Purvottar Lok: Manipur में एक घंटे भी नहीं चली विधानसभा, सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, Assam में बाढ़ से हालात कई जगह खराब, Mizoram में चुनावी तैयारियों की समीक्षा

Manipur Assembly
ANI

हम आपको बता दें कि मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होने के एक घंटे के अंदर ही, कांग्रेस विधायकों द्वारा इसकी अवधि बढ़ा कर पांच दिन किये जाने की मांग करते हुए हंगामा करने के बाद विधानसभा की बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।

मणिपुर में हिंसा के लंबे दौर के बाद विधानसभा का पहला सत्र आयोजित किया गया लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण यह एक घंटे भी नहीं चला और सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर असम के कई जिलों में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, मिजोरम में चुनावी तैयारियों की समीक्षा करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधिमंडल पहुँचा हुआ है तो मेघालय ने असम के साथ सीमा विवाद हल करने के लिए बैठक की है। त्रिपुरा में स्कूलों और कॉलेजों में रोमन लिपि में कोकोबोर्क भाषा को लागू करने की मांग को लेकर इस सप्ताह हंगामा हुआ तो नगालैंड के वरिष्ठ विधायक नोके वांगनाओ का संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले के लोगों की खुशी का तब ठिकाना नहीं रहा जब सेना, बीआरओ और सरकार के सहयोग से 120 फुट लंबा पुल बनने से ग्रामीणों की पुरानी समस्या का समाधान हो गया। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर क्षेत्र से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

मणिपुर के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री गोविंददास कोंथौजम ने कहा है कि विधानसभा के एक दिवसीय सत्र के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस का ‘असंवैधानिक और अशोभनीय व्यवहार’ बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जब विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में प्रवेश किया तो विपक्ष ने हंगामा किया और विपक्षी सदस्यों ने शोक संदेश पढ़े जाने के दौरान लगातार व्यवधान डाला। हम आपको बता दें कि सत्र शुरू होने के एक घंटे के अंदर ही, कांग्रेस विधायकों द्वारा इसकी अवधि बढ़ा कर पांच दिन किये जाने की मांग करते हुए हंगामा करने के बाद विधानसभा की बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। मंत्री ने कहा, ‘‘राज्य के लोगों को जानना चाहिए कि कांग्रेस ने सदन में काफी व्यवधान डाला।’’ शिक्षा एवं कानून मंत्री टी बसंत ने कहा, ‘‘यहां तक कि जब अध्यक्ष थौकचोम सत्यव्रत सिंह ने कुछ कहना चाहा, तब कांग्रेस सदस्यों ने शोरगुल करना शुरू कर दिया और सदन की कार्यवाही बाधित की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष के पास सदन को करीब आधे घंटे के लिए स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सत्र दोबारा शुरू होने पर विपक्षी नेताओं ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा और सदन की कार्यवाही नहीं होने दी।’’ इस बीच, मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सत्र भारत के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला दिन है। कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह ने कहा, ‘‘विधानसभा का सत्र सिर्फ संवैधानिक संकट को टालने के लिए बुलाया गया था, ना कि जनता के हित के लिए। सदस्यों को सवाल पूछने से वंचित किया जा रहा है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘हम सदन में चिल्लाना नहीं चाहते, लेकिन सरकार के तानाशाह रवैये के खिलाफ हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। कानून का शासन नहीं है बल्कि तानाशाही है, यही कारण है कि हम इसकी निंदा करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने पांच दिवसीय सत्र के लिए अनुरोध किया, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई। हमने जन हित में राज्य की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई। शोक संदेश के बाद सत्र स्थगित कर दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ हम आपको यह भी बता दें कि सभी 10 कुकी विधायक सदन से अनुपस्थित थे।

इसके अलावा, मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के नारायणसेना में मंगलवार सुबह दो समूहों के बीच हुई झड़व में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि अन्य एक व्यक्ति घायल हो गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गांव की सुरक्षा में तैनात एक व्यक्ति अचानक बम फटने से मारा गया। वह एक राहत शिविर में रह रहा था। उन्होंने बताया कि एक अन्य व्यक्ति के कंधे पर गोली लगी है जिसे इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत स्थिर है। पुलिस ने बताया कि इस बीच, विभिन्न संगठनों के चार उग्रवादियों को अलग-अलग अभियानों में गिरफ्तार किया गया है जिसमें उनके पास हथियार और गोला-बारूद जब्त किया गया। पुलिस ने एक बयान में बताया कि तलाशी अभियान के दौरान, पुलिस दलों ने इंफाल पूर्व और बिष्णुपुर जिलों से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) तथा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक-एक उग्रवादी और कांगलेइपक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) (लामयांबा खुमान गुट) के दो उग्रवादियों गिरफ्तार किया गया है। अभियान के दौरान छह बंदूकें, पांच कारतूस और दो विस्फोटक भी जब्त किए गए। बयान में बताया गया है कि सुरक्षा बलों द्वारा घाटी के पांच जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया है।

