और उन्हें 48 घंटे में बताएंगे। देबबर्मा ने कहा कि पार्टी संयुक्त प्रचार अभियान का समर्थन करने का अंतिम फैसला करने से पहले टिपरा मोथा की ग्रेटर टिपरालैंड की मुख्य मांग पर माकपा का रुख जानना चाहती है। इस उपचुनाव में हालांकि आठ उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन दोनों सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा और माकपा के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। अभी तक न तो टिपरा मोथा और न ही कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए उम्मीदवार उतारे हैं।

इसके अलावा, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जल्द ही त्रिपुरा और हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा कर सकती हैं। त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने यह जानकारी दी। रॉय बर्मन ने कहा कि वह दौरे के संबंध में उनसे पहले ही बात कर चुके हैं। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'मैं पहले ही अपनी नेता प्रियंका गांधी वाद्रा से बात कर चुका हूं और उनका जल्द ही मणिपुर और त्रिपुरा का दौरा करने का कार्यक्रम है।' रॉय बर्मन ने बताया कि अपनी त्रिपुरा यात्रा के दौरान कांग्रेस महासचिव गोमती जिले में त्रिपुरेश्वरी मंदिर का दौरा करेंगी। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किए गए रॉय बर्मन का उनके समर्थकों ने पार्टी कार्यालय में अभिनंदन किया। वह त्रिपुरा से पहले कांग्रेस नेता हैं, जिन्हें कांग्रेस कार्य समिति में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, "कार्य समिति में मेरा शामिल होना न केवल व्यक्तिगत गौरव की बात है, बल्कि उन कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए भी गर्व की बात है, जो पूर्वोत्तर राज्य में निडर होकर काम कर रहे हैं।"

नगालैंड

नगालैंड से आये समाचार पर गौर करें तो आपको बता दें कि राज्य में कंजंक्टिवाइटिस (आंखों में संक्रमण) के बढ़ते मामलों के बीच राज्य के तीन जिलों ने सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्कूल बंद कर दिए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के दीमापुर, चुमौकेदिमा और नुइलैंड जिलों में 26 अगस्त तक स्कूल बंद रहेंगे। नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट (एनपीसीबीवीआई) के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी होइतो सेमा ने बताया कि असम राइफल्स के जवान जुलाई में छुट्टी से फेक जिले में लौटे थे और उनकी आंखों में संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि एक जुलाई से अब तक राज्य में 1,006 मामले सामने आए हैं, जो हाल के समय में सबसे अधिक है। उन्होंने बताया कि दीमापुर में सबसे अधिक 721 मामले दर्ज किए गए हैं, इसके बाद कोहिमा में 198 और मोकोकचुंग में 87 मामले दर्ज किए गए हैं। सेमा ने कहा कि कंजक्टिवाइटिस या आंखों में संक्रमण के मामले बढ़ने की आशंका है, क्योंकि कई जिला अस्पतालों ने अभी तक रिपोर्ट जमा नहीं की है। स्कूलों को बंद करने की घोषणा करते हुए चुमौकेदिमा, दीमापुर और न्यूलैंड के उपायुक्तों ने अलग-अलग आदेशों में कहा, कंजक्टिवाइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खासकर बच्चों में, और स्वास्थ्य विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद, यह निर्णय किया गया है कि संक्रमण के प्रसार को रोके जाने तक स्कूल में कक्षाएं निलंबित रहेंगी। हालांकि, उपायुक्तों ने स्कूल अधिकारियों से इस अवधि में ऑनलाइन कक्षा चलाने जैसा विकल्प खोजने की अपील की हैं।

इसके अलावा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि केंद्र का पूर्वोत्तर या किसी अन्य क्षेत्र से संबंधित संविधान के किसी विशेष प्रावधान को छूने का कतई कोई इरादा नहीं है, और उन्होंने "इस तरह की आशंकाएं पैदा करने" के किसी भी प्रयास की निंदा की। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष यह दलील दी। इससे पहले वकील मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसी आशंकाएं हैं कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, उसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित विशेष प्रावधानों को भी खत्म किया जा सकता है। कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य तिवारी अरुणाचल प्रदेश के विधायक पी रिचो की ओर से पक्ष रख रहे थे जिन्होंने अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए आवेदन किया है। केंद्र सरकार की ओर से मेहता ने तिवारी को टोकते हुए कहा, ‘‘मुझे यह कहने का निर्देश प्राप्त है। यह किसी तरह की शरारत हो सकती है। कोई आशंका नहीं है और आशंका पैदा करने की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें अस्थायी और स्थायी प्रावधानों के बीच अंतर को समझना चाहिए। केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों से संबंधित संविधान के किसी भी विशेष प्रावधान को छूने का भी कोई इरादा नहीं है।’’ तिवारी ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के लिए अनुच्छेद 370 की तरह संविधान की छठी अनुसूची में उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय परिक्षेत्र में छोटी सी आशंका के भी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह अदालत मणिपुर में ऐसी एक स्थिति से निपट रही है।’’ तिवारी ने कहा कि वह मौजूदा केंद्र सरकार की कार्रवाई का जिक्र नहीं कर रहे बल्कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में बात कर रहे हैं। पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल रहे। पीठ ने तिवारी से कहा कि अदालत को उस याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए जिसमें आशंकाएं और पूर्वानुमान हों। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘जब सॉलिसिटर जनरल ने हमें सूचित किया है कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है तो हमें कोई आशंका क्यों करनी चाहिए? हमें इस क्षेत्र में जाने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। इस तरह से पूर्वोत्तर पर ध्यान नहीं दें। केंद्र सरकार के बयान से आशंकाएं दूर हो गयी हैं।’’ पीठ ने मेहता की दलीलों को दर्ज करने संबंधी आदेश को पारित करने के बाद हस्तक्षेप याचिका का निस्तारण तत्काल कर दिया।

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