International Museum Expo 2023 का PM Modi ने किया उद्घाटन, बोले- हम धरोहरों को कर रहे संरक्षित
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में, लगभग 240 प्राचीन कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है। इससे पहले इस अवधि में यह संख्या 20 तक भी नहीं पहुंची थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो 2023 का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब हम किसी संग्राहलय में जाते हैं तो ऐसा महसूस होता है कि बीते हुए कल से, उस दौर से हमारा परिचय हो रहा है, साक्षात्कार हो रहा है। म्यूजियम में हमें एक ओर जहां अतीत से प्रेरणाएं मिलती हैं तो दूसरी ओर भविष्य के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध भी होता है। उन्होंने कहा कि आज का यह अवसर भारत की म्यूजियम की दुनिया में एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट लेकर आएगा। हमारी कितनी ही पांडुलिपियां और पुस्तकालय गुलामी के कालखंड में जला दिए गए, ये केवल भारत का नहीं पूरी दुनिया और पूरी मानवजाति का नुकसान था।
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मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आजादी के बाद अपनी धरोहरों को संरक्षित करने के जो प्रयास होने चाहिए थे वो हो नहीं पाए, लोगों में धरोहरों के प्रति जागरूकता की कमी ने और ज्यादा बढ़ा दिया... इसलिए आजादी के अमृत काल में भारत ने जिन 'पंच प्राणों' की घोषणा की है उसमें प्रमुख है- अपनी विरासत पर गर्व। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव में हम भारत की धरोहरों को संरक्षित करने के साथ ही नया Cultural Infrastructure भी बना रहे हैं। देश के इन प्रयासों में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भी है और हजारों वर्षों की विरासत भी है। मोदी ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में अपने जनजातीय समुदाय के योगदान को अमर बनाने के लिए हम 10 विशेष म्यूजियम बना रहे हैं। ये पूरे विश्व में एक ऐसी अनूठी पहल है जिसमें Tribal Diversity की व्यापक झलक दिखने वाली है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में, लगभग 240 प्राचीन कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है। इससे पहले इस अवधि में यह संख्या 20 तक भी नहीं पहुंची थी। उन्होंने कहा कि जब कोई देश अपनी विरासत को सहेजना शुरू करता है तो उसका एक और पक्ष सामने आता है... और यह पक्ष है दूसरे देशों के साथ संबंधों में आत्मीयता। पिछले वर्ष हमने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के चार अवशेषों को मंगोलिया भेजा और यह अवसर पूरे मंगोलिया के लिए एक उत्स्व बन गया। हमारी विरासत, वैश्विक एकता यानी World Unity का भी सूत्रधार बनती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश के संग्रहालय में ऐसी कोई कलाकृति नहीं होनी चाहिए जो वहां अनैतिक तरीके से पहुंचे; हमें इसे प्रत्येक संग्रहालय के लिए एक 'नैतिक प्रतिबद्धता' बनाना चाहिए।
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नरेंद्र मोदी ने कहा कि जैसे हम परिवार में साधनों को, आने वाले कल के लिए जोड़ते हैं वैसे ही हमें पूरी पृथ्वी को एक परिवार मानकर अपने संसाधनों को बचाना है। उन्होंने कहा कि हमारी धरती ने बीती सदियों में कई आपदाएं झेली हैं। इनकी स्मृतियां और निशानियां आज भी मौजूद हैं। हमने इन निशानियों के चित्रों की एक गैलरी के बारे में भी सोचना चाहिए। इस से पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मेरा एक सुझाव है, क्यों ना भारत में हर परिवार अपने घर में अपना एक पारिवारिक संग्रहालय बनाए... घर के ही विषय में, घर के बड़े-बुजर्गों की पुरानी और ख़ास चीजें रखी जा सकती हैं। ऐसे ही हमारे स्कूलों और संस्थानों को भी अपने म्यूजियम बनाने चाहिए। इससे एक बड़ी और ऐतिहासिक पूंजी भविष्य के लिए तैयार होगी। हमारे शहर भी सिटी म्यूजियम जैसे प्रकल्पों को आधुनिक स्वरूप में तैयार कर सकते हैं।
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