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इसके अलावा, असम राइफल्स ने बल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उसके मनोबल को गिराने के आरोप में मणिपुर के एक नेता को कानूनी नोटिस भेजा है। शिलांग के एक वकील की ओर से रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-आठवले) के राष्ट्रीय सचिव महेश्वर थौनाओजम को 18 अगस्त को नोटिस भेजा गया। नोटिस में कहा गया है कि देश का सबसे पुराना अर्द्धसैनिक बल असम राइफल्स देश की सेवा कर रहा है और मणिपुर समेत विभिन्न क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नोटिस में कहा गया है, “यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि मणिपुर आफस्पा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम) के तहत एक अधिसूचित क्षेत्र नहीं है, लेकिन सक्षम मजिस्ट्रेट ने विशेष रूप से कानून -व्यवस्था बनाए रखने में सहायता के लिए सशस्त्र बलों को तैनात करने को लेकर तीन और पांच मई आदेश जारी किया था।” थौनाओजम ने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे और वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी के हकदार हैं। थौनाओजम ने कहा, “मैंने कोई बयान नहीं दिया, मैंने एक सवाल पूछा था। मैंने एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि मेइती समुदाय के व्यक्ति के तौर पर अपनी बात रखी थी। यहां हर मेइती जानता है कि असम राइफल्स के कुछ अधिकारी कुकी उग्रवादियों के साथ कैसे नाचते और गाते हैं, इसे साबित करने के लिए वीडियो हैं। मैं वही बात दोहरा रहा था, जो यहां के सभी मेइती लोगों को पता है।” असम राइफल्स ने "झूठे आरोप और मानहानि" के लिए लिखित और सार्वजनिक माफी की मांग की और उनसे 30 जून को दिल्ली में मेइती समुदाय से संबंधित कार्यक्रम में दिए गए बयान को वापस लेने के लिए कहा। नोटिस में उल्लेख किया गया है कि बैठक में थौनाओजम ने कहा था, “ग्रामीणों ने यह भी बताया कि असम राइफल्स ग्राम रक्षा बल को खत्म करने के लिए कुकी उग्रवादियों की मदद कर रहा है।”

इसके अलावा, मणिपुर में विभिन्न संगठनों के चार उग्रवादियों को अलग-अलग अभियान में गिरफ्तार किया गया और उनके पास से हथियार एवं गोला बारूद भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने एक बयान में बताया कि तलाश अभियानों के दौरान पुलिस के दलों ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक मुइवा) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक-एक उग्रवादी और इंफाल ईस्ट तथा बिष्णुपुर जिले से कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (लमयांबा खुमान गुट) के लिए काम करने वाले दो लोगों को पकड़ा। उसने बताया कि अभियानों के दौरान छह आग्नेयास्त्र, पांच कारतूस और दो विस्फोटक भी बरामद किए गए हैं। बयान के अनुसार, सुरक्षा बलों ने घाटी के पांच जिलों के संवदेनशील इलाकों में तलाश अभियान चलाए थे। इसमें बताया गया है कि संवेदनशील इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग 37 (इंफाल-सिलचर रोड) पर वाहनों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखी जा रही है और संवेदनशील मार्गों पर सुरक्षा उपलब्ध करायी जा रही है। पुलिस ने बताया कि विभिन्न पर्वतीय और घाटी जिलों में कुल 129 जांच चौकियां बनायी गयी हैं और नियमों के उल्लंघनों के चलते 2,027 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

इसके अलावा, मणिपुर में तीन महीनों से जारी हिंसा के कारण तंग अस्थायी राहत शिविरों में रहने वाले लोगों ने सरकार से इस अशांति का समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने घरों को वापस लौट सकें। उनमें से कुछ लोग अस्थायी आवासों में भी नहीं जाना चाहते हैं जो उन्हें सरकार ने उपलब्ध कराये हैं। उनका कहना है कि यदि वे पूर्वनिर्मित आवासीय इकाइयों में चले जायेंगे तो वे फिर कभी अपने घरों में नहीं लौट पायेंगे। इंफाल पूर्वी जिले के अकरमपेट में आइडियल गर्ल्स कॉलेज में स्थापित अस्थायी थोंडजू केंद्र राहत शिविर में रह रहे कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें ‘‘उनके घरों का पुनर्निर्माण करा दिये जाने के सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं है।’’ भारत-म्यामां की सीमा से सटे मोरेह शहर के रहने वाले सांताम्बी ने कहा, ''राहत शिविरों में रहते हुए तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है। हम यहां कब तक रहेंगे। हम अपना घर वापस चाहते हैं। हमारे लोगों की हत्या कर दी गयी, अब हमें इंसाफ की जरूरत है।’’ चूराचंद्रपुर की न्गाथोइबी (24) और उसके परिवार भी अपने घर में लौटना चाहते हैं क्योंकि वे ‘अमानवीय स्थिति’ में राहत शिविर में नहीं रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''मेरा छह सदस्यों का परिवार है, उनमें पति, सात महीने का बच्चा, ससुर, सास और ननद है। ये सभी लोग यहां राहत शिविर में है। तीन मई को हमारा घर जला दिया गया था और हम वहां से भागते समय कुछ साथ ले भी नहीं पाये थे, इस संघर्ष में हमारा सबकुछ बर्बाद गया है।’’

