लक्ष्मण टीला विवाद पर सत्र न्यायालय 30 को करेगा सुनवाई, जानें पूरा मामला

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अजय कुमार । May 28 2022 4:25PM

लक्ष्मण टीला को उसका स्वाभिमान लौटाने के लिए ज्ञानवापी और मथुरा मे श्री कृष्ण जन्म स्थान का केस लड़ रहे अधिवक्ता हरिशंकर जैन सामने आए हैं। उनके मुताबिक निचली अदालत में दाखिल इस वाद में मस्जिद को हटाकर इसका कब्जा हिन्दुओं को देने की मांग की गई है। कहा गया कि यह पूरा परिसर शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव का स्थान है।

लखनऊ। कभी लखनऊ के पहचान प्रभु श्री राम के अनुज लक्ष्मण के नाम से हुआ करती थी। गोमती नदी के किनारे लाल पुल के पास स्थित लक्ष्मण टीला इस बात की गवाही देता था कि यह लक्ष्मण की नगरी है, लेकिन औरंगजेब ने इसे भी तरह से रौंद दिया था। अब लक्ष्मण टीले का मान-स्वाभिमान पुनः हासिल करने के लिए कुछ हिन्दू संगठन आगे आए हैं। इसी लिए वर्ष 2013 में टीलेवाली मस्जिद पर हिन्दुओं की ओर से अपना हक जताते हुए दाखिल किए गए एक वाद पर निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध सत्र अदालत में दाखिल रिवीजन अर्जी पर 30 मई को सुनवाई होने जा रही है, जबकि निचली अदालत में मूल वाद पर अगली सुनवाई 30 जुलाई को नियत है। 

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लक्ष्मण टीला को उसका स्वाभिमान लौटाने के लिए ज्ञानवापी और मथुरा मे श्री कृष्ण जन्म स्थान का केस लड़ रहे अधिवक्ता हरिशंकर जैन सामने आए हैं। उनके मुताबिक निचली अदालत में दाखिल इस वाद में मस्जिद को हटाकर इसका कब्जा हिन्दुओं को देने की मांग की गई है। कहा गया है कि यह पूरा परिसर शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव का स्थान है। लिहाजा इस पर हिन्दुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए व उनके दर्शन में बाधा डालने वालों को रोका जाए। अदालत ने इसे प्रतिनिधिक वाद के रूप में स्वीकार करते हुए प्रतिवादीगणों को नोटिस जारी किया था।

निचली अदालत में यह वाद लार्ड शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव विराजमान, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि, डा. वीके श्रीवास्तव, रामरतन मौर्य, वेदप्रकाश त्रिवेदी, दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार त्रिपाठी व धनवीर सिंह की ओर से दाखिल किया गया था। इस वाद में यूनियन आफ इंडिया जरिए सचिव गृह मंत्रालय, आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया की लखनऊ सर्किल, स्टेट आफ यूपी जरिए प्रमुख सचिव गृह, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस महानिदेशक उप्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ, पुलिस अधीक्षक पश्चिम लखनऊ, इंसपेक्टर चौक व सुन्नी सेंट्रल बोर्ड आफ वक्फ जरिए चीफ एग्जीक्यूटिव आफीसर के साथ ही मौलाना फजुर्लरहमान को प्रतिवादी बनाया गया है। 18 जुलाई, 2017 को अदालत ने मौलाना फजुर्लरहमान की मौत के बाद उनके विधिक उत्तराधिकारी मौलाना फजलुल मन्नान को प्रतिवादी प्रतिस्थापित करने का आदेश दिया था। निचली अदालत में प्रतिवादी की ओर से इस वाद को खारिज करने की मांग की गई थी। निचली अदालत ने इस मांग को नामंजूर कर दिया था।

वाद पत्र के मुताबिक सनातन काल में भगवान राम ने अपने छोटे भाई शेषावतार लक्ष्मण को लक्ष्मणपुरी बसाने का निर्देश दिया था। लक्ष्मण ने गोमती के किनारे लक्ष्मणपुरी बनाई और एक टीले पर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई। जिसे बाद में शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव कहा गया। यह पूरा स्थान लक्ष्मण टीले के नाम से देवत्व स्थान के रूप में पहचाना गया। यह चौक में नजुल के खसरा नंबर-14 पर स्थित है। इस पर हिन्दू अंनतकाल से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। 

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लक्ष्मण टीले पर शेषनाग पटल कूप एवं शेषावतार कूप भी था। औरंगजेब के समय में लक्ष्मण टीले का विध्वंस कर दिया गया और इस्लामिक सिद्धान्तों को दरकिनार करते हुए वहां एक मस्जिद बनाई गई। जिसे टीलेवाली मस्जिद कहा गया। खसरा नंबर- 14 पर शेषनाग पटल कूप, शेषनाग टीलेश्वर महादेव और पुराने मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि वहां लक्ष्मण ने एक किले का निर्माण भी कराया था। जिसे लक्ष्मण किला के नाम से जाना गया और जिसे गढमत्स्य भवन (मछली भवन) भी कहते हैं। लक्ष्मण टीले के पश्चिम में कौटिल्य ऋषि का आश्रम था। जिसे कौटिल्य घाट कहते थे। घाट और लक्ष्मण टीले के बीच में ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर है।

वाद पत्र के मुताबिक 1886 में पहली चकबंदी के समय यह विवादित स्थान राजस्व अभिलेखों में आबादी मछली भवन चौक के नाम पर दर्ज है। 1877 के प्राविंस आफ अवध और 1904 के गजेटियर आफ लखनऊ व तमाम ऐतिहासिक पुस्तकों तथा आर्कियोलॉजी सर्वे की रिपोर्टाे में भी इस स्थान को लक्ष्मण टीला के नाम से संबोधित किया गया है। लक्ष्मण जी शेषनाग के अवतार थे। वहां पर शेषनाग विहार नाम से एक गहरा छेद है। जिसकी हिन्दू अनंतकाल से पूजा करते हैं और मान्यता है कि वह सीधे पाताल लोक को जोड़ता है। कहा गया कि यदि आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया या किसी अन्य एंजेसी से अदालत द्वारा वहां खोदाई कराई जाए तो यह साबित हो जाएगा कि टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीले पर स्थित मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है।

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