कौन हैं सौरभ कृपाल जो बन सकते हैं देश के पहले समलैंगिक जज, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की सिफारिश

सौरभ कृपाल
निधि अविनाश । Nov 16 2021 9:21AM

सौरभ कृपाल, जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे है। बता दें कि,जस्टिस बी एन कृपाल मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट के 31 वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके है। सौरभ ने अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स की है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद संभालने की सिफारिश की है। बता दें कि, इस कदम को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि अगर उनकी नियुक्ति होती है तो वह देश के पहले समलैंगिक जज होंगे और एससी कॉलेजियम द्वारा न्यायपालिका की एक समलैंगिक सदस्य को बेंच में बड़ा पद संभालने का यह पहला उदाहरण साबित हो सकता है। यह पहली बार नहीं है जब सौरभ कृपाल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से सिफारिश की गई हो, इससे पहले साल 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने भी सौरभ को जज बनाने की सिफारिश की थी। हालांकि, 2017 में इनपर कोई खास फैसला नहीं लिया गया था और उनके सेक्सुअल झुकाव भी एक बड़ी मुद्दा बन गया था।

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11 नवंबर को होगा बड़ा फैसला 

एक शीर्ष अदालत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस संबंध में 11 नवंबर को कॉलेजियम की बैठक के दौरान फैसला लिया गया।कॉलेजियम की सिफारिश पर प्रतिक्रिया देते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि,  "सौरभ कृपाल को बधाई, जो देश में एक उच्च न्यायालय के पहले समलैंगिक न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं।"आखिरकार हम एक समावेशी न्यायपालिका बनने के लिए तैयार हैं जो यौन अभिविन्यास के आधार पर भेदभाव को समाप्त कर रही है,"।

कौन हैं सौरभ कृपाल

सौरभ कृपाल,  जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे है। बता दें कि,जस्टिस बी एन कृपाल मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट के 31 वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके है। सौरभ ने अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स की है।ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद सौरभ ने वकालत की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से की। लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद सौरभ ने अपनी मास्टर डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से की।जेनेवा में यूनाइटेड नेशंस के लिए काम करने के बाद वह भारत लौट आए। बता दें कि, सौरभ को लॉ के क्षेत्र में काफी अनुभव है और उन्होंने  सिविल, वाणिज्यिक और संवैधानिक मामालों को ज्यादा देखा हैं।

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