असम

असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि एनआईए ने अलकायदा से जुड़े एक आतंकवादी समूह के असम में सक्रिय मॉड्यूल के दो कथित सदस्यों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है। इन पर देश में आतंक और हिंसा फैलाने की साजिश रचने का आरोप है। अधिकारियों ने बताया कि पूरक आरोप पत्र अकबर अली और अबुल कलाम आजाद के खिलाफ दायर किया गया है, जिन्हें पांच अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि दोनों असम के बारपेटा जिले में सक्रिय रहे अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) का हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम कर रहा था। उन्होंने बताया कि इस्लाम 'शेखुल हिंद महमदुल हसन जमीउल हुदा इस्लामिक अकादमी' में एक अरबी शिक्षक और ढकलियापारा मस्जिद का इमाम होने की आड़ में आतंकी गतिविधि में संलिप्त था। उन्होंने कहा कि एजेंसी मॉड्यूल के बांग्लादेशी आकाओं की तलाश कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि एनआईए ने दोनों के खिलाफ अपने पूरक आरोप पत्र में भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाये हैं। संघीय एजेंसी ने पिछले साल अगस्त में समूह के आठ अन्य आरोपियों के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया था। एनआईए प्रवक्ता ने एक बयान में बताया, ''दोनों आरोपियों, मोहम्मद अकबर अली उर्फ अकबर अली और अबुल कलाम आजाद ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के एक सक्रिय आतंकी मॉड्यूल के हिस्से के रूप में आतंकवादी गतिविधियों को भड़काने और बढ़ावा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची थी। एबीटी प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा इन इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) से संबद्ध है।’’ प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपी अल-कायदा और एबीटी को मजबूत करने और युवाओं को आतंकवादी कृत्यों के लिए तैयार करने में लगे हुए थे। एनआईए ने जांच के दौरान यह भी पाया है कि वे पड़ोसी जिलों में विभिन्न धार्मिक स्थानों पर एक्यूआईएस की गतिविधियों का विस्तार करने के लिए बैठकें आयोजित करने में सह-षड्यंत्रकारी थे। प्रवक्ता ने बताया, ''मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें लामबंद करने का काम मॉड्यूल के बांग्लादेशी आकाओं, जाकिर उर्फ मेहदी हसन उर्फ अमीनुल इस्लाम, महबूब रहमान उर्फ महबूब आलम उर्फ सुल्तान के सक्रिय मार्गदर्शन में हो रहा था।’’ असम पुलिस ने चार मार्च 2022 को इस संबंध में मामला दर्ज किया। बाद में एनआईए ने मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाल ली और 22 मार्च 2022 को फिर से मामला दर्ज किया। बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम ने उस समूह का नेतृत्व किया, जिसका संचालन असम के बारपेटा से होता था। एनआईए ने आरोप लगाया है कि सैफुल जिहादी संगठनों में शामिल होने के लिये मुसलमानों को समझाने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल था, ताकि वे भारत में अल-कायदा और इसके विभिन्न संगठनों के लिए आधार बनाने के वास्ते मॉड्यूल में काम करें। इसमें कहा गया है कि मॉड्यूल के बांग्लादेशी आकाओं और अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

इसके अलावा, असम और मेघालय के बीच सीमा विवादों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए दोनों राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो मंत्रियों ने सोमवार को एक बैठक की और अगले महीने विवादित लांगपिह क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों का संयुक्त दौरा करने का निर्णय लिया। शिलांग से लगभग 100 किलोमीटर दूर लांगपिह असम के कामरूप जिले और मेघालय के पश्चिम खासी हिल्स जिले के बीच स्थित है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्रमशः असम और मेघालय के मंत्री चंद्र मोहन पटोवारी और पॉल लिंगदोह ने शिलांग में हुई बैठक में अपनी-अपनी क्षेत्रीय समितियों का नेतृत्व किया। पटोवारी ने पत्रकारों से कहा, 'विवादित क्षेत्रों को अब सीमित कर दिया गया है और दोनों क्षेत्रीय समितियों के सदस्य दोनों राज्यों में विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद सितंबर के आखिर में चिह्नित क्षेत्रों का दौरा करेंगे।' उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सभी हितधारकों की राय ली जाएगी और एक समाधान निकाला जाएगा। लिंगदोह ने कहा, “जिला परिषद के सदस्यों और दोनों राज्यों के उपायुक्तों को एक सूची तैयार करने और अगली बैठक में विशिष्ट नाम (उन गांवों के, जो समस्या-मुक्त हैं) पेश करने का निर्देश दिया गया है।”

