केजरीवाल के खिलाफ याचिका पर पुलिस से मांगी रिपोर्ट

[email protected] । Jan 20 2017 3:01PM

अदालत ने दिल्ली पुलिस को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग को लेकर की गयी आपराधिक शिकायत के सिलसिले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

एक अदालत ने आज दिल्ली पुलिस को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग को लेकर की गयी आपराधिक शिकायत के सिलसिले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुनीष मरकान ने शिकायतकर्ता के वकील की दलीलों को सुनने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर थाने के अधिकारियों से रिपोर्ट पेश करने को कहा। अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल तय की है। कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी यह समयसीमा तय की गयी है।

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता बृजेश शुक्ला ने अदालत के समक्ष अपने दावों से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत किये। उनका दावा है कि दिल्ली सरकार ने 20 अखबारों में विज्ञापन देने के लिए 42 लाख रूपये से अधिक का खर्च किया। उनके मुताबिक ये विज्ञापन गुमराह करने वाले हैं। शिकायतकर्ता के वकील राजेश कुमार ने इससे पहले अदालत को बताया कि सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गये एक सवाल के जवाब में दिल्ली सरकार ने स्वीकार किया है कि 30 अक्तूबर, 2015 को अखबारों को विज्ञापन देने पर 42,01,405 लाख रूपये खर्च किये गये। उनकी दलील है कि ‘झूठ फैलाने’ के लिए लोगों के धन का इस्तेमाल किया गया और साथ ही लोगों को ‘भ्रमित’ किया गया।

शिकायतकर्ता ने करावल नगर थाने के प्रभारी को केजरीवाल के खिलाफ भादंसं की धारा 406 (आपराधिक विश्वास हनन) के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है। शिकायत में दावा किया गया है कि अक्तूबर, 2015 में केजरीवाल ने एक पृष्ठ का विज्ञापन देकर कहा कि एमसीडी कर्मचारियों के हड़ताल को लेकर गलतफहमी है कि निगम दिल्ली सरकार के अंतर्गत आते हैं। शिकायतकर्ता ने कहा है, ‘‘नवंबर, 2015 में मैंने दिल्ली सरकार को एक आरटीआई आवेदन दिया था। इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि निगम उसके नियंत्रण में हैं। लोगों को गुमराह करने और झूठ फैलाने के लिए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को लेकर उनके (केजरीवाल के) खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।’’ शुक्ला ने दावा किया कि उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराये जाने की मांग को लेकर पुलिस उपायुक्त और उपराज्यपाल के समक्ष शिकायत दर्ज करायी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। शुक्ला ने पिछले वर्ष सितंबर में उपराज्यपाल के दफ्तर के बाहर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर कथित तौर पर स्याही फेंक दिया था।

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