राहुल ने पीएमओ में टाइपराइटर की जगह कम्प्यूटर के दौर को किया याद

Rahul Gandhi recalls transition from typewriters to computers at PMO
[email protected] । Sep 21 2017 2:40PM

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि भारतीयों को एक नया विचार अपनाने में समय लगता है लेकिन जब वे उसे समझ जाते हैं तो वे तुरंत उसे अपना लेते हैं।

न्यूयॉर्क। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि भारतीयों को एक नया विचार अपनाने में समय लगता है लेकिन जब वे उसे समझ जाते हैं तो वे तुरंत उसे अपना लेते हैं। राहुल ने उन दिनों को याद करते हुए यह बात कही जब 80 के दशक की शुरूआत में उनके पिता को प्रधानमंत्री कार्यालय में कम्प्यूटर से कामकाज की शुरूआत करने में काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। उन्होंने यहां एक होटल में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब उनके पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी टाइपराइटर की जगह अपने कार्यालय में कम्प्यूटर लाना चाहते थे तो उनके कर्मचारियों ने बोला था कि वे कम्प्यूटर नहीं चाहते।

अमेरिका की दो सप्ताह की यात्रा पर आए गांधी ने कहा, ‘‘तो सैम (पित्रोदा) और शायद मेरे पिता ने कहा कि ठीक है आप अपने टाइपराइटर रख सकते हैं। लेकिन हम एक महीने के लिए उनकी जगह कम्प्यूटर लाने जा रहे हैं और एक महीने बाद हम आपको टाइपराइटर्स वापस दे देंगे।’’ राहुल ने कहा कि एक महीने के बाद जब उनके पिता ने टाइपराइटर वापस दिए तो कर्मचारी कम्प्यूटर के लिए लड़ने लगे।

47 वर्षीय राहुल ने कहा, ‘‘नए विचारों को भारत में अपनाने में समय लगता है लेकिन अगर विचार अच्छा है तो भारत बहुत तेजी से उसे समझता है और उसका इस्तेमाल करता है तथा दुनिया को दिखाता है कि कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।’’

राहुल ने कहा कि जब वह 12 साल के थे तो उनके पिता ने कहा था कि एक प्रेजेंटेशन है और उसमें उनसे शामिल होने के लिए कहा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता था कि प्रेजेंटेशन का क्या मतलब होता है। मैंने सोचा कि मुझे कोई तोहफा मिलने जा रहा है। मैं वहां गया और मैं तथा मेरी बहन कमरे में पीछे जाकर चुपचाप बैठ गए और हम वहां छह घंटे तक बैठे रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सैम और मेरे पिता ने कम्प्यूटरों के बारे में चर्चा की। मुझे समझ नहीं आया कि कम्प्यूटर क्या होता है। दरअसल 1982 में कोई भी नहीं समझता था कि कम्प्यूटर होता क्या है। मेरे लिए यह एक छोटे बॉक्स की तरह था जिस पर टीवी स्क्रीन लगा था।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें प्रेजेंटेशन अच्छा नहीं लगा क्योंकि उनके लिए यह समझना मुश्किल था कि वे क्या चर्चा कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि कुछ वर्षों बाद उन्होंने उस प्रेजेंटेशन का परिणाम देखा।

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