इसके अलावा, असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई क्योंकि इससे 1.90 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई है। यह जानकारी एक आधिकारिक बुलेटिन से मिली। बुलेटिन में कहा गया है कि ऊंचे इलाकों में लगातार बारिश के कारण अधिकांश नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जलस्तर बढ़ने के कारण ब्रह्मपुत्र नदी पर गुवाहाटी और जोरहाट के निमतीघाट में नौका सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने कहा कि शिवसागर जिले के डेमो में एक व्यक्ति की मौत होने की सूचना मिली है, जिससे इस साल की बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे 1,90,675 लोग प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित लखीमपुर जिला है जहां 47,338 लोग प्रभावित हुए हैं, इसके बाद धेमाजी है जहां 40,997 लोग प्रभावित हुए हैं। कुल मिलाकर 427 लोग दो राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं, जबकि 45 राहत वितरण केंद्र कार्यरत हैं। एएसडीएमए ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ विभिन्न प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चला रहे हैं। डिब्रूगढ़, धुबरी, तेजपुर और जोरहाट में निमतीघाट में ब्रह्मपुत्र खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। एएसडीएमए बुलेटिन में कहा गया है कि बेकी, जिया-भराली, दिसांग, दिखौ और सुबनसिरी नदियां भी लाल निशान को पार कर गई हैं। अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग ने कहा कि ब्रह्मपुत्र के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गुवाहाटी में नौका सेवाएं मंगलवार से निलंबित रहेंगी। इसमें यह भी कहा गया है कि ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बारिश के कारण निचले इलाकों में नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण निमतीघाट और माजुली के बीच नौका सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। एएसडीएमए ने कहा कि 8,086.40 हेक्टेयर फसल भूमि वर्तमान में बाढ़ के पानी में डूब गई है और 1,30,514 जानवर प्रभावित हुए हैं, जिनमें 81,340 बड़े जानवर और 11,886 कुक्कुट शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि बाढ़ के पानी से तटबंध टूटने की सूचना उदलगुड़ी के दो इलाकों से और बिस्वनाथ एवं दरांग के एक-एक इलाके से मिली है। इसमें कहा गया है कि बाढ़ से सड़कें, पुल, बिजली के खंभे और स्कूल सहित अन्य संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। एएसडीएमए बुलेटिन में कहा गया है कि बारपेटा, बिस्वनाथ, धुबरी, लखीमपुर, मोरीगांव, नलबाड़ी, शिवसागर, सोनितपुर, तिनसुकिया और उदलगुरी से कटाव की सूचना मिली है।

