सांसदों के वेतन में वृद्धि की राज्यसभा में उठी मांग

राज्यसभा में आज सदस्यों ने सांसदों के वेतन भत्तों में वृद्धि किए जाने की मांग की और कहा कि उनका वेतन कैबिनेट सचिव से ज्यादा होना चाहिए।

राज्यसभा में आज सदस्यों ने सांसदों के वेतन भत्तों में वृद्धि किए जाने की मांग की और कहा कि उनका वेतन कैबिनेट सचिव से ज्यादा होना चाहिए। सपा के रामगोपाल यादव ने शून्यकाल में सांसदों के वेतन का मुद्दा उठाया और कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सांसदों का वेतन पीए से भी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सांसदों का वेतन दिल्ली के विधायकों से भी कम है। उन्होंने कहा कि सांसदों का वेतन महाराष्ट्र में विधायकों के संशोधित वेतन का आधा भी नहीं है वहीं तेलंगाना के मामले में यह एक तिहाई है।

सपा नेता ने कहा कि सांसदों के पास काफी संख्या में लोग मदद के लिए आते रहते हैं और ऐसे में उन्हें अपने घर से खर्च करना होता है। उन्होंने कहा कि हमें बताया गया था कि इस सत्र के अंत तक इस संबंध में कोई फैसला होगा लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमसे कहा गया कि खर्च कम करो। उन्होंने सवाल किया कि सांसद कैसे खर्च कम कर सकते हैं।

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार संसदीय समिति की सिफारिशों पर चुप है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर हजारों करोड़ रूपए खर्च होते हैं लेकिन सांसदों के वेतन में वृद्धि नहीं की जा रही। कांग्रेस के हुसैन दलवई ने भी उनकी मांग का समर्थन किया। 

न्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के मुकुल राय ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर उसकी निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है। उन्होंने कहा कि बिना किसी आधार के 76 अधिकारियों का चुनाव आयोग द्वारा स्थानांतरण कर दिया गया। इससे चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर संदेह पैदा होता है।

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