सुशील ने लालू परिवार पर टाटा स्टील की संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया

Sushil accused Lalu family of grabbing property of Tata Steel
[email protected] । Apr 30 2018 6:27PM

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और लालू परिवार पर मुखौटा कंपनी के जरिये टाटा स्टील की संपत्ति हड़पने का आज आरोप लगाया।

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और लालू परिवार पर मुखौटा कंपनी के जरिये टाटा स्टील की संपत्ति हड़पने का आज आरोप लगाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील ने तेजस्वी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के परिवार पर फेयरग्रो होल्डिंग प्राइवेट लि0 नामक एक फर्जी कम्पनी का मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर पटना शहर के अत्यंत पॉश इलाके 5, राईडिंग रोड, में टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी के दो मंजिला एक मकान सहित जमीन का मालिक बन बैठने का आरोप लगाया है। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुशील ने कहा कि आयकर विभाग ने तेजस्वी यादव की जिस सम्पत्ति को नौ फरवरी को जब्त किया है, वह सम्पत्ति टाटा कम्पनी की थी। 

सुशील ने आरोप लगाया कि 30 अक्टूबर 2002 को टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी लि0 के 7105 वर्गफुट जमीन (5.22 कट्ठा) में निर्मित 5348 वर्गफुट के दो मंजिला मकान को फर्जी कम्पनी के जरिये तेजस्वी और लालू परिवार द्वारा खरीदा हुआ दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि 1990 से 2000 तक संयुक्त बिहार के दौरान और उसके बाद के वर्षो तक यह टाटा कम्पनी का दफ्तर तथा गेस्ट हाउस हुआ करता था।सुशील ने आरोप लगाया कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में टाटा कम्पनी को अनेक प्रकार से उपकृत किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि लालू परिवार की बड़ी बेटी मीसा भारती का नामांकन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि टाटा कम्पनी के कोटे से टाटा मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में हुआ था। सुशील ने आरोप लगाया कि इतना ही नहीं लालू प्रसाद की एक और बेटी रोहिणी आचार्य एवं लालू के विश्वासपात्र राजद एमएलसी अनवर अहमद की बेटी का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में 1998 में टाटा कोटे की सीट पर कराया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के अत्यंत विश्वस्त अलकतरा घोटाले के आरोपी इलियास हुसैन की बेटी आसमा का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में टाटा कोटे से कराया गया। 

उन्होंने आरोप लगाया कि टाटा कम्पनी के इस बेशकीमती मकान को खरीदने के लिए फेयरग्रो जैसी फर्जी कम्पनी का इस्तेमाल किया गया।सुशील ने आरोप लगाया कि टाटा कम्पनी की ओर से भी प्रभात सिन्हा, मुख्य एमआईएस प्रशासन, कोलकाता ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं जबकि फेयरग्रो फर्जी कम्पनी की ओर से पटना शहर के एस के पुरी निवासी राजेश कुमार ने हस्ताक्षर किये है।उन्होंने आरोप लगाया कि निबंधन दस्तावेज में 65 लाख रूपये के एक डिमांड ड्राफ्ट के जरिए टाटा कम्पनी को भुगतान दिखाया गया है।सुशील ने सवाल किया है कि झारखंड बनने के मात्र दो वर्षों के भीतर राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही क्यों टाटा कम्पनी ने अपनी सम्पत्ति बेच दी और 10 वर्षों के बाद इस फर्जी कम्पनी सहित टाटा कम्पनी के उक्त मकान के मालिक तेजस्वी एवं लालू परिवार कैसे हो गए?

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