इसके अलावा, असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता इंद्राणी तहबीलदार की आत्महत्या के मामले के तार मौजूदा राज्य सरकार के कार्यकाल में हुए ‘नौकरी के बदले नकदी घोटाले’ मामले से जुड़ रहे हैं और पुलिस ने इस संबंध में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी भाजपा से करीबी रूप से जुड़े रहे हैं और उन्हें भर्ती प्रक्रिया में उनकी कथित भूमिका के लिये गिरफ्तार किया गया है। भाजपा किसान मोर्चा की नेता तहबीलदार की पार्टी के एक अन्य नेता के साथ कुछ अंतरंग तस्वीरें सोशल मीडिया में प्रसारित हो गई थीं, जिसके बाद उन्होंने 11 अगस्त को कथित तौर पर नींद की गोलियां अधिक मात्रा में खाकर आत्महत्या कर ली थी। गुवाहाटी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''हमने शनिवार रात को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया। इसके साथ ही अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या पांच हो गई है।’’ अधिकारी ने हालांकि ब्योरा देने से इंकार करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी है। उन्होंने कहा,‘‘वर्तमान में सभी आरोपी पुलिस हिरासत में हैं।’’ भाजपा किसान मोर्चा के संयुक्त कार्यालय सचिव तृष्णा शर्मा को ‘स्कैंडल’ के सामने आने के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्हें यहां चांदमारी पुलिस थाने में दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया है। गुवाहाटी पुलिस ने इससे पहले आत्महत्या मामले में अनुराग चालिहा, दीबान डेका, रेखांत दास और असीम चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था। डेका भाजपा किसान मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। उन्हें असम पुलिस भर्ती परीक्षा पत्र लीक घोटाले में कथित भूमिका के लिए अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के तत्काल बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। भाजपा के पूर्व नेता मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे और हाल ही में उन्हें जेल से रिहा किया गया था। उन्होंने 2011 में विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा था और 2021 में भी उनका चुनाव लड़ने का इरादा था। दास किसान मोर्चा के नलबाड़ी जिला अध्यक्ष थे और आत्महत्या के बाद उनका नाम ‘नौकरी के बदले नकदी घोटाला’ मामले में सामने आने के बाद उन्हें पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया। चालिहा भी किसान मोर्चा के नेता थे, उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया है। चक्रवर्ती पहले भाजपा के कार्यकर्ता थे और अब भी पार्टी के साथ उनके करीबी संबंध हैं। पुलिस ने शुरुआत में मामले की जांच आत्महत्या के मामले के तौर पर शुरू की, लेकिन चालिहा की गिरफ्तारी के बाद इसमें घोटाले का कोण सामने आया। उनके आवास से विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिये भर्ती परीक्षा के एडमिट कार्ड बरामद हुए थे। इस बीच, मृत महिला भाजपा नेता और उनके साथियों के बीच बातचीत के ऑडियो क्लिप से भी मामले के विभिन्न पहलू उजागर हुए। एक सूत्र ने कहा कि गिरफ्तार किए गए इन पांच आरोपियों ने पूछताछ के दौरान भाजपा के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के नाम लिए हैं, जिनमें नगर निगम के एक उपाध्यक्ष भी शामिल हैं, जो अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। सूत्र ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में ‘महत्वपूर्ण सूचनाओें’ का खुलासा किया है। इतने सारे पार्टी पदाधिकारियों की संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर, भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने कहा, ‘‘कानून अपना काम करेगा। पार्टी किसी भी कानूनी और जांच के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।’’ विपक्षी दल कांग्रेस की महिला नेताओं ने 24 अगस्त को असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की थी और भाजपा नेता की आत्महत्या के मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की।

इसके अलावा, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) की पहली महिला क्षेत्र निदेशक (फील्ड डायरेक्टर) के रूप में मुख्य वन संरक्षक डॉ. सोनाली घोष की तैनाती अगले महीने तय मानी जा रही है। असम सरकार ने घोष को वन प्रमुख के पद पर तैनात करने का आदेश पहले ही जारी कर दिया है और वह एक सितंबर से कार्यभार ग्रहण करेंगी। एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर यह अभयारण्य नागांव, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग, सोनितपुर और बिश्वनाथ जिलों में फैला है। भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी मौजूदा क्षेत्र निदेशक जतिंद्र शर्मा से पार्क का प्रभार ग्रहण करेंगी जो 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे। घोष वर्तमान में गुवाहाटी में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख के कार्यालय में अनुसंधान शिक्षा और कार्य योजना प्रभाग के मुख्य वन संरक्षक के रूप में कार्यरत हैं। वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, वह 118 साल पुराने केएनपी के निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने वाली पहली महिला अधिकारी होंगी। अधिकारियों ने बताया कि एक सैन्यकर्मी के परिवार में जन्मीं घोष ने आईएफएस 2000-2003 बैच में सर्वोच्च स्थान हासिल किया था। केएनपी को पहली बार 1905 में प्रस्तावित संरक्षित वन घोषित किया गया था, उसके बाद 1908 में इसे संरक्षित वन और फिर 1916 में खेल अभयारण्य घोषित किया गया था। इसे 1938 में आगंतुकों के लिए खोल दिया गया था। वर्ष 1950 में, इसे एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया और फरवरी 1974 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। यूनेस्को ने केएनपी को 1985 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

