तेजस्वी ने गरीब सवर्ण आरक्षण को लेकर राजद के रुख को सही ठहराया
उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही वर्ण व्यवस्था के सवर्णों के प्रतिनिधित्व के तहत यह आरक्षण दिया गया। इससे गरीब सवर्ण को लाभ नहीं मिल पाएगा।
पटना। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने उच्च जाति में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर अपनी पार्टी राजद के रुख को सही ठहराते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनका विरोध इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर है। तेजस्वी ने ट्विटर पर 'तेजस्वी की चौपाल' के दौरान कहा कि सवर्ण में आर्थिक रूप से पिछडे लोगों को जो 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, क्या इसे दिए जाने के पूर्व कोई सर्वेक्षण कराया गया है। इसका क्या आधार है। क्या इसको लेकर किसी आयोग का गठन किया गया या फिर ऐसे आयोग ने कोई रिपोर्ट दी है।
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— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 17, 2019
उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही वर्ण व्यवस्था के सवर्णों के प्रतिनिधित्व के तहत यह आरक्षण दिया गया। इससे गरीब सवर्ण को लाभ नहीं मिल पाएगा। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद के गरीब सवर्णों को आरक्षण दिए जाने को सही ठहराते हुए केंद्र के इस फैसले के खिलाफ अपनी पार्टी के रुख पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा कि रघुवंश जी ने पूछा है कि पांच एकड़ वाले कौन गरीब हैं। वह खुद ही सवाल उठा रहे हैं। कहां विरोध है। केंद्र और बिहार की राजग सरकार पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा कि बड़ी बड़ी बात करने से काम नहीं चलता बल्कि काम करके दिखाना पडता है। उन्होंने कहा कि जो जितना जोर से बोले यह जरूरी नहीं वह करके दिखाएगा इसलिए लोग खासतौर पर बिहारवासी सतर्क रहें।
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तेजस्वी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को पूरा करना चाहिए था। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के दौरान संवैधानिक संस्थानों को पंगु बना दिए जाने का आरोप लगाते हुए आगामी लोकसभा चुनाव के निष्पक्ष कराए जाने की मांग की। इस बीच बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि तेजस्वी या तेज प्रताप सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और इसीलिए यह राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जो चौपाल तेजस्वी ने आज लगाई हैं, वह गांव की गलियों में जाकर लगानी चाहिए थी।
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