Same-Sex Marriage Hearing Day 5: वकील ने किया हिन्दू मैरिज एक्ट का जिक्र, CJI बोले- हम पर्सनल लॉ के पहलू में नहीं जाएंगे
वकील ने आज अपनी दलील देते हुए कहा कि इस फैसले का मेरे चल रहे मुकदमे पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारत में विवाह समानता की मांग के संबंध में कम से कम 15 याचिकाओं के एक समूह पर अपनी सुनवाई पांचवें दिन भी जारी रखी। संविधान पीठ भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वकील ने आज अपनी दलील देते हुए कहा कि इस फैसले का मेरे चल रहे मुकदमे पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। हिन्दू मैरिज एक्ट अपने आप में इस प्रकार के विवाहों को प्रतिबंधित नहीं करता है। न तो उन्हें शून्य या शून्यकरणीय बनाता है। जिस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पर्सनल लॉ पहलू में नहीं जाएंगे।
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वकील ने कहा कि ठीक है। फिर मैं अनुरोध करता हूं कि जिन लोगों की सर्जरी हुई है और अब वे जैविक मानदंड के अनुरूप हैं, वे कानून के तहत समान सुरक्षा के हकदार हो सकते हैं। दो अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं को संक्षेप में सुनने के बाद, संविधान पीठ अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनेंगे। इससे पहली बीते दिनभारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र का अभिजात्य तर्क सिर्फ पूर्वाग्रह है और इसका कोई असर नहीं है कि अदालत मामले का फैसला कैसे करेगी। इससे पहले सरकार ने अपने आवेदन में कहा था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा इस विषय पर अदालत में जो पेश किया गया है वह मात्र शहरी अभिजात्य दृष्टिको है और सक्षम विधायिका को विभिन्न वर्गों के व्यापक विचारों को ध्यान में रखना होगा।
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वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने अमेरिका में विवाहित एक समलैंगिक जोड़े के लिए तर्क दिया, जिसमें एक व्यक्ति भारत में पैदा हुआ था। उन्होंने कहा कि दुनिया के लगभग हर लोकतांत्रिक, प्रगतिशील देश ने एक ही लिंग के विवाह को मान्यता दी है। हम पीछे नहीं रह सकते। भले ही वह एक व्यक्ति हो या एक अल्पसंख्यक। हम उन्हें अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते। इसमें उनके वीजा, विरासत, गोद लेने, बच्चे पैदा करने का अधिकार, बीमा के अधिकार शामिल हैं।
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