ईपीएफ ब्याज दर घटाने के फैसले पर राज्यसभा में विरोध

[email protected] । Apr 28 2016 3:52PM

राज्यसभा में आज वाम सहित विपक्षी दलों ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की ब्याज दर घटाने के वित्त मंत्रालय के निर्णय को ‘‘एकपक्षीय एवं अलोकतांत्रिक’’ करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया।

राज्यसभा में आज वाम सहित विपक्षी दलों ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की ब्याज दर घटाने के वित्त मंत्रालय के निर्णय को ‘‘एकपक्षीय एवं अलोकतांत्रिक’’ करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया तथा आरोप लगाया कि सरकार कारोबार करने की सुविधा के नाम पर ईपीएफ को ही खत्म करने का प्रयास कर रही है। माकपा के तपन कुमार सेन ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि श्रम मंत्री के नेतृत्व वाली ईपीएफओ की त्रिपक्षीय समिति ने ईपीएफ पर ब्याज दर को 8.8 प्रतिशत रखने का निर्णय किया था। किन्तु वित्त मंत्रालय ने इसकी अनदेखी करते हुए ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत करने का एकपक्षीय एवं अलोकतांत्रिक निर्णय किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से करोड़ों कर्मचारी प्रभावित होंगे। उन्होंने सवाल किया कि त्रिपक्षीय समिति के फैसले को कार्यपालिका कैसे बदल सकती है जबकि यह धन पूरी तरह से कर्मचारियों का है। सेन ने आरोप लगाया कि सरकार कारोबार करने की सुविधा के नाम पर ईपीएफ को ही खत्म करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पीएफ से धन निकालने के बारे में सरकार ने एक निर्णय किया था जिसे उसे भारी विरोध के चलते वापस लेना पड़ा था। उन्होंने कहा कि ईपीएफ की ब्याज दर घटाने के सरकार के निर्णय को स्वीकार नहीं किया जाएगा। विभिन्न दलों के कई सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से खुद को संबद्ध किया।

शिवसेना के अनिल देसाई ने दिल्ली के राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में गत दिनों लगी आग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फिक्की इमारत की छह मंजिलों में लगी आग से इस संग्रहालय में रखे कई मूल्यवान प्राणी अवशेष जलकर खाक हो गये। उन्होंने कहा कि आग से खाक होने वाले दुर्लभ अवशेषों में डायनोसॉर की एक हड्डी भी शामिल है।

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