बिलकिस बानो प्रकरण में गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिये निर्देश

Supreme Court seeks Gujarat Govts reply in Bilkis Bano case
[email protected] । Oct 23 2017 2:22PM

कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराये गये पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गयी विभागीय कार्रवाई से उसे चार सप्ताह के भीतर अवगत कराया जाये।

उच्चतम न्यायालय ने आज गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराये गये पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गयी विभागीय कार्रवाई से उसे चार सप्ताह के भीतर अवगत कराया जाये। इस मामले में न्यायालय ने इन पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस निर्देश के साथ ही 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की पीड़िता को पहले दिये जा चुके मुआवजे की राशि में बढ़ोत्तरी के लिये नयी अपील दायर करने की भी अनुमति प्रदान कर दी।

सामूहिक बलात्कार की पीड़िता ने मुआवजे की राशि में समुचित वृद्धि के साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के बारे में चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इसके अलावा बलात्कार पीडित के वकीलों को मुआवजे की राशि के मुद्दे पर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिये अलग से अपील दायर करने की अनुमति प्रदान की।

बंबई उच्च न्यायालय ने चार मई को अपने फैसले में सामूहिक बलात्कार के इस मामले में 12 दोषियों की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी जबकि न्यायालय ने पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित सात व्यक्तियों को बरी करने का निचली अदालत का आदेश निरस्त कर दिया था। गोधरा ट्रेन अग्निकांड की घटना के बाद गुजरात में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मार्च, 2002 में गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस हिंसा में उसके परिवार के सात सदस्य मार डाले गये थे जबकि परिवार के छह अन्य सदस्य बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गये थे। न्यायलय ने पांच पुलिसकर्मियों और दो डाक्टरों को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के अपराध का दोषी ठहराया था।

दोषी ठहराये गये पुलिसकर्मियों नरपत सिंह, इदरीस अब्दुल सैयद, बीकाभाई पटेल, रामसिंह भाभोर, सोमभाई गोरी और डॉक्टरों में अरुण कमार प्रसाद और संगीता कुमार प्रसाद शामिल हैं। विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को इस मामले में 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुये उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

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