रोहिंग्या मामला व्यवहारिक रुख से सुलझाने की जरूरतः जयशंकर

विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा है कि रोहिंग्या मामले में तीखी आलोचनाओं से काम नहीं चलेगा बल्कि इस मुद्दे के समाधान के लिये व्यवहारिक रुख अपनाने की जरूरत है। आज यहां एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने इस मामले पर पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि भारत का मकसद रोहिंग्या विस्थापितों को वापस उनके मूल स्थान पर भेजने के उपाय तलाशना है और इसके लिये सिर्फ तीखी आलोचना करने के बजाय व्यवहारिक रुख अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत इस समस्या की गंभीरता को देखते हुये अपनी चिंता जाहिर कर चुका है और इस बारे में भारत सरकार ने बंगलादेश एवं म्यांमा के साथ शीर्ष स्तरीय बातचीत भी की है। जयशंकर ने कहा ‘‘म्यांमा के रखाइन राज्य से भारी संख्या में लोगों का बांग्लादेश पहुंचना, जाहिर तौर पर गंभीर चिंता की बात है। हमारा मकसद है कि किस तरह ये लोग वापस अपने मूल स्थान पर भेजे जा सकेंगे, हालांकि यह काम आसान नहीं है।’’ विश्व शांति की दिशा में कार्यरत सामाजिक संगठन कार्नेगी इंडिया द्वारा आयोजित संगोष्ठी में जयशंकर ने सवाल जवाब सत्र के दौरान कहा ‘‘हमारा मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिये व्यवहारिक तरीके कारगर साबित होंगे, बजाय इसके कि सिर्फ तीखी आलोचनायें की जायें। अभी इस दिशा में संवेदनशील, व्यवहारिक और शालीन रुख अपनाने की जरूरत है।’’
भारत में फिलहाल लगभग 40 हजार रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, हैदराबाद, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं। केन्द्र सरकार ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे के मद्देनजर संबद्ध राज्य सरकारों से पंजीकृत शरणार्थियों के अलावा गैरकानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या समुदाय के लोगों की पहचान करने को कहा है। सरकार को इस बात की आशंका है कि गैरकानूनी तरीके से भारत पहुंचे ये लोग आतंकवादी गुटों में शामिल हो रहे हैं।
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