Prabhasakshi's Newsroom। पेगासस मामले की जांच पर SC ने आदेश सुरक्षित रखा । भाजपा में शामिल हुए इंदरजीत सिंह

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पेगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया। केन्द्र के इस रुख को देखते हुए न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर वह अंतरिम आदेश देगा।

कुछ वक्त पहले मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ वाली एक रिपोर्ट सामने आई थी। जिसने भारत समेत कई देशों की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों। वहीं बात पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पौत्र की करेंगे, जिन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया है और जाते-जाते बात पराली की करेंगे। जिसकी वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।

केंद्र दाखिल नहीं करेगा हलफनामा

पेगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया। केन्द्र के इस रुख को देखते हुए न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर वह अंतरिम आदेश देगा। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यदि सरकार इस मामले में विस्तृत हलफनामा दायर करने के बारे में फिर से विचार करती है तो वह मामले का उल्लेख न्यायालय के समक्ष कर सकते हैं। 

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। अंतरिम आदेश दिया जाएगा, जिसमें दो से तीन दिन का वक्त लगेगा। यदि आप इस बारे में पुन: विचार करते हैं तो मामले का उल्लेख हमारे समक्ष कर सकते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘आप (मेहता) बार-बार कह रहे हैं कि सरकार हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। हम भी नहीं चाहते कि सुरक्षा संबंधी कोई मुद्दे हमारे समक्ष रखे जाएं। आपने कहा कि एक समिति बनाई जाएगी और रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। हमें तो पूरे मुद्दे को देखना है और अंतरिम आदेश देना है।’’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। इससे संबंधित जानकारी को हलफनामे का हिस्सा बनाना राष्ट्रहित में नहीं होगा। मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा।

आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित हैं। यह याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा समेत कई लोगों ने दाखिल की है। दरअसल, इन लोगों ने आरोप लगाया है कि राजनेताओं, पत्रकारों, पूर्व जजों और सामान्य नागरिकों की पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी की गई है। 

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इंदरजीत सिंह भाजपा में हुए शामिल

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पौत्र इंदरजीत सिंह ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान भाजपा महासचिव दुष्यंत गौतम, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह भी मौजूद रहे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद इंदरजीत सिंह ने कहा कि लंबे समय बाद आज उनके दादाजी ज्ञानी जैल सिंह की मनोकामना पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कांग्रेस ने उनके साथ सलूक किया...उनका दिल दुखाया...उनकी वफादारी का क्या सिला दिया...आप सब जानते हैं।

इसी बीच हरदीप पुरी ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही खींचतान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अमरिंदर सरकार केंद्र सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू नहीं कर रही है। आवास योजना हो या आयुष्मान योजना, मुझे समझ नहीं आता कि राज्य सरकार इन्हें क्यों लागू नहीं कर रही है। 

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बायोडिकंपोजर से निकलेगा पराली का हल

पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा किए गए एक ऑडिट में पराली प्रबंधन में पूसा बायो-डिकंपोजर का उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया है जो एक माइक्रोबियल घोल है।

इसी बीच मुख्यमंत्री ने केंद्र से आग्रह किया कि वह पड़ोसी राज्यों से इसे किसानों को मुफ्त में वितरित करने के लिए कहें। दिल्ली सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए घोल के साथ पिछले साल यहां प्रयोग किया था। साथ ही इसकी प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए विकास विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण भी करवाया गया था।

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