इसके अलावा, असम के नलबाड़ी जिले का बरधनारा गांव लगभग वीरान हो गया है जहां अब केवल एक परिवार ही रहता है। कुछ साल पहले राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने गांव की ओर जाने वाली सड़क का उद्घाटन किया था। पिछली शताब्दी में यह एक समृद्ध गांव हुआ करता था, लेकिन 2011 की जनगणना में यहां केवल 16 लोग ही बचे थे। उचित सड़क की कमी के कारण नंबर-2 बरधनारा गांव में अब केवल पांच सदस्यों वाला एक ही परिवार बचा है। बिमल डेका, उनकी पत्नी अनिमा और उनके तीन बच्चे- नरेन, दीपाली और सेउती- मुख्यालय शहर नलबाड़ी से लगभग 12 किमी दूर घोगरापारा क्षेत्र के इस गांव के एकमात्र निवासी हैं। दीपाली ने कहा, "स्कूल और कॉलेज जाने के वास्ते हमें मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए पानी और कीचड़ भरे रास्तों से दो किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। मानसून के दौरान हम नाव से यात्रा करते हैं।" अनिमा अपने बच्चों को स्कूल-कॉलेज से लाने तथा पहुंचाने के लिए नाव चलाती हैं, लेकिन कठिन परिस्थितियों के बावजूद परिवार ने तीनों बच्चों के लिए उचित शिक्षा सुनिश्चित की है। दीपाली और नरेन स्नातक हैं तथा सेउती उच्चतर माध्यमिक की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने बताया कि बिजली नहीं होने से बच्चे केरोसिन लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते हैं और जब बारिश होती है तब परिवार के लिए नाव ही परिवहन का एकमात्र साधन बन जाती है, क्योंकि बारिश के कारण गांव के सभी रास्ते जलमग्न हो जाते हैं। आसपास के लोगों का दावा है कि 162 हेक्टेयर में फैले इस गांव की हालत कुछ दशक पहले तक इतनी दयनीय नहीं थी। उच्च कृषि उपज के लिए प्रसिद्ध इस गांव की ओर जाने वाली सड़क के उद्धाटन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बिष्णुराम मेधी ने कुछ दशक पहले यहां का दौरा किया था। अनिमा ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता ने हालात को और भी खराब कर दिया, जिसकी वजह से लोग यहां से चले गए। उन्होंने दावा किया, 'जिला परिषद, गांव पंचायत या खंड विकास कार्यालय जैसी स्थानीय एजेंसियां यहां काम करने में कोई रुचि नहीं रखती हैं।' अनिमा ने कहा कि कृषि और पशुपालन उनका मुख्य आधार है। हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन 'ग्राम्य विकास मंच' ने गांव में एक कृषि फार्म स्थापित किया है, जिससे परिवार को अब अकसर अन्य लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिलता है। फार्म के अध्यक्ष पृथ्वी भूषण डेका ने कहा कि गांव कभी समृद्ध था, लेकिन बार-बार आने वाली बाढ़ ने इसे उजाड़ दिया है। उन्होंने कहा, "अगर सरकार सड़क बनाती है और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है, तो कृषि क्षमता को फिर से साकार किया जा सकता है और लोग गांव लौटेंगे।"

मेघालय

मेघालय से आये समाचारों पर गौर करें तो आपको बता दें कि राज्य में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के 45 दिन बाद भी पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय से संबद्ध 75 कॉलेज में से कम से कम 22 कॉलेज में अभी 4-वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू नहीं हुआ है और यहां शिक्षक संघ इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मेघालय कॉलेज शिक्षक संघ (एमसीटीए) महासचिव डॉ. ए. डब्ल्यू रानी ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध 22 कॉलेज प्रथम सेमेस्टर की कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं और नयी शिक्षा नीति के तहत कोई ‘एसाइनमेंट’ नहीं ले रहे। संघ ने कुलपति प्रोफेसर पीएस शुक्ला से अनुरोध किया है कि सभी संबद्ध कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन वाली 12 जुलाई की अधिसूचना को वापस लिया जाए। रानी ने कहा, ‘‘हमने 21 जुलाई को ज्ञापन सौंपा था और तब से वह मौन हैं, इसलिए हमने एक अगस्त से असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया।’’ एमसीटीए नेता के अनुसार, इस गतिरोध को समाप्त करने का यही तरीका है कि कुलपति अधिसूचना को वापस लें और पुरानी छह सेमेस्टर वाली व्यवस्था को बहाल करें।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेघालय में 1700 से अधिक गुफाओं की खोज करने को लेकर वहां के निवासी के ब्रियान डी खरप्राण और उनकी टीम की रविवार को तारीफ की। मोदी ने लोगों से मेघालय की गुफाओं की यात्रा करने की भी अपील की जिनमें से कुछ देश की सबसे लंबी और गहरी गुफाओं में शामिल हैं। अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘1964 में स्कूली बच्चे के तौर पर उन्होंने (ब्रियान ने) अपनी पहली खोज की। 1990 में उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर एक एसोसिएशन स्थापित की तथा उसके माध्यम से मेघालय की अज्ञात गुफाओं को खोजना शुरू किया।’’ मोदी ने कहा, ‘‘खरप्राण ने अपनी टीम के साथ मिलकर मेघालय में 1700 से अधिक गुफाओं की खोज की और राज्य को विश्व गुफा मानचित्र पर स्थान दिलाया। भारत की कुछ सबसे लंबी और गहरी गुफाएं मेघालय में हैं।’’ खरप्राण की पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से मेघालय की इन गुफाओं की यात्रा की योजना बनाने की अपील की। मेघालय एडवेंचर्स एसोसिएशन के संस्थापक सचिव खरप्राण अब तक राज्य में 537.6 किलोमीटर गुफा क्षेत्रों का पता लगा चुके हैं।

