PM मोदी ने 'अटल ब्रिज' का किया उद्घाटन और चरखा भी चलाया, बोले- ईश्वर की आराधना से कम नहीं सूत काटने की प्रक्रिया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सूत काटने की प्रक्रिया ईश्वर की आराधना से कम नहीं है। जैसे चरखा आजादी के आंदोलन में देश की धड़कन बन गया था, वैसा ही स्पंदन आज मैं सावरमती के तट पर महसूस कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद सभी लोग इस आयोजन को देख रहे हैं।

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अहमदाबाद में 'खादी उत्सव' कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समेत कई भाजपा पदाधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चरखा चलाया और वहां पर मौजूद आमजनों से बातचीत की। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अटल ब्रिज का उद्धाटन किया। उन्होंने कहा कि साबरमती का यह किनारा आज धन्य हो गया है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 7500 बहनों, बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत काटकर नया इतिहास रच दिया है।

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उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी कुछ पल चरखे पर हाथ आजमाने का, सूत काटने का सौभाग्य मिला। मेरे लिए चरखा चलाना भावुक पल भी था। मेरे छोटे से घर के एक कोने में यह सारी चीजों रहती थी और मेरी मां आर्थिक उपार्जन को ध्यान में रखते हुए जब कभी समय मिलता था तो सूत काटने के लिए बैठती थी, आज वो चित्र भी मेरे ध्यान में फिर से पुर्न:स्मरण हो आया।

इसी बीच उन्होंने कहा कि सूत काटने की प्रक्रिया ईश्वर की आराधना से कम नहीं है। जैसे चरखा आजादी के आंदोलन में देश की धड़कन बन गया था, वैसा ही स्पंदन आज मैं सावरमती के तट पर महसूस कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद सभी लोग इस आयोजन को देख रहे हैं और खादी उत्सव की ऊर्जा को महसूस कर रहे होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने आज खादी महोत्सव करके अपने स्वतंत्रता सेनानियों को बहुत सुंदर उपहार दिया है।

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उन्होंने कहा कि आज ही गुजरात राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की नई बिल्डिंग और साबरमती नदी पर भव्य अटल ब्रिज का भी लोकार्पण हुआ है। मैं गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि अटल ब्रिज, साबरमती नदी को, दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है। इसकी डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा, आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत बन सकता है।

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