रथयात्रा पर SC ने पलटा अपना फैसला, शर्तों के साथ पुरी में आयोजन की दी इजाजत

rath yatra

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को ओडिशा सरकार ने सूचित किया कि वह मंदिर प्रबंधन और केन्द्र के साथ तालमेल करके रथ यात्रा के आयोजन के दौरान चीजों को सुगम बनायेगी।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को संकेत दिया कि वह पुरी में 23 जून से प्रस्तावित भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति दे दी है। यह रथ यात्रा कल शुरू होगी और इसमें जनता की भागीदारी नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने ओडिशा सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुये अपने 18 जून के आदेश में संशोधन किया। राज्य सरकार ने कहा था कि जनता की उपस्थिति के बगैर ही सीमित तरीके से रथ यात्रा का आयोजन किया जा सकता है। न्यायालय ने इससे पहले कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कहा था कि इस साल ऐतिहासिक रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। प्रधान न्यायाधीश एस बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले में दायर कई आवेदनों पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में ओडिशा सरकार को निर्देश दिया कि रथ यात्रा का जुलूस निकाले जाने के दौरान पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाये और शहर में प्रवेश के सभी रास्ते बंद किये जायें। प्रधान न्यायाधीश ने नागपुर में अपने आवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ की अध्यक्षता की। पीठ ने कहा कि प्रत्येक रथ को 500 से ज्यादा लोग नहीं खींचेंगे और ऐसा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की कोविड-19 संक्रमण की जांच होगी तथा उसका पूरा मेडिकल विवरण सुरक्षित रखा जायेगा। यही नहीं, रथ खींचने में शामिल व्यक्ति रथ खींचने से पहले, इस दौरान और बाद में भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे। 

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पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘निश्चित ही, यदि यह सुनिश्चित करना संभव हो कि इसमें जनता की उपस्थिति नहीं होगी, तो हमें ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती कि मंदिर से मंदिर तक के सामान्य मार्ग पर सुरक्षित तरीके से रथ यात्रा का आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता। ’’ इससे पहले, कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये न्यायालय ने 18 जून को अपने आदेश में इस ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन करने की अनुमति नहीं दी थी। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की थी, ‘‘अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।’’ शीर्ष अदालत ने ओडिशा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘रथ यात्रा के लिये इतनी बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं के एकत्र होने से उत्पन्न खतरे को देखते हुये हम सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों के मद्देनजर प्रतिवादियों को इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन करने से रोकना उचित समझते हैं।’’ पीठ ने आदेश में यह भी कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25(1) लोक व्यवस्था और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुये सभी को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है। इस आदेश के एक दिन बाद ही ‘जगन्नाथ संस्कृति जन जागरण मंच’ और भाजपा नेता संबितपात्रा और अन्य ने न्यायालय में आवेदन दायर कर कोरोना महामारी के मद्देनजर कुछ शर्तो के साथ रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति देने का अनुरोध किया। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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