मिजोरम

मिजोरम से आये समाचारों पर गौर करें तो आपको बता दें कि राज्य में विपक्षी दल जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने हमार पीपुल्स कन्वेंशन (एचपीसी) के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पूर्वोत्तर राज्य के सकवरदाई गांव में मंगलवार को दोनों दलों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते में कहा गया है कि एचपीसी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडपीएम को पूरा समर्थन देगी और खुद कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी ताकि राज्य विधानसभा चुनावों में जेडपीएम उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की जा सके। इसमें कहा गया है कि दोनों दल अगले साल होने वाले सिनलुंग हिल्स काउंसिल (एसएचसी) चुनाव भी एक साथ मिलकर लड़ेंगे। जेडपीएम के उपाध्यक्ष केनेथ चावंगलियाना ने कहा कि एचपीसी ने पहले भी कई दलों के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन किसी ने वादे पूरे नहीं किए।

इसके अलावा, भारत निर्वाचन आयोग का 20 सदस्यीय दल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में मिजोरम में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर मंगलवार को आइजोल पहुंचा। एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। इस प्रतिनिधिमंडल में कुमार के अलावा निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय और अरुण गोयल, वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश व्यास, उप निर्वाचन आयुक्त हिरदेश कुमार और 12 अन्य अधिकारी हैं। आयोग के दल ने आइजोल पहुंचकर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कीं। आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार इस दल ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों, मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राज्य पुलिस नोडल अधिकारी और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अधिकारियों के साथ भी निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के संदर्भ में बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मुख्य सचिव रेणु शर्मा और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल शुक्ला से भी मुलाकात की। निर्वाचन आयोग का दल राज्य की प्रमुख शख्सियतों, दिव्यांग मतदाताओं और युवाओं से भी बातचीत करेगा। आयोग का दल बुधवार को संवाददाता सम्मेलन भी संबोधित करेगा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान में अक्टूबर तथा नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। आयोग ने छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए पिछले सप्ताह राज्य का दौरा किया था। मिजोरम की विधानसभा का कार्यकाल इस साल 17 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों पर गौर करें तो आपको बता दें कि राज्य में स्कूलों और कॉलेजों में रोमन लिपि में कोकोबोर्क भाषा को लागू करने की मांग को लेकर ट्वीप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (टीएसएफ) ने सोमवार को 12 घंटे का त्रिपुरा बंद बुलाया, जिसका मिला जुला असर देखने को मिला। अधिकारियों के मुताबिक बंद का पश्चिमी त्रिपुरा, सिपाहीजाला और धलाई जिलों में असर रहा, लेकिन अन्य जिले इससे अप्रभावित रहे। अधिकारियों ने बताया कि टीएसएफ के सदस्यों ने कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध कर दीं, लेकिन पश्चिमी त्रिपुरा के बरमुरा, सिपाहीजला के बिश्रामगांग और तकसापारा और धलाई के नलकाटा में प्रदर्शन के कारण वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उन्होंने बताया कि सैकड़ों टीएसएफ समर्थकों ने अगरतला में नॉर्थगेट के पास एक सड़क को अवरुद्ध करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें तुरंत वहां से हटा दिया गया। सहायक महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) ज्योतिषमान दास चौधरी ने कहा, ''बंद के कारण कुछ स्थानों पर सड़क जाम होने से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। राज्य के 19 स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं, जिससे उन क्षेत्रों में सामान्य यातायात ठप हो गया।’’ उन्होंने कहा कि ट्रेन सेवाएं अप्रभावित रहीं और अगरतला से लंबी दूरी की सभी ट्रेन निर्धारित समय पर रवाना हुईं। ज्योतिषमान दास चौधरी ने कहा कि बंद के दौरान किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़क जाम हटाने के लिए कुछ इलाकों से करीब 260 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। टीएसएफ सचिव महेश त्रिपुरा ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी ने उन्हें बंद बुलाने के लिए मजबूर किया।

इसके अलावा, त्रिपुरा के उत्तरी हिस्से में स्थित और अपनी सदियों पुरानी ‘शैव शिला’ मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध उनाकोटी में जल्द ही पर्यटकों के लिए एक जलपान गृह, शौचालय, पेयजल तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उनाकोटी को ‘पूर्वोत्तर का अंकोरवाट’ भी कहा जाता है। इसे पिछले साल दिसंबर में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया था। पर्यटन निदेशक तपन कुमार दास ने बताया, हाल ही में एक बैठक के दौरान पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनाकोटी में एक जलपान गृह स्थापित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा, एएसआई ने यह आश्वस्त किया था कि 15 सितंबर तक जलपान गृह खोलने को लेकर काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि यहां स्वच्छ पेयजल और शौचालय भी उपलब्ध हो। वर्तमान में इस जगह पर केवल बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। दास ने बताया कि पर्यटन विभाग उनाकोटी पुरातात्विक स्थल को केंद्र में रखकर बुनियादी ढांचे के विकास पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इस स्थान के विकास के लिए 70 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा भी 70 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर करने की उम्मीद है। पर्यटन निदेशक ने बताया कि पर्यटन विभाग ने उनाकोटी पुरातात्विक स्थल से सात-आठ किमी दूर सोनामुखी टी एस्टेट में एक आधुनिक आवास परियोजना की पहल की है। वहां कम से 32 परिवार ठहर सकते हैं।

