सीमावर्ती गांव के निवासियों को शांति की उम्मीद

अपने घर, खड़ी फसल और पशुओं को छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले हमीरपुर के सीमावर्ती गांवों के निवासी अभी भी दोनों देशों के बीच शांति की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

हमीरपुर (नियंत्रण रेखा)। पाकिस्तानी सैनिकों की गोलाबारी के बाद अपने घर, खड़ी फसल और पशुओं को छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले हमीरपुर के सीमावर्ती गांवों के निवासी अभी भी दोनों देशों के बीच शांति की उम्मीद लगाए बैठे हैं ताकि वे एक दिन अपने घरों को लौट सकें। गांव में प्रवेश करने पर आपको बंद दरवाजे और खाली मकान देखने को मिलेंगे लेकिन यहां पर किसी भी क्षण एक बम विस्फोट से यह शांति भंग होने को लेकर डर व्याप्त है।

गांव छोड़ कर जाने वालों ने 42 वर्षीय तरसेम लाल को पशु चराने का काम दिया है। उन्होंने बताया, ‘‘बातचीत शुरू करने से पहले हमें इस दीवार की आड़ ले लेना चाहिए। हम नहीं जानते कि सीमा पार से कब एक बम का गोला यहां आकर फट जाए और हमें घायल कर दे या हमारी जान ले ले।’’ यह गांव नियंत्रण रेखा से बिल्कुल सटा हुआ है। गांव वालों के गांव छोड़ने के कारण यह वीरान हो गया है कुछ लोग जम्मू चले गये हैं हालांकि अधिकतर लोग प्रशासन द्वारा बनाए गये सुरक्षित घरों में रह रहे हैं। शरणार्थी शिविर में रहने वालों ने दो लोगों को पशुओं को चारा देने का काम सौंप रखा है। वे हर सुबह जान जोखिम में डाल कर यहां आते हैं। लाल के साथी ग्रामीण कुलबीर सिंह ने बताया कि लोग शांति चाहते हैं ताकि वे अपने घरों को लौट सकें।

सिंह ने बताया, ‘‘कौन एक ऐसे घर से दूर रहना चाहता है जिसे उसने कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि जब कभी भी दो देशों के बीच तनाव होता है हमें सब कुछ त्यागना पड़ता है और हमें अपना घर छोड़ना पड़ता है।’’ हालांकि, सरकार ने इनके रहने के लिए सुरक्षित शिविरों का इंतजाम किया है और उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी की है लेकिन उनके पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं है। सिंह ने बताया, ‘‘अगर हम अपनी जान को जोखिम में नहीं डालेंगे तो ये पशु मर जाएंगे।’’ सुरक्षित शिविर में रह रही 64 वर्षीय शीला देवी शांति के लिए चिंतित हैं। वह अपनी बेटी की शादी की तैयारी में लगी हुयी हैं जो अगले महीने की शुरूआत में है।

उन्होंने अफसोस जताया, ‘‘तारीख तय होने के कारण अपनी बेटी की शादी की तैयारी के लिए हम घर का रंग-रोगन करने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन सीमा पार से इस तनाव के कारण सब कुछ गड़बड़ हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि अगर सीमा पर स्थिति नहीं सुधरती है तो उन्हें शरणार्थी शिविर में ही शादी करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘पंडित ने शादी की तारीख तय कर दी है जिसके कारण शादी करनी ही है हम इसे नहीं बदल सकते। लेकिन अगर हम घर जाने में अक्षम रहते हैं तो हम इस शिविर में यहां पर शादी का इंतजाम करेंगे। देवी ने कहा कि इस तरह के मामले को लेकर वह सरकार से परिवार को आर्थिक सहायता मुहैया कराने की गुजारिश करेंगी।

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