Rakshabandhan 2023: ब्रम्हा कुमारियों ने CRPF के जवानों के साथ मनाया भाई-बहन का खास त्योहार

brahmakumaris crpf
प्रतिरूप फोटो
PR

राखी बांधना हम (आत्माओं) द्वारा ली गई पवित्रता की प्रतिज्ञा का प्रतीक है कि हम शांति और आनंद के सद्भाव में अपने पूरे जीवन के लिए पवित्र रहेंगे। हम सभी आत्मिक संबंध से परस्पर भाई बहन हैं और हमारे आध्यात्मिक पिता एक ही हैं।

ग्रेटर नोएडा। ब्रम्हा कुमारी भाई बहनों ने आज ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में लगभग 100 जवानों की उपस्थिति में रक्षा बंधन उत्सव मनाया। कैम्प के डीआईजी लाल सिंह यादव जी एवं डीआईजीपी हरिंद्र सिंह कलश जी की उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा और भी बढ़ गई। पूरे कार्यक्रम का आयोजन नोएडा सेक्टर 46 के बीके मेडिटेशन सेंटर द्वारा किया गया, जहां बीके बहन कीर्ति धीर, जो कि सेंटर इंचार्ज होने के साथ साथ एक आध्यात्मिक और प्रेरक वक्ता और जीवन कौशल प्रशिक्षक भी हैं, ने जवानों की सभा को संबोधित किया। यह सेंटर ओम शांति रिट्रीट सेंटर (ओआरसी) गुरुग्राम के अंतर्गत कार्यरत है। 

"रक्षा बंधन का आध्यात्मिक महत्व तब होता है जब कोई व्यक्ति विचारों, शब्दों और कार्यों में पवित्रता का जीवन जीने के लिए उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा (भगवान) के साथ पवित्रता का दिव्य व्रत लेता है। हम में से प्रत्येक एक छोटी सी प्रकाश रूपी आध्यात्मिक ऊर्जा है जो प्रत्येक आत्मा को शुद्ध और हार्दिक शुभकामनाएँ देती है क्योंकि राखी प्यार, पवित्रता के अहसास और परिवर्तन का उत्सव है।" 

बीके कीर्ति ने इस त्यौहार के आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए सीआरपीएफ भाईयों को बताया कि बीके सिद्धांत लोगों को उनके दैनिक जीवन में गहरे व्यक्तिगत मूल्यों के साथ जुड़ी सकारात्मक और शक्तिशाली ऊर्जा लाने में मदद करने के लिए समर्पित हैं। राजयोग मेडिटेशन, जो एक जीवन-परिवर्तनकारी एवं व्यक्तिगत ऊर्जा को रिचार्ज करने का माध्यम है, के द्वारा उनकी कठोर एवं अनुशासित जीवनशैली भी सहज हो सकती है। स्वयं को उसे परमपिता परमात्मा से जोड़कर अंतर्मन में शांति, आनंद, खुशी, एकता और दिव्यता के शुद्ध कंपन को फैलाने का कार्य राजयोग मेडिटेशन द्वारा सक्षमता से और प्रभावशाली तरीके से किया जा सकता है। जवानों के व्यस्त, तनावपूर्ण और अक्सर जोखिम भरे कार्य के वातावरण को देखते हुए राजयोग मेडिटेशन का उनके जीवन में महत्व एवं आवश्यकता और बढ़ जाती है। 

आगे उन्होंने तिलक और राखी की रस्म के बारे में बताते हुए कहा कि तिलक शारीरिक-चेतना और बुराइयों, जो हमें नकारात्मक कार्य करने के लिए प्रभावित करते हैं, के जाल पर विजय पाने का प्रतीक है। यह व्यक्ति की आत्म-चेतना से संबंधित मजबूत जागरूकता के जागरण का भी प्रतीक है, जो दिव्य ऊर्जा के अनंत बिंदु के रूप में अपनी वास्तविक पहचान को महसूस करता है - आत्मा, रूह या दिव्य प्रकाश ऊर्जा, न कि भौतिक शरीर।  इसीलिए मानवीय "बंधन" अक्सर अपेक्षा और नाखुशी के घोर दुखों का कारण होते हैं, जबकि आत्माओं के साथ "दिव्य प्रबुद्ध संबंध" शक्ति, प्रेरणा और खुशी के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। राखी बांधना हम (आत्माओं) द्वारा ली गई पवित्रता की प्रतिज्ञा का प्रतीक है कि हम शांति और आनंद के सद्भाव में अपने पूरे जीवन के लिए पवित्र रहेंगे। हम सभी आत्मिक संबंध से परस्पर भाई बहन हैं और हमारे आध्यात्मिक पिता एक ही हैं - एक परमपिता शिव परमात्मा और यही रक्षा बंधन के अवसर पर सभी के लिए कल्याण की प्रार्थना से जुड़ा पूर्ण सत्य है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़