दक्षेस एक फंसे हुए वाहन की तरह है: विदेश सचिव जयशंकर
![SAARC Is A Jammed Vehicle: Foreign Secretary Jaishankar SAARC Is A Jammed Vehicle: Foreign Secretary Jaishankar](https://images.prabhasakshi.com/2017/10/_650x_2017102710450184.jpg)
विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दक्षेस एक ‘फंसे हुए वाहन’ की तरह है क्योंकि इसका ‘एक सदस्य देश’ दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय ब्लॉक के अन्य सात सदस्यों के साथ आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकमत नहीं है।
नयी दिल्ली। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दक्षेस एक ‘फंसे हुए वाहन’ की तरह है क्योंकि इसका ‘एक सदस्य देश’ दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय ब्लॉक के अन्य सात सदस्यों के साथ आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकमत नहीं है। उन्होंने यह बात प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के संदर्भ में कही। उन्होंने यह भी कहा कि सात राष्ट्रों के अन्य क्षेत्रीय समूह मसलन बिम्सटेक के सदस्य मोटे तौर पर एक राह पर हैं और उनकी समान आकांक्षाएं हैं। जबकि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क अथवा दक्षेस) में ऐसा नहीं है।
उनकी ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब भारत दक्षेस के विकल्प के तौर पर दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों के समूह बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) को और अधिक प्रासंगिक बनाने की कोशिश कर रहा है। भारत, जापान, बंगाल की खाड़ी पर कारनेगी इंडिया संगोष्ठी में जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘ पड़ोसियों को एक दूसरे से जुड़ा होना चाहिए लेकिन सारी उम्मीदें जिस संस्था से है वह दक्षेस है। लेकिन दक्षेस नाम का वाहन दो बड़े मुद्दों आतंकवाद और समन्वय की कमी की वजह से एक तरह से फंसा हुआ है क्योंकि इन मुद्दों पर सभी देश एक राय नहीं है, खासतौर पर एक देश है जो बाकी के अन्य देशों के साथ एकमत नहीं है। ’’
पिछले वर्ष 19वां दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था लेकिन भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों द्वारा इसमें भाग नहीं लेने की घोषणा के बाद उसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। भारत ने पठानकोट और उरी आतंकी हमले के बाद सीमापार आतंकवाद को वजह बताते हुए सम्मेलन में शरीक नहीं होने का फैसला लिया था। जयशंकर से भारत-जापान सहयोग और संयुक्त संपर्क पहलों के बारे में सवाल पूछे गए जिन्हें कई लोग चीन के मुकाबले में आने के प्रयास के तौर पर देखते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसकी व्याख्या किसी के साथ प्रतिद्वंदिता के तौर पर करना ‘न्याय’ नहीं होगा।
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