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कैप्टन से बगावत कर अपने सियासी गेम को कहां ले जा रहे हैं सिद्धू
- अंकित सिंह
- जुलाई 15, 2019 18:23
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अमरिंदर को यह भी लगता था कि सिद्धू उनकी मुख्यमंत्री के कुर्सी की लिए खतरा ना बन जाए। इन कब के बीच सिद्धू का इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान जाना और पाक आर्मी चीफ बाजवा को गले लगाना अमरिंदर को नहीं भाया।
पंजाब की राजनीति एक बार फिर से गर्म हो गई है। क्रिकेटर से नेता बने और पंजाब सरकार में मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा देकर सभी को चौका दिया है। हालांकि इस बात की आशंका कई दिनों से जताई जा रही थी क्योंकि मंत्रालय में फेरबदल के बाद सिद्धू ने अपना पदभार नहीं संभाला था। कैबिनेट के फेरबदल में महत्वपूर्ण विभाग छिनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय प्रशासन और पर्यटन तथा संस्कृति विभागों का प्रभार छीन लिया था और उन्हें बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा था। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे। पंजाब में सरकार बनने के बाद सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह की नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाए गए। लेकिन सिद्धू की नजरें उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर थीं और अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं थे। सिद्धू और अमरिंदर के बीच के विवाद की जड़ भी यही बनी।
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अमरिंदर को यह भी लगता था कि सिद्धू उनकी मुख्यमंत्री के कुर्सी की लिए खतरा ना बन जाए। इन कब के बीच सिद्धू का इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान जाना और पाक आर्मी चीफ बाजवा को गले लगाना अमरिंदर को नहीं भाया। हद तो तब हो गई जब सिद्धू भारत-पाक बातचीत के लिए पैरवी करने लगे और आतंक को पाकिस्तान को बदनाम करने का हथियार बताने लगे। अमरिंदर इन सब बातों से आलाकमान को अवगत कराते रहे पर हुआ कुछ नहीं। सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम बढ़ता जा रहा था और यही अमरिंदर को सिद्धू से दूर कर रहा था। सिद्धू करतारपुर गलियारे की नींव रखे जाने के समय फिर पाकिस्तान जाते हैं और इस बार वह खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला से गले मिल लिए। इधर सिद्धू की ये हरकतें कैप्टन पर हावी होने के लिए विपक्ष को बड़ा मौका दे रही थीं। देश चुनाव की तरफ बढ़ रहा था और भाजपा इसे राष्ट्रवाद की तरफ मोड़ रही थी। सिद्धू के बहाने कैप्टन निशाने पर थे। पुलवामा हमले के बाद सिद्धू का बयान कैप्टन के लिए और सिरदर्द साबित हुआ।
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सिद्धू और कैप्टन के बीच की दरार तब जाकर सबके सामने आ गई जब गत दिसंबर में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने संवाददताओं द्वारा पूछे एक एक सवाल के जवाब में कहा कि कैप्टन को मैं नहीं जानता और मेरे कैप्टन सिर्फ राहुल गांधी हैं। इन तमाम घटनाक्रम के बीच राजनीति का खेल भी चलता रहा। सिद्धू जहां कैप्टन के खिलाफ दिल्ली में लॉबिंग करते रहे तो कैप्टन राज्य की पार्टी इकाई के लोगों को अपने पाले में करने में लगे रहे। लोकसभा चुनाव के लिए सिद्धू ने अपनी पत्नी के लिए अमृतसर या चंडीगढ़ से टिकट मांगा और जब टिकट नहीं मिला तो सिद्धू ने इसका ठीकरा कैप्टन और पंजाब प्रभारी आशा कुमारी के सिर पर फोड़ दिया। देशभर में मोदी लहर के बावजूद पंजाब में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा पर कैप्टन ने चार सीटों पर हार के लिए सिद्धू को जिम्मेदार ठहरा दिया। बीच- बीच में सिद्धू कैप्टन या फिर उनके मंत्रियों से किसी ना किसी विवाद को लेकर सुर्खियों में रहे।
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सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे को रविवार को ट्विटर पर सार्वजनिक किया। इस इस्तीफे पर 10 जून की तारीख लिखी है। यह इस्तीफा उन्होंने उनके मंत्रालय में बदलाव किए जाने के मात्र चार दिन बाद भेजा था। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर सिद्धू ने अपना इस्तीफा राहुल को क्यों सौंपा। जानकार इसे सिद्धू का बड़ा सियासी 'गेम' प्लान मान रहे हैं। सिद्धू अपने इस कदम से पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा वह पार्टी में अपने कद को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष ने जब सिद्धू के इस कदम पर सवाल खड़े किए तो उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी अपना इस्तीफा भेज दिया। विपक्ष हो या सिद्धू के साथी, सभी ने इसे नाटकबाजी करार दिया है। पंजाब सरकार के कुछ मंत्रियों ने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि नाटकबाजी के शहंशाह का नाटक है। अगर उन्हें इस्तीफा देना ही था तो प्रोटोकॉल का अनुसरण कर इसे सीधे मुख्यमंत्री को भेजना था। खैर, इस मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिक्रिया आ गई है और उन्होंने कहा है कि मेरा उनके साथ कोई भतभेद नहीं है, मैंने वास्तव में फेरबदल के बाद उन्हें एक बहुत महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिया था। मंत्रिमंडल छोड़ने का उनका निर्णय था। पंजाब के इस राजनीति घटनाक्रम के बाद सभी की निगाहें सीएम कैप्टन अमरिंदर पर लग गई हैं।
पाकिस्तान में अलग सिंधु देश की मांग, PM मोदी की तस्वीरों के साथ प्रदर्शन
- अभिनय आकाश
- जनवरी 18, 2021 13:03
