कोर्ट ने संजय राउत को दी जमानत, फैसले के खिलाफ ईडी ने किया बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख

sanjay raut shivsena leader
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प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शिवसेना सांसद संजय राउत को रिहा करने की याचिका को खारिज करने के मामले सुनवाई करते हुए अदालत ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने संजय राउत को राहत देते हुए उन्हें रिहा करने के निर्देश दिए है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है।

पात्रा चॉल पुर्नविकास परियोजना से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार शिवसेना सांसद संजय राउत को मुंबई की एक विशेष अदालत (PMLA अदालत) ने जमानत दे दी है। संजय राउत की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय ने याचिका दायर कर इसे खारिज करने की मांग की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया है। 

प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से जमानत याचिका को शुक्रवार यानी 11 नवंबर तक प्रभावी ना रहने की मांग की, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने अब वो बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत याचिका रद्द करने और रोक लगाने की मांग की है। PMLA अदालत के फैसले के खिलाफ अब 10 नवंबर को हाईकोर्ट में जस्टिस भारती डांगरे सुनवाई करेंगी।

इससे पहले नौ नवंबर को PMLA अदालत ने ऑर्थर रोड जेल में बंद संजय राउत को रिहा करने के तत्काल आदेश पर रोक लगाने से इंकार किया है। इस मामले में संजय राउत को बड़ी राहत मिली है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत को एक अगस्त को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उनसे नौ घंटे तक गहन पूछताछ की गई थी। संजय राउत को त्तरी मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। 

संजय राउत की पत्नी वर्षा से हो चुकी है पूछताछ

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत से कई बार पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए। पहली बार उनसे 28 जून को पूछताछ हुई थी, जिसके बाद पूछताछ का सिलसिला लगातार जारी रहा था। इससे पहले उनकी पत्नी वर्षा राउत और उनके सहयोगियों से भी प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल महीने में पूछताछ की थी, जिसके बाद टीम ने 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया था। अटैच की गई संपत्ति में संजय राउत की पत्नी वर्षा की दो करोड़ और उनके सहयोगी प्रणीव राउत की नौ करोड़ रुपये की संपत्ति है। बता दें कि इस मामले में प्रवीण राउत फरवरी में गिरफ्तार किए गए थे, जो अभी न्यायिक हिरासत में है।

ये है पूरा मामला

राउत के खिलाफ ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं और उनकी पत्नी और सहयोगियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन से संबंधित है।  उपनगरी क्षेत्र गोरेगांव में 47 एकड़ में फैली पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर के नाम से भी जाना जाता है और उसमें 672 किरायेदार परिवार हैं। 2008 में, महाराष्ट्र गृहनिर्माण एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के पुनर्विकास का अनुबंध सौंपा। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे। वह शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था। हालांकि, ईडी के अनुसार, पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया, बल्कि अन्य बिल्डरों को भूमि के टुकड़े और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) 1,034 करोड़ रुपये में बेच दिये। 

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