क्वाड युद्धाभ्यास: दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर भारत का चीन को सख्त संदेश

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जयशंकर ने ईएएस सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के बारे में ट्वीट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण चीन सागर पर आचार संहिता पूरी तरह से UNCLOS 1982 के अनुरूप होनी चाहिए।

नयी दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा में चीन के साथ गतिरोध जारी है। इसी बीच भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीतियों का खुलकर विरोध किया है। ऐसे में बीजिंग को कड़ा संदेश देने के लिए विदेशी तैनातियों को जोर दिया जा रहा है। भारतीय नौसेना दक्षिण चीन सागर में चार युद्धपोतों की तैनाती करेगा, जो अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे मित्र देशों के साथ संबंधों का विस्तार करेगा। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि भारतीय नौसेना के युद्धापोतों की तैनाती समुद्री क्षेत्र में अच्छी व्यवस्था बनाने की दिशा में मित्र देशों के साथ परिचालन, शांतिपूर्ण उपस्थिति और एकजुटता को रेखांकित करती है।

आपको बता दें कि भारत ने दक्षिण चीन सागर और प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों की कड़े शब्दों में निंदा की है। इसके साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता की वकालत की।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारतीय नौसेना के युद्धापोत क्वॉड सदस्य देशों के साथ अभ्यास करेगी। एक अनौपचारिक समूह जिसे जो बिडेन प्रशासन द्वारा इंडो-पैसिफिक में चीनी उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए बढ़ावा दिया गया है। 

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईएएस सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के बारे में ट्वीट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण चीन सागर पर आचार संहिता पूरी तरह से UNCLOS 1982 के अनुरूप होनी चाहिए। देशों के वैध अधिकारों और हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है, जो हाइड्रोकार्बन का एक बड़ा स्रोत है। हालांकि, वियतनाम, फिलीपीन और ब्रुनेई सहित कई आसियान सदस्य देश भी इस पर दावा करते हैं।

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