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पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को सिंध के सान कस्बे में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर और पोस्टर भी देखने को मिले। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
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गौरतलब है कि 1947 के भारत-पाक बंटवारे से लेकर अब तक पाकिस्तान के दोयम दर्जे की नीतियों और सेना की जूतों के तले रखने की आदतों का शिकार होना पड़ता है। जिस तरह बलूचिस्तान पश्चूनिस्तान की मांग पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, ठीक उसी तरह सिंध प्रांत की मांग भी लंबे अरसे की की जाती रही है। वहां की सड़कों पर रह-रहकर यह नारा जोर मारता है 'कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश'।
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
— ANI (@ANI) January 18, 2021
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD
ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह कानून-व्यस्था का मामला
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 18, 2021 13:03
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ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर न्यायालय ने कहा कि यह कानून-व्यस्था का मामला है।पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला लेने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली अथवा गणतंत्र दिवस पर समारोहों एवं सभाओं को बाधित करने की कोशिश करने अन्य प्रकार के प्रदर्शनों पर रोक का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं।
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न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति विनीत सरन भी इस पीठ में शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘क्या उच्चतम न्यायालय यह बताएगा कि पुलिस की क्या शक्तियां हैं और वह इनका इस्तेमाल कैसे करेगी? हम आपको यह नहीं बताने जा रहे कि आपको क्या करना चाहिए।’’ पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को बताया कि मामले में आगे की सुनवाई 20 जनवरी को होगी। पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।
भारत में आठ महीने बाद 24 घंटे में कोविड-19 से सबसे कम 145 लोगों की मौत
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 18, 2021 12:50
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भारत में इस महीने में दूसरी बार एक दिन में कोविड-19 के 14 हजार से कम नए मामले सामने आए जबकि नए मामलों के बाद देश में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,05,71,773 हो गई। वहीं एक दिन में 145 और मरीजों की मौत हुई, जो पिछले करीब आठ महीने में सबसे कम है।
नयी दिल्ली। भारत में इस महीने में दूसरी बार एक दिन में कोविड-19 के 14 हजार से कम नए मामले सामने आए जबकि नए मामलों के बाद देश में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,05,71,773 हो गई। वहीं एक दिन में 145 और मरीजों की मौत हुई, जो पिछले करीब आठ महीने में सबसे कम है। केन्द्रीय स्वास्थय मंत्रालय की ओर से सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार देश में एक दिन में कोविड-19 के 13,788 नए मामले सामने आए। इससे पहले 12 जनवरी को 12,548 नए मामले सामने आए थे।
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वहीं वायरस से 145 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,52,419 हो गई। आंकड़ों के अनुसार, कुल 1,02,11,342 लोगों के संक्रमण मुक्त होने के साथ ही देश में मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 96.59 प्रतिशत हो गई। वहीं कोविड-19 से मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है। देश में वायरस के उपचाराधीन मरीजों की संख्या तीन लाख से कम ही है। कुल 2,08,012 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 1.97 प्रतिशत है।
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भारत में सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितम्बर को 40 लाख के पार चली गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितम्बर को 50 लाख, 28 सितम्बर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख और 20 नवम्बर को 90 लाख और 19 दिसम्बर को एक करोड़ के पार चले गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार देश में 17 जनवरी तक कुल 18,70,93,036 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई। उनमें से 5,48,168 नमूनों की जांच रविवार को की गई। आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में 145 लोगों की वायरस से मौत हुई। उनमें से महाराष्ट्र के 50, केरल के 21, पश्चिम बंगाल के 12 और दिल्ली के आठ लोग शामिल हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में वायरस से अभी तक कुल 152419 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से महाराष्ट्र के 50,438, तमिलनाडु के 12,264, कर्नाटक के 12,166, दिल्ली के 10,746, पश्चिम बंगाल के 10,053, उत्तर प्रदेश के 8,576, आंध्र प्रदेश के 7,140 और पंजाब के 5,504 लोग थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अभी तक जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में मरीजों को अन्य बीमारियां भी थीं। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि उसके आंकड़ों का आईसीएमआर के आंकड़ों के साथ मिलान किया जा रहा है।

