'अपने पूर्ववर्तियों से अलग हैं PM मोदी', जयशंकर बोले- आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे

S. Jaishankar
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘मोदी20: ड्रीम्स मीट डिलिवरी’ नामक पुस्तक में प्रधानमंत्री मोदी के उन निर्देंशों को याद किया जब वह विदेश सचिव नियुक्त होने के बाद 2015 में ‘सार्क यात्रा’ के लिए जा रहे थे। जयशंकर ने लिखा है कि चीन के साथ सीमा विवाद से निपटने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपेक्षित धैर्य दिखाया।

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को लेकर ‘‘बेहद स्पष्ट’’हैं कि वह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, खास तौर पर सीमा पार आतंकवाद को। उन्होंने कहा कि मोदी के इस दृढ़ संकल्प ने वर्ष 2014से पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति को एक नया आकार दिया है। जयशंकर ने ‘मोदी20: ड्रीम्स मीट डिलिवरी’ नामक पुस्तक में प्रधानमंत्री मोदी के उन निर्देंशों को याद किया जब वह विदेश सचिव नियुक्त होने के बाद 2015 में ‘सार्क यात्रा’ के लिए जा रहे थे। 

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विदेश मंत्री ने किताब में लिखा है, ‘‘ प्रधानमंत्री ने मुझे बताया कि उन्हें मेरे अनुभव और मेरे निर्णयों पर बहुत भरोसा है, लेकिन जब मैं इस्लामाबाद पहुंचूं तो एक बात मेरे दिमाग में होनी चाहिए। वह अपने पूर्ववर्तियों से अलग हैं और वह न तो आतंकवाद को कभी नजरअंदाज करेंगे तथा न ही कभी बर्दाश्त करेंगे और इस रुख को लेकर कभी संदेह नहीं होना चाहिए।’’ जयशंकर ने लिखा है कि चीन के साथ सीमा विवाद से निपटने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपेक्षित धैर्य दिखाया और इसमें यह संकल्प भी शामिल था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को एकतरफा बदलने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच गतिरोध का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ चीन सीमा पर चुनौतीपूर्ण हालात में बलों की तैनाती के वक्त भी नेतृत्व क्षमता और दृढ़शक्ति समान रूप से दिखाई दी। वर्ष 2020 में हमारे सशस्त्र बलों की प्रभावी प्रतिक्रिया अपने आप में एक कहानी है।’’

विपक्षी दल सरकार पर लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि उसने चीन की घुसपैठ की वास्तविकता के बारे में जानकारी नहीं दी। किताब में इन आरोपों को खारिज किया गया है। जयशंकर ने किताब में लिखा कि विदेश सचिव और इसके बाद विदेश मंत्री के तौर पर वह 2015 में म्यांमा सीमा पर उग्रवादियों के ठिकानों को नष्ट करने, 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक, 2017 में डोकलाम गतिरोध और 2020 से लद्दाख सीमा पर ‘‘कड़ी जवाबी कार्रवाई’’ से जुड़े रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि इन सभी मौकों पर जमीनी जटिलताओं के बारे में गहरी समझ के साथ निर्णय लेने का तरीका सभी ने देखा। जयशंकर ने लिखा है कि मोदी का रुख सिर्फ क्षणिक प्रतिक्रिया देने का नहीं होता, बल्कि पहली बार सीमा पर प्रभावी ढांचागत निर्माण करने के गंभीर और समग्र प्रयास हुए हैं।

उन्होंने लिखा, ‘‘ 2014 से बजट दोगुने से अधिक किया गया है। वर्ष 2008-14 की तुलना में वर्ष 2014-21 में सड़कें पूरी होने का काम भी लगभग दोगुना हुआ है। इसी अवधि में पुलों को पूरा करने का काम तिगुना हुआ, वहीं सुरंग निर्माण में भी तेजी आई है।’’ विदेश मंत्री ने मोदी की विदेश नीति के बारे में राय व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से काफी सम्मान मिला है। जयशंकर ने कहा, ‘‘ उनकी (प्रधानमंत्री) भाषा, रूपक,वेशभूषा, तौर तरीका और आदतें ऐसी छवि पेश करती हैं जिसे पूरी दुनिया सराहती है। मुझे याद है कि कैसे अमेरिका के नेता 2014 की यात्रा के दौरान व्रत रखने की उनकी आदत से मंत्रमुग्ध हुए थे, या फिर यूरोप के लोगों ने कैसे योग करने की उनकी आदत को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी।’’ 

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर के नेताओं से जिस प्रकार के व्यक्तिगत संबंध बनाए हैं उससे भारत और इसके लोगों के हित सीधे तौर पर आगे बढ़े हैं। रूपा पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित यह किताब एक संकलन है, जिसे‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ने संपादित और संकलित किया है। इसमें बुद्धिजीवियों एवं अन्य विशेषज्ञों के लेखों को शामिल किया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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