PM मोदी ने जल जीवन मिशन ऐप को किया लॉन्च, पानी समितियों से की बात

MODIMODI
निधि अविनाश । Oct 2 2021 12:26PM

पीएम मोदी ने विमोचन के गौरान कहा कि, पूज्य बापू और लालबहादुर शास्त्री दोनों महान व्यक्तित्वों के हृदय में भारत के गांव ही बसे थे। मुझे खुशी है कि आज के दिन देशभर के लाखो गांवों के लोग ग्राम सभाओं के रूप में जल जीवन संवाद कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गांधी जयंती के अवसर पर जल जीवन मिशन मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया और ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के साथ बातचीत की। पीएम मोदी राष्ट्रीय जल जीवन कोष का शुभारंभ किया, जो हर ग्रामीण घर, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र आदि में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए योगदान की सुविधा प्रदान करेगा।

पीएम मोदी ने विमोचन के गौरान कहा कि, पूज्य बापू और लालबहादुर शास्त्री दोनों महान व्यक्तित्वों के हृदय में भारत के गांव ही बसे थे। मुझे खुशी है कि आज के दिन देशभर के लाखो गांवों के लोग ग्राम सभाओं के रूप में जल जीवन संवाद कर रहे हैं। ऐसे अभूतपूर्व और राष्ट्रव्यापी मिशन को इसी उत्साह, उर्जा से सफल बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन के विजन को लेकर कहा कि, यह मिशन सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है। ये विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा मूवमेंट है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जनभागीदारी है। जल जीवन मिशन को अधिक सशक्त और पारदर्शी बनाने के लिए आज कई और कदम भी उठाए गए हैं।

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जल जीवन मिशन ऐप 

प्रधानमंत्री मोदी ने जल जीवन मिशन मोबाइल एप्लिकेशन को लेकर बताया कि, इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही जगह जल जीवन मिशन ऐप पर मिल जाएंगी। गांव के लोग भी अपने यहां के पानी की शुद्धता पर बारीक नजर रख पाएंगे। एक सुखद एहसास हम सभी को है कि बापू के सपनों को साकार करने के लिए देशवासियों ने निरंतर परिश्रम किया है, अपना सहयोग दिया है।

 शौच से मुक्त हुए कई शहर और गांव

पीएम मोदी ने कहा कि, आज देश के शहर और गांव खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। करीब 2 लाख गांवों ने अपने यहां कचरा प्रबंधन का काम शुरू कर दिया है। 40 हजार से ज़्यादा ग्राम पंचायतों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने का फैसला लिया है। खादी की बिक्री भी कई गुना ज़्यादा हो रही है।बहुत कम लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि इन लोगों को हर दिन किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है। आखिर पानी क्यों नहीं इन लोगों तक पहुचंता है। जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति निर्धारण की जिम्मेदारी थी उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था लेकिन ये सवाल नहीं पूछा गया।

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