शनि शिंगणापुर मंदिर ने महिलाओं पर से प्रतिबंध हटाया

[email protected] । Apr 8 2016 5:43PM

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लंबे समय तक कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए गए अभियान के बाद आज मंदिर के ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी।

अहमदनगर। शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लंबे समय तक कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए गए अभियान के बाद आज मंदिर के ट्रस्ट ने दशकों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी। मंदिर के इस भाग में प्रवेश करने के सारे लैंगिक प्रतिबंधों को हटाने की यह खुशखबरी भी महाराष्ट्र के लोगों को ‘गु़ड़ी पड़वा’ जैसे पवित्र दिन पर मिली है। इस दिन राज्य में लोग नए साल की खुशियां मनाते हैं।

मंदिर के एक ट्रस्टी सियाराम बांकर ने कहा कि आज ट्रस्टियों ने बैठक की और उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया कि मंदिर में सभी भक्तों को बिना किसी रोक के प्रवेश की अनुमति दी जाए जिसमें पुरूष और महिला दोनों शामिल हों। उन्होंने कहा, ‘‘हम दर्शन के लिए आने पर तृप्ति देसाई (भूमाता ब्रिगेड की नेता) का भी स्वागत करेंगे।’’ यह बात उन्होंने ब्रिगेड द्वारा मंदिर के नियमों को बदलने के लिए चलाए गए अभियान का जिक्र करते हुए कही। ट्रस्ट के प्रवक्ता हरिदास गायवले ने कहा, ‘‘ट्रस्ट ने बैठक में निर्णय किया कि अब किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा और मंदिर के सभी हिस्से सभी के लिए खुले रहेंगे।’’

बंबई उच्च न्यायालय ने एक अप्रैल को आदेश दिया था कि पूजा स्थलों पर पूजा करना महिलाओं का मूल अधिकार है और सरकार का काम इसकी रक्षा करना करना है। तृप्ति देसाई ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी ओर से उठाया गया यह ‘समझदारी’ भरा कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘देर से आए लेकिन दुरूस्त आए।’’ उन्होंने उम्मीद जताई नासिक के त्रयंबकेश्वर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर भी महिलाओं के खिलाफ अन्यायपूर्ण स्थिति पर ऐसे ही निर्णय लेंगे।

आज सुबह के समय शिंगणापुर गांव के करीब 250 पुरूषों ने मंदिर के गर्भग्रह में जाकर गुड़ी पड़वा की पूजा की हालांकि मंदिर प्रशासन ने उन्हें दूर रखने का प्रयास किया था। शनि शिंगणापुर के पुलिस निरीक्षक प्रशांत मांडले ने बताया कि शिंगणापुर गांव के करीब 250 निवासियों ने मंदिर के गर्भग्रह तक जाकर दर्शन किए क्योंकि यह उनकी वार्षिक परंपरा का हिस्सा है। ट्रस्ट के सदस्यों ने उनके प्रवेश का विरोध किया जिसके बाद इलाके में तनाव बढ़ गया और पुलिस तुरंत मौके पर रवाना हुई। इस घटना के बाद देसाई अपने समर्थकों के साथ पुणे से शिंगणापुर के लिए रवाना हो गईं ताकि शनि मंदिर में पूजा अर्चना की जा सके।

स्थानीय पुरूष प्रवरा संगम से गोदावरी और मुले नदी का पवित्र पानी लेकर आए और पूजा-अर्चना की। हर साल गुड़ी पड़वा के दिन पुरूष श्रद्धालु मंदिर के मुख्य मंच पर चढ़कर जल अर्पण कर पूजा-अर्चना करते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यह एक स्थानीय रसम है और श्रद्धा का विषय है। तृप्ति ने कहा, ‘‘यदि पुजारी के अलावा एक अकेला व्यक्ति भी मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश करता है तो अदालत के आदेश का पालन किया जाना चाहिए। हर किसी को आदेश का पालन करना होगा। आज वह दिन आ गया है जब हम शनि के चबूतरे पर प्रवेश करेंगे।’’

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