आयोगों में रिक्त पदों को लेकर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

[email protected] । Mar 27 2017 2:06PM

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सहित विभिन्न आयोगों में सदस्यों के पदों के खाली रहने को लेकर विपक्षी सदस्यों ने आज राज्यसभा में भारी हंगामा किया।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सहित विभिन्न आयोगों में सदस्यों के पदों के खाली रहने को लेकर विपक्षी सदस्यों ने आज राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया कि जैन समुदाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल कर अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है तथा आयोग के सभी पदों को जल्दी ही भरा जाएगा। सरकार ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

उच्च सदन में हंगामे के कारण आज प्रश्नकाल नहीं हो सका। हंगामे की शुरूआत उस समय हुयी जब कांग्रेस के नरेंद्र बुढ़ानिया ने शून्यकाल के मुद्दे के तहत अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष तथा सभी सदस्यों के पदों के खाली रहने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है लेकिन आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों के सभी पद खाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सोची समझी रणनीति के तहत संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग में एक भी सदस्य के नहीं होने से शंका पैदा होती है और ऐसा लगता है कि आयोग को तोड़ने का इरादा है। नरेंद्र बुढ़ानिया ने सवाल किया कि इस कदम से भाजपा सरकार कोई संदेश तो नहीं देना चाहती है। इस संबंध में सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जैन समुदाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल कर अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है। नकवी ने कहा कि आयोग के सभी पदों को जल्दी ही भरा जाएगा। अन्य अल्पसंख्यक समुदायों में बौद्ध, मुस्लिम, पारसी, ईसाई और सिख आते हैं।

माकपा के सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक आयोग के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग भी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है। इसी दौरान कई अन्य सदस्यों ने भी इन आयोगों में रिक्तियों का मुद्दा उठाया और कांग्रेस, सपा, बसपा, जदयू के सदस्य आसन के समक्ष सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हंगामा कर रहे सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते हुए उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि इस मामले में मंत्री ने जवाब दे दिया है और अब इस मुद्दे पर हंगामे की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने 11 बजकर करीब 25 मिनट पर बैठक 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और बसपा नेता मायावती ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया। लेकिन कुरियन ने कहा कि इस बारे में मंत्री जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य इस विषय पर चर्चा चाहते हैं तो वे नोटिस दे सकते हैं। इस दौरान कई विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आयोगों को खत्म करना चाहती है। सदस्य इस मुद्द पर मंत्री से जवाब की मांग कर रहे थे। कुरियन ने कहा कि बिना नोटिस के मुद्दा उठाए जाने पर वह मंत्री को जवाब देने का निर्देश नहीं दे सकते। सदन में हंगामे को देखते हुए उन्होंने 11 बजकर करीब 50 मिनट पर बैठक 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। कांग्रेस सदस्य विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे। सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ। हंगामा जारी रहने के कारण अंसारी ने बैठक को महज चंद मिनटों में 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बैठक फिर शुरू होने पर विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आकर पुन: नारेबाजी करने लगे।

हंगामे के बीच ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि हंगामा कर रहे सदस्य जो मुद्दा उठा रहे हैं, वह उस पर स्पष्टीकरण देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि ये सब संवैधानिक संस्थाएं हैं और हम इनके मुद्दों का समाधान करना चाहते हैं। शोरगुल एवं हंगामे के कारण नायडू अपनी बात पूरी नहीं कर सके और सभापति ने बैठक को 12 बजकर करीब 20 मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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