Yes Milord: चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर SC की बड़ी टिप्पणी, VVPAT-EVM वेरिफिकेशन पर फैसला सुरक्षित, जानें कोर्ट में इस हफ्ते क्या हुआ

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 20 2024 3:36PM

इस सप्ताह यानी 15 अप्रैल से 20 अप्रैल 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है।  सुप्रीम' सुनवाई में VVPAT मामले में कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला। सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग को लेकर की अहम टिप्पणी। योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण से सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप एलोपैथी का अपमान नहीं कर सकते हैं। सरोगेसी से दूसरा बच्चा पैदा करने से रोकने वाले कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया नोटिस। इस सप्ताह यानी 15 अप्रैल से 20 अप्रैल 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। 

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हर चीज पर शक करना समस्या

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मौखिक टिप्पणी में याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे EVM की क्षमता पर संदेह न करें। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग कोई अच्छा काम करता है तो उसकी तारीफ करें। बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये बातें कहीं। कोर्ट ने कहा कि हर चीज पर संदेह करना एक समस्या है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ EVM से डाले गए वोटों के क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ता असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा, 'मैं समझता हूं कि चुनाव एकदम नजदीक है। कम से कम, EVM में बटन दबाने के बाद सात सेकंड तक जलने वाले बल्ब को लगातार जलने देना चाहिए। बेंच ने EVM के काम करने के तरीके को समझने के लिए चुनाव आयोग के एक सीनियर अधिकारी के साथ करीब एक घंटे बातचीत की। बेंच ने कहा, 'हर चीज पर शक नहीं किया जा सकता। आप (भूषण) हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते।

आप इतने मासूम नहीं

योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह भ्रामक विज्ञापन के मामले में आम माफीनामा देने को तैयार है। दोनों कोर्ट के सामने पेश हुए थे। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की बेंच ने इस दौरान रामदेव और बालकृष्ण से हिंदी में सवाल-जवाब किए। कोर्ट ने कहा कि क्यों उन्होंने कोर्ट में अंडरटेकिंग देकर उसका उल्लंघन किया। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आपने काफी प्रतिष्ठा अर्जित की है और लोग आपके काम की तारीफ करते हैं। लेकिन आप एलोपैथी का अपमान नहीं कर सकते हैं। आपने यह सब तब किया जब अदालत का आदेश था। आप इतने मासूम नहीं थे कि आपको पता न चले कि अदालत में क्या हुआ है।

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मॉब लॉन्चिंग के मामले को धर्म से जोड़ना गलत

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। मॉब लिंचिंग और गाय रक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोकने के मामले में जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच ने राज्यों से छह हफ्ते में ऐक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। महिला संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग रोकने को आदेश जारी किया था उस पर अमल किया जाना चाहिए।

सरोगेसी कानून के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने ने सरोगेसी कानून के उस प्रावधान के खिलाफ एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा, जो विवाहित जोड़ों को पहला बच्चा स्वस्थ होने पर सरोगेसी के माध्यम से दूसरा बच्चा पैदा करने से रोकता है। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(तीन)(सी)(दो) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक दंपति द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(तीन)(सी)(दो) के प्रावधान के तहत सरोगेसी (किराये की कोख) के माध्यम से बच्चा पैदा करने की इच्छा रखने वाले जोड़ों को पात्रता प्रमाणपत्र लेना होता है। 

बच्चों को परोसी जा रही है अश्लीलता

सुप्रीम कोर्ट ने ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) मंचों पर प्रतिबंध लगाए जाने का अनुरोध करने वाले याचिककर्ता से शुक्रवार को कहा कि वह इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन दे। याचिकाकर्ता का दावा है कि ओटीटी मंचों पर नग्नता और अनुचित दृश्य दिखाए जाते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा कि याचिका में यह सवाल उठाया गया है कि क्या ओटीटी मंचों को बिना किसी रोक के ऐसी सामग्री प्रसारित करने या दिखाने की अनुमति दी जा सकती है जो सभी उम्र के दर्शकों के लिए उपयुक्त नहीं है। वकील ने आरोप लगाया कि ओटीटी मंचों पर नग्नता दर्शाने वाले अनुचित दृश्य दिखाए जा रहे हैं। 

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