JRD टाटा का दुर्लभ Video, अर्थव्यवस्था के मसले पर नेहरू को बताया लापरवाह, पटेल PM होते तो देश की आर्थिक योजना अलग होती

JRD Tata Nehru
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अभिनय आकाश । May 27 2022 3:18PM

इंटरव्यू में जेआरडी ने अपने पेशेवर जीवन से लेकर भारत के राजनीतिक प्रभाव, नीतियों और शासन तक विविध मुद्दों पर बात की। लेकिन इंटरव्यू में जेआरडी टाटा ये कहते नजर आ रहे हैं कि नेहरू अर्थशास्त्र के बारे में बहुत कम जानते थे। अगर सरदार पटेल युवा होते और प्रधान मंत्री बनते, तो भारत एक अलग रास्ता अपनाता।

पटेल पहले पीएम होते तो... से शुरू होने वाले बेशुमार वाक्य और कपोरकल्पनाओं के जरिए कई दावे गूगल पर आपको मिल जाएंगे। कहने की बात ये कि कई बड़े तबके के लोग नेहरू और पटेल को ऐसी तलवारे मानता है जो एक मयान में समा नहीं सकती थी। जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जिन्हें आमतौर पर जेआरडी टाटा के नाम से जाना जाता है, उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। जेआरडी टाटा ने भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन- एयर इंडिया की स्थापना की और टाटा समूह के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले अध्यक्ष बने। 90 के दशक में, पत्रकार राजीव मेहरोत्रा ​​ने अपनी "इन कन्वर्सेशन" श्रृंखला के हिस्से के रूप में जेआरडी टाटा का इंटरव्यू लिया जो  दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। उसका एक क्लिप आज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल के देश के प्रधानमंत्री होने को लेकर भारत की आर्थिक योजना और नेहरू के अर्थशास्त्र को लेकर चर्चा की गई है। 

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इंटरव्यू  में जेआरडी ने अपने पेशेवर जीवन से लेकर भारत के राजनीतिक प्रभाव, नीतियों और शासन तक विविध मुद्दों पर बात की। लेकिन इंटरव्यू में जेआरडी टाटा ये कहते नजर आ रहे हैं कि नेहरू अर्थशास्त्र के बारे में बहुत कम जानते थे। अगर सरदार पटेल युवा होते और प्रधान मंत्री बनते, तो भारत एक अलग रास्ता अपनाता और हम आज की तुलना में बेहतर अर्थव्यवस्था में होते। लेकिन नेहरू आर्थिक मामलों में अनभिज्ञ थे और उन्होंने समाजवाद के व्यवसाय पर जोर दिया।

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खुद को अराजनीतिक बताते हुए जेआरडी ने कहा कि उन्होंने खुद को कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ पाया। जेआरडी ने कहा कि हालांकि वह जय प्रकाश नारायण और जवाहरलाल नेहरू के प्रशंसक और मित्र थे। लेकिन उन दोनों ने विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू ने भारत की राजनीतिक प्रक्रियाओं को संभालने में गंभीर गलतियां कीं। नेहरू का समाजवाद वह है जिसे मैं गलत प्रकार का समाजवाद, नौकरशाहीवाद आदि मानता हूँ"। जेआरडी ने कहा कि उन्होंने कभी कोई पैरवी नहीं की, बल्कि वह सरकार की नीतियों के बहुत मुखर होने के बजाय आलोचक थे, जिन्हें लागू किया जाना चाहिए था लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे कई विचार थे जिन्होंने उन्हें राष्ट्रीयकरण का विरोध किया। 

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