Rapid Rail अब गाजियाबाद से जेवर एयरपोर्ट तक दौड़ेगी, 2031 तक फर्स्ट फेज पूरा करने का टारगेट, जानें रूट और अन्य जानकारी

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गाजियाबाद से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर तक रैपिड रेल तक का ये कॉरिडोर लगभग 72.2 किलोमीटर लंबा होने वाला है। इस कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित है। इसका पहला फेज ग्रेटर नोएाडा में 60 हेक्टेयर जमीन पर बनने जा रहा है।

रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम का दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर का एक सेक्शन सफलतापूर्वक चल रहा है। ये सेक्शन गाजियाबाद से दुहाई के बीच चालू किया गया है। इस सेक्शन में सफलतापूर्वक रैपिड रेल चलाई जा रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने गाजियाबाद से नोएडा एयरपोर्ट के बीच रैपिड रेल के नए कॉरिडोर को चलाने का फैसला किया है। इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई है। 

गाजियाबाद से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर तक रैपिड रेल तक का ये कॉरिडोर लगभग 72.2 किलोमीटर लंबा होने वाला है। इस कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित है। इसका पहला फेज ग्रेटर नोएाडा में 60 हेक्टेयर जमीन पर बनने जा रहा है। इसके लिए जमीन को अधिग्रहित किया जाना है। बता दें कि इस कॉरिडोर पर छह कोच की ट्रेनों का संचालन होगा। शुरुआत में ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी नौ मिनट की होगी, जबकि बाद में इस फ्रीक्वेंसी को घटाकर चार से पांच मिनट किया जाएगा।

नोएडा जेवर एयरपोर्ट तक जाएगी रैपिड रेल

इस नोएडा एयरपोर्ट को रैपिड रेल से जोड़ने के लिए एनसीआरटीसी ने फिजबिलिटी रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में एनसीआरटीसी ने दो रूट भी सुझाए है। इसका एक रूट दिल्ली स्थित न्यू अशोक नगर से होगा जबकि दूसरा रूट गाजियाबाद से एयरपोर्ट तक का होगा। बता दें कि सोमवार को प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने प्राधिकरणों के साथ ऑनलाइन बैठक की थी। इस बैठक में गाजियाबाद से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक रैपिड रेल चलाने को मंजूरी दी गई है।

पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, ईस्ट और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र को ये रुट आपस में जोड़ेगा। बता दें कि इस कॉरिडोर का निर्माण दो फेज में किया जाना है। पहला फेज गाजियाबाद और इकोटेक-6 (कासना) के बीच बनाया जाएगा जो कुल 37.15 किलोमीटर का होगा। पहला कॉरिडोर बनने में 2031 तक का समय लगेगा।

ऐसे जारी होगा फंड

नोएडा तक चलने वाली इस रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए 50% फंड का भुगतान उत्तर प्रदेश सरकार करेगी। वहीं 20% फंड केंद्र सरकार जारी करेगी और 30% भुगतान यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से किया जाएगा।

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