Chhattisgarh के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में देखा गया दुर्लभ ‘माउस डियर’

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उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से ‘माउस डियर’ विश्व में सबसे छोटे हिरण में से एक है। गणवीर ने बताया कि भारतीय ‘माउस डियर’ विशेष रूप से घने झाड़ियों वाले तथा नम स्थान वाले जंगलों में पाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि ‘माउस डियर’ में चूहे-सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है।

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाति के ‘माउस डियर’ होने की जानकारी मिली है। उद्यान के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाति के ‘माउस डियर’ की तस्वीर कैमरे में कैद हुई है। उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से ‘माउस डियर’ विश्व में सबसे छोटे हिरण में से एक है। गणवीर ने बताया कि भारतीय ‘माउस डियर’ विशेष रूप से घने झाड़ियों वाले तथा नम स्थान वाले जंगलों में पाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि ‘माउस डियर’ में चूहे-सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है।

उन्होंने बताया कि ‘माउस डियर’ के शर्मीले व्यवहार और रात्रिकालीन गतिविधि के कारण इसे लेकर अधिक अनुसंधान नहीं हो पाया है। अधिकारी ने कहा कि वनों में लगने वाली आग, बढ़ते अतिक्रमण और शिकार के दबाव से भारतीय ‘माउस डियर’ की आबादी को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस प्रजाति को बचाने के लिए अधिक प्रयास की आवश्यकता है। गणवीर ने कहा कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ऐसे वन्यजीव के लिए उपयुक्त माहौल होने तथा राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से ‘माउस डियर’ जैसे दुर्लभ प्रजातियों को देखा जा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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