Jan Gan Man: पहलगाम का बदला Operation Sindoor ने ले लिया, मगर मौत के इन कारणों पर कब स्ट्राइक होगी?

आतंकवाद के साथ-साथ उन अन्य कारणों के खिलाफ भी कोई बड़ा ऑपरेशन चलाया जाये जोकि हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रहे हैं। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि जैसे ना जाने कितने कारक हैं जिसकी वजह से हर साल मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
पहलगाम में आतंकी हमले में जिस तरह निर्दोष पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या की गयी उससे पूरा देश अब भी स्तब्ध है। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर चला कर ले भी लिया है। भारत ने आतंकवाद के प्रति अपना कड़ा रुख दोबारा दुनिया को दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई भी आतंकी हमला हुआ तो दोबारा घर में घुसकर मारेंगे और अब यही न्यू नॉर्मल है। वाकई बहुत अच्छी नीति है लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि आतंकवाद के साथ-साथ उन अन्य कारणों के खिलाफ भी कोई बड़ा ऑपरेशन चलाया जाये जोकि हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रहे हैं। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि जैसे ना जाने कितने कारक हैं जिसकी वजह से हर साल मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात श्री अश्विनी उपाध्याय ने इन मुद्दों का विस्तार से वर्णन करते हुए समस्या के निदान के लिए हल भी सुझाये हैं। देखा जाये तो सरकार को चाहिए कि वह इन पर गौर करे तथा देशवासियों की जान ले रहे इन तत्वों के खिलाफ भी एक बड़ी स्ट्राइक करे। हम आपको बता दें कि वायु प्रदूषण भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जो हर साल 2 मिलियन से ज़्यादा मौतों का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में 7 मिलियन से ज़्यादा असामयिक मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं।
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इसी प्रकार, भारत में मृत्यु दर में जल प्रदूषण का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अध्ययनों से पता चलता है कि 2019 में जल प्रदूषण के कारण 500,000 से अधिक असामयिक मौतें हुईं। यह कुल प्रदूषण से संबंधित मौतों का एक बड़ा हिस्सा है। जल प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है।
इसी प्रकार भूमि क्षरण भी प्रदूषण और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान देता है। भूमि क्षरण मिट्टी की गुणवत्ता और जल संसाधनों को तेजी से प्रभावित करता है। एक अध्ययन के अनुसार, 2019 में भारत का लगभग 30% भौगोलिक क्षेत्र भूमि क्षरण के अधीन था, जिसमें दिल्ली में खासतौर पर क्षरण की उच्च दर देखी गई थी। देखा जाये तो भारत में प्रदूषण का बोझ वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियों और फसल जलाने जैसे विभिन्न कारकों के कारण भी बढ़ रहा है। इसलिए सरकार को चाहिए कि समस्या को बढ़ा रहे कारणों के खिलाफ भी एक ऑपरेशन चलाकर लोगों का जीवन बचाये।
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