लॉकडाउन लंबा खिंचने की स्थिति में लोगों की सहायता के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं : सरमा

Sarma

असम में मंगलवार शाम छह बजे से 31 मार्च की मध्यरात्रि तक कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए बंदी लागू की थी। वरिष्ठ मंत्री ने लोगों से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने को कहा क्योंकि राज्य अनिश्चितता के दौर में जा रहा है।

गुवाहाटी। असम सरकार ने स्वीकार किया कि 31 मार्च के बाद भी लॉकडाउन बढ़ाने पर गरीबों की मदद के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। राज्य के वित्तमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि अप्रैल में कुछ बड़े कदम उठाए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि असम में मंगलवार शाम छह बजे से 31 मार्च की मध्यरात्रि तक कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए बंदी लागू की थी। वरिष्ठ मंत्री ने लोगों से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने को कहा क्योंकि राज्य अनिश्चितता के दौर में जा रहा है। सरमा ने कहा, ‘‘ मौजूदा परिस्थितियों में कई समस्याए हैं। कई सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने चाय बागान के कामगारों, दौनिक वेतनभोगी और पर्यटन क्षेत्र से जुड़़े लोगों की स्थिति पर चिंता जताई है। हमने अपने जीवन में ऐसा संकट नहीं देखा है। मेरे पास इसका त्वरित जवाब नहीं है।’’ कोरोना वायरस की स्थिति पर विधानसभा में हुई विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष 31 मार्च को खत्म हो रहा है और विभिन्न योजनाओं के मद में आवंटित राशि पहले ही समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए कुछ बड़े कदम उठा सकती है। अगर कुछ होता है तो वह अप्रैल में ही होगा। सरमा ने कहा कि करीब 40 लाख सक्रिय बैंक खाते हैं जिनमें उज्ज्वला योजना लाभार्थी, चाय और निर्माण कर्मी शामिल हैं जिनके खातों में संकट से निपटने के लिए पैसे हस्तांतरित किए जा सकते हैं। 

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उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रत्येक खाते में एक हजार रुपये स्थानांतरित करते हैं तो इसके लिए हमें 400 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। आपकी (विपक्ष) की चिंता जायज है लेकिन हमारे पास इतनी राशि अप्रैल में नहीं होगी। हमारा लक्ष्य पूरी आबादी है और सरकार नवोन्मेषी तकनीकों पर विचार कर रही है।’’ वित्तमंत्री ने कहा, ‘‘असम के लिए वर्ष 2020 संभवत: सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और संकटों से भरा होगा। अगले दो महीने स्वास्थ्य विभाग के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण हैं। अगर विज्ञान इसका हल नहीं तलाश कर पाता है तो मुझे नहीं पता कि हमारा बजट (वित्तवर्ष 2020-21) ऐसा ही होगा। अगर बंदी लंबे समय तक रहती है तो हम विधायक कोष की राशि भी जारी नहीं कर पाएंगे।’’ सरमा ने कहा कि बंदी की वजह से राज्य और देश का कर संग्रह बुरी तरह से प्रभावित होगा और जिसका असर विकास कार्यों पर होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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