सहारनपुर दंगा मामले में रासुका लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुरक्षित

Secure petition petition challenging order to set up Rasuka in Saharanpur riots case
[email protected] । Apr 27 2018 7:40PM

चंद्रशेखर उर्फ रावण के खिलाफ आरोप है कि सहारनपुर दंगे के दौरान उसने हिंसा भड़काई जिससे शांति व्यवस्था भंग हुई।

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहारनपुर दंगा मामले में चंद्रशेखर उर्फ रावण को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत नजरबंद करने के सहारनपुर जिलाधिकारी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला आज सुरक्षित रख लिया। चंद्रशेखर उर्फ रावण के खिलाफ आरोप है कि सहारनपुर दंगे के दौरान उसने हिंसा भड़काई जिससे शांति व्यवस्था भंग हुई। उसकी संलिप्तता को देखते हुए उस पर रासुका लगाया गया जोकि आमतौर पर इस तरह की घटनाओं में उपयोग किया जाता है। चंद्रशेखर उर्फ रावण द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति डी.के. सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता और राज्य सरकार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

उल्लेखनीय है कि 5 मई 2017 को लोगों का एक समूह सहारनपुर में महाराणा प्रताप जयंती में शामिल होने जा रहा था और कथित तौर पर दलित समुदाय से कुछ लोगों ने इस आयोजन का विरोध किया। इसके परिणाम स्वरूप हिंसा भड़क गई जिसमें सुमित नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस घटना के खिलाफ 9 मई, 2017 को सहारनपुर में भीम आर्मी भारत एकता मिशन के तत्वावधान में एक महापंचायत बुलाई गई। जब जिला प्रशासन ने महापंचायत करने की अनुमति देने से मना कर दिया तो भीम आर्मी के सदस्यों ने अपने समर्थकों के साथ सहारनपुर में रामनगर की सड़क जाम कर दी। पुलिस के हस्तक्षेप करने पर इन लोगों ने कथित तौर पर पथराव शुरू कर दिया। 

यह भी आरोप है कि वे हिंसा में शामिल रहे और राम नगर पुलिस चौकी को आग लगा दी। हिंसा भड़काने के लिए जिला प्रशासन द्वारा भीम आर्मी के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गई। इसके बाद, 2 नवंबर, 2017 को सहारनपुर के जिलाधिकारी ने रासुका के तहत एक आदेश पारित करके चंद्रशेखर उर्फ रावण को नजरबंद कर दिया।

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