विपक्ष की प्रधानमंत्री से संसद में जवाब देने की मांग

नोटबंदी के कारण आम जनता और गरीब लोगों को भारी परेशानी होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा समेत कुछ विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर लोकसभा में कार्यस्थगन करके मतविभाजन के प्रावधान के तहत चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चर्चा में मौजूद रहकर चर्चा का जवाब देने की मांग की। सरकार की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री चर्चा में हस्तक्षेप को तैयार हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आज सारे देश में आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। मोदीजी के फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्र के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है।
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण जनता को जो तकलीफ हो रही है, उसके बारे में हमारे कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर किया जाए। मोदीजी सदन से बाहर बोल रहे हैं। हमारा कहना है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और इस फैसले के बारे में सदन में बोलें। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। इस फैसले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया।
विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री से संसद में बहस के दौरान उपस्थित रहने पर जोर दिये जाने पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘अगर विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो प्रधानमंत्री आएंगे और बहस में हस्तक्षेप करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने का हमारी सरकार का फैसला कालेधन के खिलाफ जंग है। राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां तक इस फैसले को लागू करने की बात है तो हम पहले दिन से इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बारे में विपक्ष के सुझावों पर भी विचार करने को तैयार हैं। गृह मंत्री सिंह जब सदन में बोल रहे थे उसी समय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की बैठक दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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