अध्यादेश का रास्ता अपनाने से बचना चाहिएः राष्ट्रपति

Parliamentarians bid farewell to Prez Mukherjee
[email protected] । Jul 23 2017 9:20PM

सांसदों की ओर से दिये गये विदाई समारोह में राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि सरकार को अध्यादेश का रास्ता अपनाने से बचना चाहिए क्योंकि इसे अपरिहार्य परिस्थिति के लिए बचाकर रखना चाहिए।

संसद सदस्यों ने आज निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक भव्य समारोह में विदाई दी जबकि नेताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखने में उनके योगदान को याद किया। विदाई समारोह में 81 वर्षीय मुखर्जी का स्वागत उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने किया।

सुमित्रा ने अपने संबोधन ने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए राष्ट्रपति मुखर्जी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने का एक सुअवसर है।’’ अंसारी ने मुखर्जी की ‘‘भारत के विचार में उनके अटल विश्वास’’ के लिए प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने अक्सर लोगों से स्वयं को देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने देश की ‘‘सबसे बड़ी ताकत’’ के तौर पर बहुलवाद और विविधता पर जोर दिया। मुखर्जी ने जिस तरह से राष्ट्रपति की भूमिका निभायी उसके लिए अंसारी ने उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने शीर्ष पद की काफी प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़ाई। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके विचारों ने इस पद का कद बढ़ाया है।’’ 

निवर्तमान राष्ट्रपति ने विदाई समारोह के लिए सांसदों के प्रति अभार व्यक्त किया। मुखर्जी ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमने देश में भाईचारा, प्रतिष्ठा और एकता बढ़ाने का बीड़ा उठाया। ये देश के आदर्श बन गए।’’ उन्होंने सांसदों से कहा कि वे संसद में कार्यवाही बार बार बाधित करने से बचें क्योंकि इससे विपक्ष को अधिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा, ‘‘संसद में रहते हुए मैंने यह जाना कि संसद बहस, चर्चा, असहमति व्यक्त करने का स्थान होता है। मैंने यह भी जाना कि संसद की कार्यवाही बाधित होने से सबसे अधिक नुकसान विपक्ष को होता है।’’ मुखर्जी ने यह भी कहा कि सरकार को अध्यादेश का रास्ता अपनाने से बचना चाहिए क्योंकि इसे अपरिहार्य परिस्थिति के लिए बचाकर रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यह रास्ता ऐसे मामलों में नहीं अपनाना चाहिए जो कि संसद में चर्चा के लिए विचारार्थ हो।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के तौर पर मैंने संविधान की रक्षा और संरक्षण करने का प्रयास न केवल शाब्दिक अर्थों में बल्कि पूरी तरह से किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस भव्य इमारत से खट्टी मिट्ठी यादों और इस सुकून के साथ जा रहा हूं कि मैंने इस देश के लोगों की उनके एक सेवक के तौर पर सेवा की।’'

मुखर्जी ने कहा कि वह हर कदम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परामर्श और सहयोग से लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी पूरे उत्साह और कर्मठता से देश में परिवर्तन लाने का कार्य कर रहे हैं और वह मोदी के स्नेहपूर्ण और शालीन व्यवहार और सहचर्य की मधुर यादें अपने साथ लेकर जायेंगे। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़