उच्चतम न्यायालय ने असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल को आड़े हाथ लिया
![Supreme Court raps Assam CM Sarbananda Sonowal Supreme Court raps Assam CM Sarbananda Sonowal](https://images.prabhasakshi.com/2017/7/_650x_2017071317254612.jpg)
उच्चतम न्यायालय ने आज मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल को उनके इस कथन के लिये आड़े हाथ लिया कि नागरिक रजिस्टर का मसौदा 31 दिसंबर तक प्रकाशित किया जायेगा।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अद्यतन करने के काम की निगरानी कर रहे उच्चतम न्यायालय ने आज मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल को उनके इस कथन के लिये आड़े हाथ लिया कि नागरिक रजिस्टर का मसौदा 31 दिसंबर तक प्रकाशित किया जायेगा। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मकसद गैरकानूनी प्रवासियों पर अंकुश लगाने के लिये असम के मूल निवासियों की पहचान करना है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की पीठ ने कहा, ‘‘हम इसकी सराहना नहीं करते कि कोई अन्य प्राधिकारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा तैयार करने और इसे प्रकाशित करने के मामले में हस्तक्षेप करे जब यह न्यायालय इसकी प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।’'
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति द्वारा नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन की प्रक्रिया की वह निगरानी कर रहा है तो कोई भी एजेन्सी या प्राधिकारी इस तरह का बयान नहीं दे सकता। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय को सूचित किया गया कि यद्यपि नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन की अंतिम तिथि 31 मार्च 2019 है, मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह 31 दिसंबर, 2017 या इससे पहले कर लिया जायेगा। पीठ ने कहा, ‘‘पिछली बार आपने हमें बताया था कि आप मार्च 2018 तक यह काम कर लेंगे। यह अच्छी बात है कि आप यह कर रहे हैं। परंतु हमारे पास रिकार्ड पर मुख्यमंत्री का यह बयान है कि नागरिक रजिस्टर का मसौदा दिसंबर, 2017 तक प्रकाशित होगा। तो फिर उन्हें ही इसकी निगरानी करने दीजिये। हम इससे हट जाते हैं। जब उच्चतम न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है तो हम किसी अन्य एजेन्सी या प्राधिकारी को यह कहते नहीं देखना चाहते कि हम इसे इस तरह करेंगे।’’
न्यायालय ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत ने इस पर करीब दो साल का समय और अपनी ऊर्जा खर्च की है ओैर यह न्यायलाय के प्रति उचित नहीं है। न्यायालय ने इससे पहले बांग्लादेश से गैरकानूनी तरीके से आने वाले प्रवासियों को नियंत्रित करने के लिये राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करने का आदेश दिया था। न्यायालय भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड लगाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।
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