लालू-राबड़ी राज में हुई गलतियों के लिए तेजस्वी ने मांगी माफी, क्या जनता करेगी माफ?

Tejashwi
अंकित सिंह । Jul 3 2020 5:23PM

कांग्रेस हो या फिर जीतन राम मांझी या उपेंद्र कुशवाहा। ये सभी नेता मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव को नहीं देखना चाहते। इतना ही नहीं आरजेडी में भी कुछ ऐसे नेता है जो आज भी लालू को तो अपना नेता मानते हैं परंतु तेजस्वी को लेकर वह सहज नहीं हैं।

विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई है। सभी दल अपने-अपने तरीके से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए है। इसी कड़ी में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी भी आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने लगी है। आरजेडी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने माफी तक मांग ली। लेकिन अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर तेजस्वी यादव ने माफी क्यों मांगी? दरअसल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरजेडी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के 15 साल के कार्यकाल में अगर कुछ गलती हुई है तो उसके लिए वह माफी मांगते है। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आरजेडी बिहार में 15 सालों तक सत्ता में रही तो उस वक्त वे छोटे थे। ऐसे में उन्हें किसी गलती का पता भी नहीं था। फिर आज अगर लगता है कि आरजेडी के कार्यकाल में गलतियां हुई है तो वे माफी मांगते हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि ठीक है कि 15 सालों में गलतियां हुई होगी लेकिन इस बात से भी कोई इनकार नहीं कर सकता कि लालू यादव ने सामाजिक न्याय नहीं किया।

इस मौके पर तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर बिहार की जनता एक बार फिर पार्टी को मौका देती है तो वह कोई गलती नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि अगर जनता एक कदम आगे चलेगी तो वह चार कदम आगे चलेंगे। उन्होंने कहा कि वह बिहार की जनता की आशाओं को पूरा करेंगे। नौजवानों को रोजगार देंगे और राज्य में विकास की गंगा बहाने की कोशिश करेंगे। तेजस्वी यादव के इन बयानों से दो  संदेश साफ तौर पर निकल के आ रहा है। पहला की उन्हें पता है कि लालू के कार्यकाल के दौरान की बुरी यादें आज भी बिहार के लोगों के दिलों दिमाग में है। ऐसे में उसके लिए माफी मांग कर नई उम्मीद जगाना ही बेहतर है। दूसरा यह भी कि अपने वक्तव्य से उन्होंने अपने गठबंधन के सहयोगियों को साफ तौर पर यह भी कह दिया कि महागठबंधन का कोई सीएम चेहरा है तो वह तेजस्वी यादव ही यानी कि वह खुद हैं। अब चुनाव को करीब में देखते हुए तेजस्वी और तेजप्रताप आरजेडी को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ आने वाले चुनाव में पार्टी को किस तरीके से सत्ता में वापस लाया जाए, इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन दोनों ही नेताओं को लालू की अनुपस्थिति में पार्टी को मजबूती प्रदान करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

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तेजस्वी यादव के नेतृत्व से पार्टी के नेता भी नाराज चल रहे है। यही कारण है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अब अलग हो रहे है। लालू की अनुपस्थिति में आरजेडी के लिए आगामी चुनाव भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साह में भरने के लिए इस तरीके की बातें उन्हें मदद करेगी। हालांकि पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में हमने देखा है कि किस तरह लोग अपने पिछले कार्यकाल के कार्यों को लेकर माफी मांगते हैं और आने वाले चुनाव में जनता से वोट की अपील करते है। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी हमने देखा था कि केजरीवाल घर घर जाकर 49 दिन के अपने कार्यकाल के दौरान की गई गलतियों के लिए माफी मांग रहे थे तो वही बिहार में भी हमने पिछले चुनाव से पहले यही देखा था। तब नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर माफी मांग रहे थे। राजनीति में एक कहावत है कि रणनीति तो सभी पार्टियां बनाती हैं, जनता के बीच चुनाव को लेकर सभी पार्टियां मेहनत करती है, पैसे भी खर्च करती है लेकिन जीत उसी की होती है जो उनकी भावनाओं को जीतता है। इसी को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी यादव ने कहीं ना कहीं भावनात्मक रूप से लोगों के दिलों को जीतने के लिए माफी मांगी है। 

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तेजस्वी यादव की माफी ने भाजपा और जदयू को एक बार फिर से आरजेडी के कार्यकाल पर प्रहार करने का मौका दे दिया है। अब यह दोनों पार्टियां यह लगातार कहेंगी कि आरजेडी को भी पता है कि उनके कार्यकाल में किस तरीके से बिहार में जंगलराज रहा। लेकिन तेजस्वी यादव के इन बयानों से महागठबंधन में भी बवाल मचना लाजमी है। तेजस्वी ने अपने बयान में यह जरूर कहा कि अब वह सत्ता में आएंगे तो ऐसा नहीं होने देंगे। इस बात से वह खुद मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं जो उनके सहयोगी दलों को मंजूर नहीं है। कांग्रेस हो या फिर जीतन राम मांझी या उपेंद्र कुशवाहा। ये सभी नेता मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव को नहीं देखना चाहते। इतना ही नहीं आरजेडी में भी कुछ ऐसे नेता है जो आज भी लालू को तो अपना नेता मानते हैं परंतु तेजस्वी को लेकर वह सहज नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि तेजस्वी के इन बयानों को लेकर बिहार की राजनीति किस करवट घुमती है।

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