नगालैंड

नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के वरिष्ठ विधायक नोके वांगनाओ का संक्षिप्त बीमारी के बाद दीमापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। मौजूदा विधानसभा में सबसे अधिक उम्र के विधायक नोके वांगनाओ के परिवार में पत्नी और छह बच्चे हैं। वह दसवीं बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे थे। एक कट्टर क्षेत्रवादी नेता वांगनाओ 1974 में राजनीति में शामिल हुए और मोन जिले के तापी निर्वाचन क्षेत्र से 10 बार विधायक चुने गए। उन्होंने मंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहकर राज्य की सेवा की। इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के बाद, उन्होंने अपनी मृत्यु तक समाज कल्याण विभाग के सलाहकार के रूप में कार्य किया। दीमापुर के क्रिश्चियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज एंड रिसर्च में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। दीमापुर स्थित उनके आवास पर उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उपमुख्यमंत्री वाई पैटन, विधानसभा अध्यक्ष शेरिंगेन लोंगकुमेर और एनडीपीपी के अध्यक्ष चिंगवांग कोन्याक और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। नगालैंड के राज्यपाल एल गणेशन ने कहा कि वांगनाओ लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए प्रतिबद्ध एक सक्षम और सक्रिय नेता थे। राज्यपाल ने कहा, ‘‘उनका निधन प्रदेशवासियों के लिए अपूरणीय क्षति है। नगालैंड के लोगों के लिए एक सच्चे राजनेता के रूप में उनके योगदान को आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा।’’ मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि नगालैंड और उसके लोगों के लिए वांगनाओ के बलिदान और योगदान को आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास में दर्ज किया जाएगा। रियो ने एक्स पर लिखा, ‘‘ईश्वर शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को सांत्वना प्रदान करे और दिवंगत आत्मा को शाश्वत शांति प्रदान करें।’’

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल के.टी. परनायक (सेवानिवृत) ने लोगों से 'राष्ट्र प्रथम' की भावना को आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ सुरक्षा बलों की नहीं बल्कि हर नागरिक की है। राज्य के पूर्वी कामेंग जिले के सबसे दूरस्थ गांवों में से एक चायांग्ताजो का दौरा करते हुए राज्यपाल ने लोगों को सतर्क रहने और सीमावर्ती इलाकों में मौजूदगी बनाने की सलाह दी। चायांग्ताजो का चयन जीवंत ग्राम पायलट कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार एक जनसभा को संबोधित करते हुए परनायक ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को उपेक्षित महसूस नहीं करना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के तहत सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं। उन्होंने लोगों से विशेषतौर पर युवाओं से कहा कि शहरी इलाकों में प्रवास करने के बजाए उन्हें आत्म निर्भर बनना चाहिए और कार्यक्रमों का फायदा उठाना चाहिए। राज्यपाल ने युवाओं से ज्ञान प्राप्त करने, अनुशासन अपनाने और ढृढता से आगे बढ़ने का आह्वान किया और उनसे भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने व राज्य एवं राष्ट्र को समृद्धि की ओर ले जाने के लिए 'अमृत काल' में योगदान देने को कहा।

इसके अलावा, भारतीय थलसेना ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से अंजाव जिले के चगलागाम से करीब 24 किलोमीटर दूर मिथुम्ना के पास था-नाला पर 120 फुट लंबा पुल बनाया है। चगलागाम, सीमा से लगे बेहद दूर-दराज के इलाकों में से एक है। अधिकारियों ने कहा कि चगलागाम, हयुलियांग से 57 किलोमीटर लंबी एकमात्र मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ है, जो था-नाला में मौसमी नालों और भूस्खलन के कारण अक्सर बंद रहती है। स्थानीय मिशमी आबादी और गांव के बुजुर्गों ने लोगों की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करते हुए हयुलियांग तथा चगलागाम के बीच बारहमासी सड़क निर्मित करने के लिए थलसेना और बीआरओ को धन्यवाद दिया है। सेना, बीआरओ और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों की कठिनाइयों को कम करने के लिए पूरी मदद करने का आश्वासन दिया। चगलागाम के एक निवासी ने कहा, 'हम बहुत खुश हैं और आधारभूत संरचना को बेहतर करने के प्रयासों के लिए सेना को धन्यवाद देते हैं। यह पुल आवाजाही को बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित होगा।'

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