Electoral Bond Data: यूनिक नंबर सहित सभी जानकारी SBI ने चुनाव आयोग को सौंपी, जानें क्या है ये, सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या हुआ
अब चुनावी बांड के बारे में पांच बातों बांड खरीदने वाले का नाम, मूल्यवर्ग और बांड की विशिष्ट संख्या, उस पार्टी का नाम जिसने बांड भुनाया है, बांड के अंतिम चार अंक राजनीतिक दलों के बैंक खाते की संख्या, मूल्यवर्ग और भुनाए गए बांडों की संख्या का पता चल जाएंगा।
भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप चुनाव आयोग को यूनिक कोड सहित चुनावी बांड का पूरा विवरण सौंप दिया। शीर्ष अदालत ने 18 मार्च को एसबीआई से उसके पास मौजूद चुनावी बांड के सभी विवरणों का पूरा खुलासा करने को कहा था। इसके साथ, अब चुनावी बांड के बारे में पांच बातों बांड खरीदने वाले का नाम, मूल्यवर्ग और बांड की विशिष्ट संख्या, उस पार्टी का नाम जिसने बांड भुनाया है, बांड के अंतिम चार अंक राजनीतिक दलों के बैंक खाते की संख्या, मूल्यवर्ग और भुनाए गए बांडों की संख्या का पता चल जाएंगा।
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सीजेआई ने क्या कहा था
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि एसबीआई को सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करना होगा। खुलासा करने में चुनिंदा रुख न अपनाएं। निर्वाचन आयोग को ये जानकारियां तुरंत अपनी वेवसाइट पर अपलोड करनी होंगी। कोर्ट ने कहा, 'आदेश को पूरी तरह से प्रभावी वनाने और भविष्य में किसी भी विवाद से वचने के लिए, SBI के चेयरमैन और MD 21 मार्च को शाम 5 बजे से पहले एक हलफनामा दाखिल कर ये वताएं कि वॉण्ड की सभी जानकारियों का खुलासा कर दिया है और कोई भी जानकारी छिपाई नहीं है।
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चुनावी बांड पर यूनिक कोड क्या हैं?
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए प्रत्येक चुनावी बांड पर एक यूनिक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड मुद्रित होता है जो केवल एक विशिष्ट प्रकाश में दिखाई देता है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस संख्या का उपयोग प्रत्येक दान को प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल से मिलान करने के लिए किया जा सकता है। ऐसे नंबर का अस्तित्व अप्रैल 2018 में सामने आया जब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि चुनावी बांड में यूनिक छिपे हुए अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर होते हैं जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विशिष्ट नंबर का इस्तेमाल चुनावी बांड के खरीदारों को उन राजनीतिक दलों से जोड़ने के लिए किया जा सकता है, जिन्हें उन्होंने चंदा दिया है। एसबीआई ने उस वक्त बताया था कि यह नंबर एक सिक्योरिटी फीचर है, जिसमें दावा किया गया था कि कनेक्ट करने का कोई तरीका नहीं है कि किस दानकर्ता ने किस पार्टी को दान दिया है। बैंक ने कथित तौर पर कहा कि जारी करने और भुगतान की प्रक्रिया इस तरह से डिजाइन की गई है कि बैंक के पास दाता या राजनीतिक दल के लिए उपरोक्त संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या हुआ
15 फरवरी को 5 सदस्यों वाली संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था।
11 मार्च को खुलासा करने के लिए समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध करने वाली एसबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी।
13 मार्च तक निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, इसे भुनाने वालों का खुलासा करने का आदेश दिया गया था।
15 मार्च को बॉन्ड के यूनिक नंबर का खुलासा न करने पर नोटिस दिया गया था।
18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी बार एसबीआई को फटकार लगाते हुए 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड स्कीम से जुड़ी सभी जानकारियों का खुलासा करने के लिए कहा था।
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