Prabhasakshi NewsRoom: Jaishankar ने दुनिया को बताया क्यों Russia से ज्यादा हथियार खरीदता है भारत

S Jaishankar
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जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ''हमारे पास सोवियत और रूस निर्मित हथियार काफी अधिक हैं। इसके कई कारण हैं। आपको भी हथियार प्रणालियों के नफा-नुकसान पता हैं... और इसलिए भी कि कई दशकों तक पश्चिमी देशों ने भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की।''

जो लोग बार-बार यह सवाल पूछते हैं कि भारत रूस से ही सर्वाधिक हथियार क्यों खरीदता है तो उन्हें विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तगड़ा जवाब दिया है। आस्ट्रेलिया यात्रा पर गये जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा है कि भारत के पास सोवियत और रूसी हथियार इसलिए अधिक हैं क्योंकि पश्चिमी देशों ने इस क्षेत्र में अपने पसंदीदा साथी के रूप में एक सैन्य तानाशाह को चुना और दशकों तक भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से संबंध हैं, जिसने निश्चित तौर पर भारत के हितों को साधा है।

जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ''हमारे पास सोवियत और रूस निर्मित हथियार काफी अधिक हैं। इसके कई कारण हैं। आपको भी हथियार प्रणालियों के नफा-नुकसान पता हैं... और इसलिए भी कि कई दशकों तक पश्चिमी देशों ने भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की, बल्कि हमारे सामने एक सैन्य तानाशाह को अपना पसंदीदा साथी बनाया।’’ उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, वह देश शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम का करीबी सहयोगी था। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद आधे से अधिक समय तक वहां सैन्य शासन रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हम सभी फैसले करते हैं, जो हमारे भविष्य के हित और हमारी मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करते हैं। और इस मौजूदा संकट के संदर्भ में मेरा मानना है कि इससे सीखने की जरूरत है तथा मैं आश्वस्त हूं कि सेना में मेरे पेशेवर सहकर्मी इसका बहुत सावधानी से अध्ययन कर रहे होंगे।’’ हम आपको बता दें कि जयशंकर से अक्सर रूसी हथियारों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। पिछले महीने, जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि भारत को जब हथियारों की पेशकश की जाती है तो वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए विकल्पों पर गौर करता है।

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उल्लेखनीय है कि भारत को सैन्य साजो-सामान का रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि मॉस्को पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के मद्देनजर उनके बीच किस तरह का भुगतान तंत्र काम कर सकता है। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी पिछले महीने कहा था कि रूस ने वाशिंगटन के दबाव और अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद अपनी सबसे उन्नत, लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 की भारत को समय पर आपूर्ति की है।

जहां तक विदेश मंत्री की आस्ट्रेलिया यात्रा की बात है तो आपको बता दें कि इस दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स से मुलाकात की और कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया, ‘‘हमारी बढ़ती रक्षा और सुरक्षा सहयोग एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियम आधारित हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करती है।’’ तस्वीर में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली के हस्ताक्षर वाला एक बल्ला ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री को तोहफे में देते हुए देखा जा सकता है। जयशंकर सोमवार को कैनबरा पहुंचे थे और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर से मुलाकात की तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर चर्चा की थी। इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि भारत शिक्षा में ऑस्ट्रेलिया का साझेदार बनना चाहता है। इस दौरान भारत व ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के देश में और अधिक वाणिज्य दूतावास खोलने पर भी सहमत हुए। विदेश मंत्री आस्ट्रेलियाई युद्ध स्मारक भी गए और शिमला में जन्मे भारतीय मूल के सैनिक नैन सिंह सैलानी सहित आस्ट्रेलिया के सशस्त्र बलों के सदस्यों की स्मृति में एक पुष्पचक्र अर्पित किया। हम आपको बता दें कि जयशंकर की इस साल ऑस्ट्रेलिया की यह दूसरी यात्रा है। उन्होंने पहली यात्रा फरवरी 2022 में की थी, जब वह मेलबर्न में ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए थे। हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर के स्वागत में ऑस्ट्रेलिया का पुराना संसद भवन तिरंगे की रोशनी में रंगा दिखा।

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